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Bollywood News: तमिल सिनेमा में पदार्पण के लिए तैयार शरद केलकर, बोले- रामायण ने सिखाया है जीवन कैसा होना चाहिए

शरद केलकर बोले रामायण ने सिखाया है जीवन कैसा होना चाहिए। आगे बोले कि देखिए कई बार ऐसे किरदार होते हैं जिन्हें किसी और कलाकार ने निभाया होता है लेकिन उनका सोचने का अपना तरीका होता है। उन्होंने उसे कैसे जीवंत किया है। उनकी अपनी सोच थी। मेरी सोच अलग है। मैं एक किरदार को दस तरीके से सोच सकता हूं कि मैं ऐसे नहीं ऐसे करुंगा।

By Deepesh pandey Edited By: Jeet KumarUpdated: Mon, 01 Jan 2024 05:00 AM (IST)
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शरद केलकर बोले- रामायण ने सिखाया है जीवन कैसा होना चाहिए

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। भगवान श्रीराम का जीवन सभी के लिए अनुकरणीय रहा है। आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। तब जय श्रीराम के उद्घोष से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाएगा। उससे दस दिन पहले राम के परमभक्त हनुमान पर एनीमेशन सीरीज द लेजेंड ऑफ हनुमान सीजन 3 का प्रसारण डिज्नी प्लस हाट स्टार पर 12 जनवरी से होगा।

इस शो में शरद केलकर ने रावण के किरदार को आवाज दी है। इससे पहले फिल्म आदिपुरुष में वह राघव यानी प्रभास के किरदार को अपनी आवाज दे चुके हैं। शरद से उनकी आवाज, आस्था और शो को लेकर हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

1-रामायण से कैसा लगाव रहा है?

-देखिए कहानी तो बचपन से सुनते आए हैं। नानी, दादी, मम्मी सबने सुनाया है और उदाहरण भी दिया है। उससे कनेक्ट भी करते आए हैं कि जीवन कैसा होना चाहिए। जहां तक लेजेंड आफ हनुमान में रावण के पात्र को आवाज देने की बात है अभी तक इतना विस्तारित रावण किसी ने दिखाया नहीं है। मैं फख्र के साथ कह सकता हूं कि हिंदुस्तान की सबसे बड़ी और सबसे बढ़िया एनीमेटेड सीरीज है। सारे परिवार के लिए। ऐसा नहीं है कि विस्तारित है तो बोरिंग है। बहुत एंटरटेनिंग है। बहुत सारा ज्ञान है उसके अंदर। उसके वीएफएक्स की क्वालिटी बहुत शानदार है। जैसे-जैसे सीजन आ रहे हैं क्वालिटी बढ़ती जा रही है।

आगे बोले कि यह पहली सीरीज है जहां वॉयसिंग पहले हुई है एनीमेशन बाद में हुआ है। इसलिए आपको इतना परफेक्ट एनीमेशन दिखता है। मेरे पास पूरी आजादी थी कि उसे अपने तरीके से प्रस्ततु कर सकूं। जैसा मैं उसे अनुभव कर सकूं जैसा उसके बारे में सोच सकूं। उसे करने में मुझे बहुत मजा आया। यह एक अलग अनुभव है एक कलाकार के लिए ऐसे किरदार को करना जिसके बारे में सब जानते हैं। यहां पर रावण शिव भक्त है, ज्ञानी है, ताकतवर है, सर्वशक्तिमान है पर क्या चीजें हैं जो उसे बुरा बनाती हैं उन चीजों को विस्तार से दिखाया गया है।

2- पौराणिक शो के संवादों को लेकर कितना सजग रहते हैं?

-चूंकि मैं ग्वालियर से हूं। मैंने हिंदी मीडियम में पढ़ाई की है और संस्कृत भी पढ़ी हैं। दसवीं क्लास तक मध्य प्रदेश में अनिवार्य होती है तो मेरी हिंदी काफी अच्छी है। तो जहां कई त्रुटियां होती हैं उन्हें ठीक करना मुझे आता है। हम ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते हैं जो किसी को आहत करें। किसी को तकलीफ न पहुंचे उसका ख्याल रखा गया है। हम सबको पता है कि कौन सी बात किसको चुभ सकती है? किस बात से विवाद खड़ा हो सकता है। पर क्यों विवादित शो करना। यह एंटरटेनिंग और पारिवारिक शो है। हमने पूरी सतर्कता बरती है।

3- धारावाहिक रामायण में रावण के किरदार में अरविंद त्रिवेदी खासे लोकप्रिय हुए थे। ऐसे में आपके लिए चुनौतीपूर्ण रहा होगा ?

-देखिए कई बार ऐसे किरदार होते हैं जिन्हें किसी और कलाकार ने निभाया होता है लेकिन उनका सोचने का अपना तरीका होता है। उन्होंने उसे कैसे जीवंत किया है। उनकी अपनी सोच थी। मेरी सोच अलग है। मैं एक किरदार को दस तरीके से सोच सकता हूं कि मैं ऐसे नहीं, ऐसे करुंगा। तो यह हर इंसान पर निर्भर करता है कि वो उसे कैसे देखता है। बतौर कलाकार आपको करना ही पड़ेगा। आप कॉपी पेस्ट नहीं कर सकते हैं। अरविंद जी ने जो किया वो शानदार था। वह बेहतरीन कलाकार थे। मैं चाहूंगा अगले दस पंद्रह साल तक लोग इस रावण को भी याद रखें।

4- प्रभास की कई फिल्मों में आप उनकी आवाज बने हैं। हालिया रिलीज फिल्म सलार में भी आपने हिंदी में उनकी डबिंग की है। उनके साथ कैसी मुलाकात रही है ?

-बहुत ज्यादा मुलाकात नहीं हुई है। वह थोड़े शर्मीले हैं और इंट्रोवर्ट हैं। वो ज्यादा मिलते नहीं हैं। मैं हाल ही में हैदराबाद गया था तो वो भी कहीं बाहर गए हुए थे तो हम मिल नहीं पाए लेकिन लोगों के जरिए भी पता चलता है कि उन्हें मैं पसंद हूं। जरूरी नहीं है मिलना, लेकिन कहते हैं कि ईश्वर आपकी अंडरस्टैंडिंग बना देता है कि यह आदमी ऐसा करेगा अगर और उसके साथ यह मिलेगा तो यह जोड़ी बहुत अच्छी लगेगी।

आगे बोले कि कई बार आप देखते हैं कि फिल्म की शूटिंग कहीं हो रही है वीएफएक्स किसी और देश में। साउंड रिकार्डिंग कहीं और। पर जब एकसाथ सब चीजें मिलकर आती हैं तो बेहतरीन फिल्म के तौर पर सामने आती हैं। वही हाल शायद मेरा और प्रभास सर का है। बीच में केटेलिस्ट (उत्प्रेरक) होते हैं डायरेक्टर, जो हम दोनों को एकसाथ चुनते हैं। मुझे लगता है कि यह श्रेय उन लोगों को जाता है जो यह निर्णय लेते हैं कि अगर वो प्रभास को बतौर कलाकार निर्देशित कर रहे हैं तो आवाज मेरी लें। वरना ईश्वर की देन हैं।

5- आप खुद भी कलाकार हैं। प्रभास की आवाज बनने से साउथ में कैसा पाते हैं। आप खुद भी साउथ की फिल्म कर रहे है ?

-उसमें कोई समानता नहीं है। मेरी एक्टिंग की अलग तारीफ या बुराई करते हैं। आवाज की अलग से आलोचना या तारीफ करते हैं। उसमें कोई जोड़ नहीं है। मेरे बहुत अच्छे एक्टर दोस्त हैं वह बहुत पहले ही मुझे सीख दे चुके हैं कि जो कलाकार अपनी आवाज के प्यार में पड़ जाता है वो वहीं रह जाता है तो मुझे बिल्कुल भी अपनी आवाज से प्यार नहीं है। न ही मैं अपनी आवाज ज्यादा सुनता हूं। न मुझे उसके बारे में ज्यादा बात करना पसंद है। वरना आप अपनी आवाज से ही एक्टिंग करने लग जाओगो। फिर बतौर कलाकार आप वहीं पर खत्म हो जाओगे। फिर आप कुछ नया करने की कोशिश नहीं करोगे। मेरी कोशिश आपने देखी भी होगी कि मैं साल दर साल हर बार कुछ नया करने की कोशिश करता हूं। अगर मैं अपनी आवाज के प्यार में पड़ जाउुंगा तो एक जैसा ही स्ट्रांग किरदार करता रह जाउुंगा। फिर वहीं रह जाऊंगा फिर पांच साल बाद आप मुझे भूल जाओगे।

6-आप तमिल फिल्म कर रहे हैं। क्या उसकी डबिंग आपने खुद की है

-नहीं। मैंने उसकी पेशकश की थी, शायद मैं कर भी लेता। वो मौका दे भी देते, पर कहीं-कहीं वो उच्चारण, भाषा को लेकर परफेक्शन होता है वो उतने कम समय में नहीं आ पाता है। पर जो उन्होंने करवाया है वो मेरी आवाज के काफी करीब है तो मैं खुश हूं कि जिन्होंने भी डब किया है। वो बहुत अच्छे डबिंग कलाकार हैं। जब भी उनसे मिलूंगा गले लगाकर उन्हें शुक्रिया कहूंगा।

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7-मुश्किल की वो कौन सी घड़ी रही जब बजरंग बली बहुत याद आए?

-बजरंग बली हर वक्त याद आते हैं। जब आप खुश होते हैं तब भी जब आप डरे होते हैं तब भी। जब आपको ताकत की जरूरत होती है तब भी। हनुमान जी हमारे साथ हमेशा हैं। वह सभी के प्रिय हैं। हनुमान जी का स्वरूप विशाल है। हृदय बहुत नरम है। मैं भी वही गुण खुद में लाने की कोशिश करता हूं। इसलिए (हंसते हुए) बहुत सारे लोग मुझे क्यूट (प्यारा) बोलते हैं।