रंजीत ने ठुकरा दिया था शोले में 'गब्बर' का किरदार, इस वजह से स्वीकार नहीं किया सुपरहिट फिल्म में विलेन बनना
70 के दशक में आई रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) की फिल्म शोले (Sholay) ने खूब धूम मचाई। फिल्म की कहानी किरदार से लेकर गानों तक हर एक बात दर्शकों का दिल खुश कर गई। यहां तक कि सालों बाद आज भी शोले की छाप इतनी गहरी है कि ये हर वर्ग के दर्शकों के दिल में में पड़ जाती है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। शोले हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक आइकोनिक फिल्म है। ये ऐसी मूवी है, जो हर वर्ग के बीच अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है। शोले की जान इसके किरदारों में बसती है। जय- वीरू की कभी न टूटने वाली दोस्ती हो या फिर गब्बर सिंह का खलनायिकी भरा अंदाज। शोले में विलेन गब्बर सिंह के लिए एक लाइन लिखी- सो जा बेटा नहीं, तो गब्बर आ जाएगा। फिल्म ये डायलॉग आज भी लोकप्रिय है।
क्रूरता हो या उसके संगी- साथियों का उसकी जी-हुजूरी करना, शोले में विलेन के किरदार में अमजद खान अमर हो गए। हालांकि, फिल्म में उन्हें ये रोल किस्मत से मिला, जिसके पीछे एक बेहद दिलचस्प किस्सा छिपा हुआ है।यह भी पढ़ें- ईद पर रिलीज हुई इन फिल्मों ने काटा गदर, अक्षय कुमार या अजय देवगन नहीं, ये एक्टर है बॉक्स ऑफिस का असली सुल्तान
गब्बर बनने से किया इनकार
शोले जब बन रही थी, उस दौर में रंजीत विलेन के किरदार के लिए लोकप्रिय थे। अपनी हर फिल्म में उन्होंने विलेन को खूंखार बनाया और पर्दे पर छाप छोड़ी। ऐसे में शोले की कास्टिंग के दौरान गब्बर सिंह बनने के लिए उन्हें ऑफर दिया गया, लेकिन रंजीत ने इस आइकोनिक फिल्म में काम करने से साफ इनकार कर दिया।
जब काम से ज्यादा रिश्ता रखता था मायने
शोले को लेकर ऐसा नहीं था कि उन्हें फिल्म की कहानी या गब्बर सिंह का किरदार पसंद नहीं था। उनकी फिल्म से पीछे हटने की वजह दोस्ती थी। आज के दौर में अभिनेता एक- दूसरे से फिल्में छीनने में जरा भी देर नहीं करते, लेकिन उस दौर की बात ही अलग थी। जहां काम से ज्यादा अपने मायने रखते थे।