Move to Jagran APP

'जब मौत के करीब थी तब भविष्य नहीं दिख रहा था', कैंसर के बाद सोनाली बेंद्रे के लिए खास बन गई फिल्म इंडस्ट्री

कैंसर मुक्त होने के बाद एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे (Sonali Bendre) काम पर लौट आईं। तीन मई से जी5 पर शुरू होने वाली वेब सीरीज द ब्रोकन न्यूज के दूसरे सीजन में वह फिर नजर आएंगी। इस बार प्रिंट के बाद कहानी न्यूज चैनल के बारे में होगी। सोनाली से उनकी इस वेब सीरीज डिजिटल प्लेटफार्म पर मिल रहे मौकों और फिल्म सरफरोश की यादों पर खास बातचीत.....

By Vaishali Chandra Edited By: Vaishali Chandra Updated: Fri, 26 Apr 2024 12:10 PM (IST)
Hero Image
कैंसर के बाद सोनाली बेंद्रे के लिए खास बन गई फिल्म इंडस्ट्री, (X Image)
प्रियंका सिंह, मुंबई। अभिनय से सोनाली बेंद्रे को तब और प्यार हो गया, जब साल 2018 में वह कैंसर से जूझ रही थीं। कैंसर मुक्त होने के बाद सोनाली काम पर लौट आईं। तीन मई से जी5 पर शुरू होने वाली वेब सीरीज द ब्रोकन न्यूज के दूसरे सीजन में वह फिर नजर आएंगी। सोनाली से उनकी इस वेब सीरीज, डिजिटल प्लेटफार्म पर मिल रहे मौकों और फिल्म सरफरोश की यादों पर खास बातचीत.....

यह भी पढ़ें- Priyanka Chopra के परिवार ने किराये पर दिया पुणे वाला बंगला, हर महीने इतने लाख का मिलेगा भुगतान, चौंका देगी रकम

आप अपने काम के प्रति काफी समर्पित रही हैं। क्या यही इस अनिश्चित इंडस्ट्री में लंबे समय तक टिके रहने का मंत्र है?

मेरी परवरिश ही ऐसे परिवार में हुई है, जहां यही सिखाया गया है कि आप जो भी करें, उसे पूरी शिद्दत से करें। अगर काम ले लिया है, तो उसे अंजाम तक पहुंचाएं। मैं तो इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस उम्र में भी काम मिल रहा है।

लेकिन कभी ऐसी परिस्थिति में भी तो रही होंगी, जहां काम हाथ में लेने के बाद समझ आया होगा कि यह वैसा काम नहीं है, जैसा सोचा था। तब क्या किया ?

मैं जीवन में हमेशा एक ही नीति पर चली हूं कि अगर मैंने अपनी जुबान दे दी है, तो उस काम को पूरा करती हूं। अगर हां करने के बाद वह काम नहीं पसंद आता है, तो बस सारी डेट्स उस काम को देकर उसे जल्दी खत्म करती हूं।

उम्र को अपना लेना कलाकार को संतुष्ट रखता है ?

हां, क्योंकि जो हो चुका है, उसके पीछे भागने का कोई मतलब नहीं है। सच यही है कि उम्र को कोई रोक नहीं सकता है। मुझे किसी ने एक खूबसूरत लाइन कही थी कि आपका शरीर एक उम्र तक बढ़ता है । उसके बाद आप एक-एक कदम अपने अंत की ओर बढ़ते हैं। उम्र बढ़ना इसी प्रक्रिया का हिस्सा है । अगर उसे अस्वीकार करेंगे और सोचेंगे कि मेरी त्वचा 20 साल जैसी ही लगे, तो नाखुश ही रहेंगे। मैं जब 20 साल की थी, तो उसकी उत्सुकता अलग थी, शादी हुई, मां बनी, तो अलग थी। हर पड़ाव पर नई चुनौतियां होती हैं। उम्र को अपनाएंगे, तो संतुष्ट रहेंगे।

आपने कहा था कि साल 2018 के बाद अभिनय के पेशे से और प्यार हो गया.....

हां, साल 2018 में मैं मौत के बहुत करीब थी। तब भविष्य नहीं दिख रहा था । जीवन का समय जब अचानक से कम हो जाता है, तो चीजों को लेकर और स्पष्टता आ जाती है। मैं कहती थी कि मुझे कभी एक्टर बनना ही नहीं था, लेकिन उस वक्त अहसास हुआ कि इस पेशे के मैं सबसे करीब हूं। मैंने खुद से तब एक सवाल पूछा था कि अगर मुझे दूसरा मौका मिला, तो मैं क्या करना चाहूंगी? जवाब था कि इसी इंडस्ट्री में काम करना है।

आज भी प्रासंगिक रहने का अहसास कैसा है?

बहुत सुकून देता है, क्योंकि आप आज की पीढ़ी से जुड़ पाते हैं। जब इंटरनेट मीडिया का दौर आया था और मुझे समझ नहीं आता था, तो लगता था कि क्या हुआ जो नहीं आता है लेकिन अब लगता है कि अच्छा हुआ सीख लिया। ऐसा नहीं है कि आप कलाकार हैं, इसलिए सीखना जरूरी है। पेशा कोई भी हो या आप रिटायर हों, फिर भी प्रासंगिक रहना चाहिए। मेरे पिता आज 88 साल के हैं। वह भी नई तकनीक सीखने का प्रयास करते हैं। प्रासंगिक होने की वजह से ही वह अपने पोते-पोतियों के साथ जुड़ पाते हैं।

डिजिटल प्लेटफार्म पर सीजन्स का दौर बतौर कलाकार किस किस्म की सिक्योरिटी महसूस करा रहा है ?

यह हमें मौका दे रहा है कि हमारे पास अलग तरह के सशक्त किरदार आएं। अब जिस ब्रिटिश सीरीज प्रेस पर द ब्रोकन न्यूज है, उसका केवल एक ही सीजन था। उनका शो अखबार की दुनिया था। हमारा शो न्यूज चैनल की दुनिया दिखा रहा है। हमारे पास दूसरे सीजन का विकल्प था। ऐसे में कलाकारों के पास दूसरे सीजन से जुड़ने का मौका तो होता ही है । मेरा किरदार इसमें काफी बदलेगा |

यह भी पढ़ें- Govinda के कृष्णा अभिषेक और कश्मीरा शाह ने छुए पैर, भांजी Arti Singh की शादी में पहुंचने पर कही ये बात

आपकी फिल्म सरफरोश जल्द ही रिलीज के 25 साल पूरे करेगी। आपके करियर में वह फिल्म क्या मायने रखती है ?

उस फिल्म में मेरा एक तकिया कलाम था कि डोन्ट माइंड (बुरा मत मानना), वह लोगों को आज भी याद है। मैं जॉन (फिल्म के निर्देशक जॉन मैथ्यू मैथन) की टांग खिंचाई करते हुए कहती थी कि मैं आपकी फिल्म का कॉमिक रिलीफ हूं, क्योंकि इस गंभीर फिल्म में मेरे स्क्रीन पर आने से थोड़ी राहत मिलती थी । यह कहते-कहते वही रोल इतना आइकॉनिक हो गया कि यकीन नहीं होता है। वह फिल्म पुरानी नहीं हुई है। आज की पीढ़ी भी उस फिल्म को देखती है।