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Show Kyun Rishton Mein Katti Batti: असुरक्षा की भावना से बाहर निकलना होगा: नेहा मारदा

Show Kyun Rishton Mein Katti Batti पटना के व्यवसायी आयुष्मान अग्रवाल के साथ नेहा की शादी को लगभग आठ वर्ष हो गए। नेहा अब मातृत्व सुख के लिए तैयार हैं। नेहा मारदा जल्द शो क्यों रिश्तों में कट्टी बट्टी में नजर आएंगीl

By Rupesh KumarEdited By: Updated: Sun, 13 Dec 2020 09:38 AM (IST)
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नेहा मारदा शो क्यों रिश्तों की कट्टी बट्टी में वह शुभ्रा के किरदार में नजर आएंगीl

दीपेश पांडेय, जेएनएनl नेहा मारदा करीब पांच साल बाद स्थायी किरदार में टीवी में वापसी कर रही हैं। आगामी शो क्यों रिश्तों की कट्टी बट्टी में वह शुभ्रा के किरदार में नजर आएंगी...     

अभी नहीं करनी थी वापसी

नेहा कहती हैं, मैं अभी शो करने के मूड में नहीं थी। थोड़ा और ब्रेक चाहती थी। मेरी कुछ संस्थाएं हैं व पटना में नई प्रतिभाओं के लिए ट्रेनिंग एकेडमी है। इन्हेंं भी थोड़ा और वक्त देना चाहती थी। मैं हमेशा से ही सरस्वतीचंद्र और अफसर बिटिया जैसे शो के निर्देशक अरविंद बब्बल के साथ काम करना चाहती थी। इसीलिए उनका नाम सुनते ही मैंने बिना कहानी सुने इस शो के लिए हां कर दिया। मैंने लुक टेस्ट दिया। इससे सभी को विश्वास हो गया कि इस किरदार और भाषा शैली में मैं फिट दिखूंगी।

बुजर्गों की बात समझी

इस शो में काम करते हुए नेहा को बुजुर्गों की कही एक महत्वपूर्ण बात समझ में आयी। वह बताती हैं, निर्माता इस शो को एक पारिवारिक ड्रामा मानते हैं, लेकिन मेरी सोच उनसे अलग है। संयुक्त परिवार की अपेक्षा एकल परिवार में रहने वाले लोग इस कहानी से खुद को ज्यादा अच्छी तरह से जोड़ पाएंगे। इस शो का मुख्य आकर्षण बच्चे हैं, क्योंकि उनके आधार पर हम उनके माता-पिता के रिश्तों के बीच कट्टी (नाराजगी) और बट्टी (मेल-मिलाप) को दिखाएंगे। पति-पत्नी के बीच झगड़े को देखकर अक्सर घर के बुजुर्ग कहते हैं कि एक बच्चा पैदा कर लो सब ठीक हो जाएगा। मुझे बुजुर्गों की कही यह बात समझ में आई। बच्चे पैदा होने के बाद पति-पत्नी का एक-दूसरे को देखने का नजरिया बदल जाता है।

 

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आपसी समझदारी है जरूरी

बच्चों को सही संस्कार देने के लिए नेहा माता-पिता के बीच आपसी समझ को जरूरी समझती हैं। वह कहती हैं, हम बच्चों को जिस माहौल में रखते हैं वे वही चीजें सीखते हैं। अक्सर लोग छोटी-छोटी बातों में आपा खो देते हैं, यहां तक कि हाथ भी उठा देते हैं। इसका बच्चों पर गहरा असर पड़ता है। फिर बच्चों का अनुचित व्यवहार देखकर माता-पिता कहते हैं कि पता नहीं कहां से बच्चा यह सब सीखकर आ रहा है। बच्चे सबसे ज्यादा वक्त घर में बिताते हैं। इसलिए घरेलू माहौल और परवरिश का उन पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। बच्चों को सही संस्कार देने के लिए माता-पिता के बीच संयम, समझदारी और संतुलन जरूरी होता है। इससे वे अपनी समस्याएं आसानी से सुलझा सकते हैं।

 

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अपनी ताकत का एहसास जरूरी

महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा और अन्य अपराधों से चिंतित नेहा का कहना है, महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज के साथ-साथ आज के माता-पिता को भी सोच बदलने की जरूरत है। पहले मां बेटी को ससुराल विदा करते वक्त कहती थी कि तुम्हारे साथ जो भी हो बर्दाश्त कर लेना, अब ससुराल ही तुम्हारा घर है। घरेलू हिंसा उन्हीं के साथ होती है, जो बर्दाश्त करते हैं। जब महिलाएं अपने आपको कमजोर मानना बंद करेंगी, तभी हमारे समाज से ऐसी चीजें खत्म होंगी। अपने सुरक्षा और हक के लिए महिलाओं को बिना डरे अपना पक्ष रखने की जरूरत है। इसके साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनकर इस असुरक्षा की भावना से बाहर निकलना होगा कि पति को छोड़ने के बाद हम कहां जाएंगे। महिला सशक्तीकरण की दिशा में हर माता-पिता को यह बातें अपनी बेटियों को सिखानी चाहिए।

मातृत्व सुख के लिए तैयार

पटना के व्यवसायी आयुष्मान अग्रवाल के साथ नेहा की शादी को लगभग आठ वर्ष हो गए। नेहा अब मातृत्व सुख के लिए तैयार हैं। हल्की मुस्कराहट के साथ वह कहती हैं, 'अगर मैं यह शो नहीं कर रही होती तो अब तक मेरी प्रेग्नेंसी की खबरें चल रही होतीं। मैं मां बनना पसंद करूंगी। कई लोगों ने मुझसे बच्चे या काम में से किसी एक विकल्प को चुनने के लिए पूछा। मुझे काम के साथ बच्चा भी चाहिए। हर एक चीज की उम्र होती है। मैं अपनी मातृत्व की उम्र यूं ही नहीं बिताना चाहती। इस शो के बाद अगर भगवान की कृपा रही तो मेरी अगली योजना मां बनने की ही है।