Move to Jagran APP

मौत के बाद उनकी 14 फ़िल्में हुईं थी रिलीज़, जानें स्मिता पाटिल की दिलचस्प कहानी

निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक़, स्मिता के शव का सुहागन की तरह मेकअप किया गया।

By Hirendra JEdited By: Updated: Thu, 19 Oct 2017 11:28 AM (IST)
Hero Image
मौत के बाद उनकी 14 फ़िल्में हुईं थी रिलीज़, जानें स्मिता पाटिल की दिलचस्प कहानी
मुंबई। 17 अक्टूबर को स्मिता पाटिल का जन्मदिन होता है। अगर आज वो ज़िन्दा होतीं तो हम उनका 62 वां जन्मदिन मना रहे होते। 31 साल की कम उम्र में ही स्मिता पाटिल का निधन हो गया था। डेथ के बाद उनकी 14 फ़िल्में रिलीज हुईं। 'गलियों का बादशाह' उनकी आखिरी फ़िल्म थी।

आज भी जब कभी बॉलीवुड के संवेदनशील कलाकारों का ज़िक्र होता है तो उनमें स्मिता पाटिल का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। सिनेमा के आकाश पर स्मिता एक ऐसे सितारे की तरह हैं जिन्होंने अपनी सहज और सशक्त अभिनय से कमर्शियल सिनेमा के साथ-साथ समानांतर सिनेमा में भी अपनी एक ख़ास पहचान बनायी।

यह भी पढ़ें:  नेत्रदान तक कर चुकी हैं ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी, जानें उनसे जुड़ी कुछ और रोचक बातें

17 अक्टूबर 1955 को पुणे शहर में जन्मीं स्मिता के पिता शिवाजी राय पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे जबकि उनकी मां एक समाज सेविका थी। लगभग दो दशक तक अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों के बीच अलग पहचान बनाने वाली इस अभिनेत्री ने महज 31 वर्ष की उम्र में 13 दिसंबर 1986 को इस दुनिया को अलविदा कहा। स्मिता जब महज 16 साल की थीं तभी वो न्यूज रीडर की नौकरी करने लगी थीं। आपको बता दें, ख़बर पढने के लिए स्मिता दूरदर्शन में जींस पहन कर जाया करती थीं लेकिन, जब उन्हें न्यूज़ पढ़ना होता तो वो जींस के ऊपर से ही साड़ी लपेट लेतीं। 

इसी दौरान उनकी मुलाकात जाने माने निर्माता निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई और बेनेगल ने स्मिता की प्रतिभा को पहचान कर अपनी फ़िल्म 'चरण दास चोर' में एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर दिया। अस्सी के दशक में स्मिता ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर अपना रूख कर लिया। इस दौरान उन्हें तब के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ 'नमक हलाल' और 'शक्ति' में काम करने का मौका मिला। यह फ़िल्में कामयाब रहीं। 1985 में स्मिता पाटिल की फ़िल्म 'मिर्च मसाला' प्रदर्शित हुई। इसी साल भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुये उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया।

यह भी पढ़ें:  दिवाली की धूम शुरू, देखें इन 7 बॉलीवुड हसीनाओं का दिवाली टशन

एक दशक से छोटे फ़िल्मी सफ़र में स्मिता पाटिल ने अस्सी से ज्यादा हिंदी और मराठी फ़िल्मों में अभिनय के कई कीर्तिमान रचे। उनकी कुछ चर्चित फ़िल्में थीं - 'निशान्त', 'चक्र', 'मंथन', 'भूमिका', 'गमन', 'आक्रोश', 'अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है', 'अर्थ', 'बाज़ार', 'मंडी', 'मिर्च मसाला', 'अर्धसत्य', 'शक्ति', 'नमक हलाल', 'अनोखा रिश्ता' आदि। व्यवस्था के बीच पिसती एक औरत के संघर्ष पर आधारित केतन मेहता की फ़िल्म 'मिर्च-मसाला' ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई। फ़िल्म 'भूमिका' और 'चक्र' में श्रेष्ठ अभिनय के लिए दो नेशनल अवार्ड्स के अलावा दूसरी फ़िल्मों के अलावा उन्हें चार फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले।

स्मिता पाटिल की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनकी बढ़ती शोहरत के साथ-साथ विवादों के वजह से भी वो चर्चा में रहीं। स्मिता पाटिल पर घर तोड़ने का भी आरोप लगाया जाता रहा है। गौरतलब है कि जब राज बब्बर के साथ उनकी नजदीकियां कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थीं तब मीडिया ने उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी थी। क्योंकि राज की शादी नादिरा से हो चुकी थी और वो स्मिता के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चला रहे थे। ऐसे में लोगों को नादिरा से सहानुभूति थी और स्मिता को काफी भला-बुरा कहा जा रहा था। राज बब्बर के दो बेटे हैं। उनकी पहली पत्नी नादिरा से आर्य बब्बर और स्मिता से प्रतीक बब्बर।

स्मिता की जीवनी लिखने वाली लेखिका मैथिलि राव अपनी किताब में कहती हैं, "स्मिता पाटिल की मां स्मिता और राज बब्बर के रिश्ते के ख़िलाफ़ थीं। वो कहती थीं कि महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ने वाली स्मिता किसी और का घर कैसे तोड़ सकती है? लेकिन, राज बब्बर से अपने रिश्ते को लेकर स्मिता ने मां की भी नहीं सुनी।" आपको बता दें, प्रतीक के जन्म के कुछ घंटों बाद ही 13 दिसंबर 1986 को स्मिता का निधन हो गया।

मैथिलि राव कहती हैं, "स्मिता को वायरल इन्फेक्शन की वजह से ब्रेन इन्फेक्शन हुआ था। प्रतीक के पैदा होने के बाद वो घर आ गई थीं। वो बहुत जल्द हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार नहीं होती थीं, कहती थीं कि मैं अपने बेटे को छोड़कर हॉस्पिटल नही जाऊंगी। लेकिन जब ये इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया तो उन्हें जसलोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। स्मिता के अंग एक के बाद एक फ़ेल होते चले गए।" हालांकि राज बब्बर के साथ रिश्ता भी कुछ बहुत सहज नहीं रह गया था। स्मिता अपने आखिरी दिनों में बहुत अकेला महसूस करती थीं।

यह भी पढ़ें: कई एक्टर्स से जुड़ा नाम फिर भी रहीं अकेली, जानें सदाबहार रेखा के कुछ अनसुने किस्से

स्मिता पाटिल की एक आखिरी इच्छा थी। उनके मेक अप आर्टिस्ट दीपक सावंत के मुताबिक, "स्मिता कहा करती थीं कि दीपक जब मैं मर जाउंगी तो मुझे सुहागन की तरह तैयार करना।" निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक़, स्मिता के शव का सुहागन की तरह मेकअप किया गया।