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Ajay Devgn On Nepotism: 'लोगों को तबाह होते देखा है', नेपोटिज्म पर अजय देवगन ने दिया बोलती बंद करने वाला जवाब

Ajay Devgn On Nepotism कंगना रनोट के मुंह से करण जौहर के शो कॉफी विद करण-8 में निकला शब्द नेपोटिज्म अब सोशल मीडिया पर आए दिन सुनने को मिलता है। जब भी कोई स्टार किड डेब्यू करता है तो उसे ट्रोल से नेपोटिज्म को लेकर ताना सुनना पड़ता है। अब सनी देओल के बाद हाल ही में अजय देवगन ने भी नेपोटिज्म पर ट्रोल करने वालों को करारा जवाब दिया।

By Tanya AroraEdited By: Tanya AroraUpdated: Thu, 21 Dec 2023 05:38 PM (IST)
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नेपोटिज्म पर अजय देवगन ने दिया बोलती बंद करने वाला जवाब/ Photo- Instagram
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Koffee With Karan 8 Ajay Devgn: नेपोटिज्म आज के समय में एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर आए दिन होती है। जब भी स्टार किड बॉलीवुड में डेब्यू करता है, तो लोग उन्हें बिग स्क्रीन पर देखने से पहले ही अपना जजमेंट सुना देते हैं।

बॉलीवुड में भी ये मुद्दा आए दिन गरमाया रहता है। हाल ही में जब 'द आर्चीज' में सुहाना खान-खुशी कपूर और अगस्त्य नंदा जैसे स्टार किड्स ने जब अपना डेब्यू किया, तो लोगों ने उनकी एक्टिंग को लेकर उन्हें काफी सुनाया।

इस मुद्दे पर अब तक सलमान खान से लेकर सनी देओल सहित कई स्टार्स अपनी राय दे चुके हैं। हाल ही में अजय देवगन ने भी नेपोटिज्म को लेकर चुप्पी तोड़ी है और ऐसा जवाब दिया है कि ट्रोल्स की बोलती बंद हो जाएगी।

नेपोटिज्म पर अजय देवगन ने दी प्रतिक्रिया

अजय देवगन हाल ही में 'सिंघम' डायरेक्टर रोहित शेट्टी के साथ करण जौहर के शो 'कॉफी विद करण के सीजन 8 में खास मेहमान बनकर पहुंचे।

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इस दौरान होस्ट से बातचीत करते हुए अजय देवगन ने कहा, आज के समय में जब भी आप सोशल मीडिया पर जाओ, तो वहां लोग नेपोटिज्म का मुद्दा लेकर बैठे हुए हैं, लोग ये नहीं समझ पाते कि ये जनरेशन बहुत मेहनत कर रही है। किसी की कहानी आसान नहीं होती है, मैंने लोगों को तबाह होते हुए देखा है"।

संघर्ष सबके लिए बराबर होता है- अजय देवगन

अजय देवगन ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा,

"30-40 साल निकल जाते हैं, चाहे आप इंडस्ट्री के हो या नहीं हो, संघर्ष सबके लिए बराबर होता है। हार्ड वर्क तो करना ही पड़ता है। हम आज भी मेहनत कर रहे हैं, मेरे दोनों घुटने टूटे हुए हैं, लेकिन लोग आपकी मेहनत को नहीं देखते हैं। जब रोहित यहां पर एक असिस्टेंट के तौर पर आया हुआ था, तो उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अच्छा खाना खा सके"।

संघर्ष के बारे में बात करते हुए उन्होंने अपने पिता का उदाहरण भी दिया और बताया कि कैसे लोग मुंबई आते हैं और खुद को साल भर का समय देते हैं, अगर प्रोजेक्ट नहीं चलता तो, वो हर छह महीने में प्रोडक्शन हाउस जाते हैं और उनसे काम मांगते हैं।

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