उस दौर में
शर्मिला का नाम एक बोल्ड और ब्यूटीफुल अभिनेत्रियों की लिस्ट में आता था। वहीं, उनकी अदाकारी भी उतनी ही मंझी हुई थी। अपने करियर में उन्होंने कई बार ऐसे किरदार निभाये हैं, जिनमें उनके अभिनय अलग ही छाप छोड़ी। शर्मिला 8 दिसम्बर को अपना जन्मदिन सेलिब्रेट करेंगी। इस मौके पर कुछ बेहतरीन परफॉर्मेंसेज।
अपुर संसार
शर्मिला ने स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग में कदम रख लिया था। 1959 में आई अपुर संसार 'द वर्ल्ड ऑफ अपू' का ट्रांसलेशन थी और
सत्यजीत रे की 'अपू ट्राइलॉजी' का एक भाग।
इस फिल्म में शर्मिला का सिर्फ 20 मिनट का रोल था, लेकिन कहते हैं ना, अच्छे एक्टर के लिए किरदार या किरदार की लंबाई नहीं, बल्कि एक्टिंग मायने रखती है। इन 20 मिनट में ही शर्मिला ने साबित कर दिया कि वो पर्दे पर चमकने के लिए तैयार हैं। इसमें उन्होंने बालिका वधू का किरदार निभाया था।
देवी
1960 में आई देवी शर्मिला के करियर की दूसरी फिल्म थी। सत्यजीत रे के निर्देशन में बनी यह बंगाली फिल्म थी।इस फिल्म में
सौमित्र चटर्जी मुख्य भूमिका में थे। कहानी में शर्मिला को 'देवी' रूप में दिखाया जाता है। शर्मिला के ससुर उन्हें 'देवी काली' के अवतार में देखते हैं और फिर यहीं से कहानी मोड़ लेती है। शर्मिला इस किरदार को चैलेंजिंग मानती हैं।
कश्मीर की कली
1964 में शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित फिल्म 'कश्मीर की कली' से शर्मिला टैगोर ने हिंदी सिनेमा में अपनी पारी शुरू की थी। इसमें वो
शम्मी कपूर के साथ इश्क फरमाते नजर आती हैं। इस फिल्म में शम्मी और शर्मिला की केमिस्ट्री को लोगों ने खूब पसंद किया और शर्मिला की गिनती टॉप की अभिनेत्रियों में होने लगी।
फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब
अनुपमा
1966 की ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'अनुपमा' में पहली बार
धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर एक साथ नजर आए। यह फिल्म एक बाप-बेटी के रिश्ते को दर्शाती है, जिसमें बेटी पिता के प्यार के लिए तरसती है। वहीं, धर्मेंद्र इस फिल्म में एक लेखक और टीचर के किरदार में नजर आए थे। अनुपमा को बेस्ट हिंदी फिल्म कैटेगरी में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।
नायक
नायक सत्यजीत रे निर्देशित बंगाली फिल्म है। 1966 में रिलीज हुई फिल्म में शर्मिला ने एक पत्रकार का रोल निभाया था।
उत्तम कुमार एक दिग्गज अभिनेता की भूमिका में थे, जो ट्रेन से एक प्रतिष्ठित अवॉर्ड लेने दिल्ली जा रहा है। ट्रेन में उसकी मुलाकात जर्नलिस्ट से होती है और बातों-बातों में वो अपनी जिंदगी के कई पन्ने खोलता है। इसे बंगाली भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
एन ईवनिंग इन पेरिस
1967 में आई एन ईवनिंग इन पेरिस रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन शक्ति सामंत ने किया था। फिल्म में
शम्मी कपूर और शर्मिला ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। यह फिल्म शर्मिला के बोल्ड बिकिनी लुक के लिए भी चर्चा में रही थी।
फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब
आराधना
1969 में रिलीज हुई शक्ति सामंत निर्देशित 'आराधना' बॉलीवुड के कल्ट क्लासिक में से एक रही है। फिल्म में शर्मिला टैगोर और
राजेश खन्ना की जोड़ी नजर आती है, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया और फिल्म बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों में से एक बन गई। शर्मिला का काफी भावनात्मक किरदार था, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और उन्होंने किरदार के एक-एक इमोशन को बेहतरीन तरीके से बड़े पर्दे पर सबके सामने रखा।
अमर प्रेम
राजेश खन्ना के साथ शर्मिला ने कई क्लासिक फिल्मों में काम किया है, जिनमें से एक अमर प्रेम है, जिसका निर्देशन शक्ति सामंत ने किया था। 1972 में आई ये फिल्म बंगाली मूवी
निशी पद्मा का रीमेक थी, जिसमें उत्तम कुमार और साबित्री चटर्जी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। फिल्म में राजेश खन्ना अकेलेपन में रह रहे बिजनेसमैन और शर्मिला तवायफ की भूमिका में थीं। यह फिल्म अपनी कहानी के साथ गीत-संगीत के लिए भी जानी जाती है।
मौसम
1975 की फिल्म मौसम का निर्देशन
गुलजार ने किया था। इसमें शर्मिला टैगोर, हिंदी सिनेमा के एक और बेहतरीन कलाकार संजीव कुमार के साथ पेयर अप हुई थीं। शर्मिला ने फिल्म में मां और बेटी की दोहरी भूमिकाएं निभाई थीं। अपने अभिनय के लिए शर्मिला ने बेस्ट एक्ट्रेस कैटेगरी में नेशनल अवॉर्ड जीता था।
चुपके-चुपके
सिर्फ गंभीर और संवेदनशील ही नहीं, बल्कि शर्मिला ने कॉमेडी रोल्स को भी बखूबी निभाया। धर्मेंद्र,
अमिताभ बच्चन और बच्चन के साथ शर्मिला टैगोर की फिल्म 'चुपके-चुपके' एक लाइट कॉमेडी फिल्म थी।1975 में आई यह मूवी आज भी दर्शकों के लिए एक एवरग्रीन फिल्म है। वहीं, बॉलीवुड की यह एक क्लासिक कॉमेडी मूवी है। इस फिल्म में भी धर्मेंद्र और शर्मिला की जोड़ी ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया और ऑडियंस की दिलों में एक खास जगह बनाई।
नमकीन
1982 की फिल्म नमकीन का निर्देशन गुलजार ने किया था। फिल्म में शर्मिला के साथ
संजीव कुमार, शबाना आजमी और वहीदा रहमान ने प्रमुख किरदार निभाये थे। यह तीन कुंवारी बहनों की कहानी थी, जो अपनी मां के साथ हिमाचल प्रदेश के एक गांव में रहती हैं। नमकीन को बेस्ट ऑडियोग्राफी कैटेगरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था। यह भी पढ़ें:
Manoj Bajpayee Best OTT Movies- मनोज बाजपेयी की अदाकारी के लिए जरूर देखें ये 12 फिल्में, ओटीटी पर हैं मोजूद90 के दशक और उसके बाद शर्मिला की फिल्मों में सक्रियता कम हो गई। 2010 में ब्रेक के बाद फिल्म के बाद उन्होंने लम्बा ब्रेक लिया और इस साल
गुलमोहर के जरिए 13 साल बाद फिर फिल्मों का रुख किया। डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आई फिल्म में शर्मिला ने
मनोज बाजपेयी की मां का रोल निभाया था।