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5 फ्लॉप फिल्मों के बाद Madhuri Dixit बनी थीं स्टार, 'धक-धक करने लगा' में एक्ट्रेस के 'आउच' की ये है कहानी

वो हिंदी सिनेमा में अबोध बनकर तो आईं मगर तेजाब बनकर छा गईं। माधुरी दीक्षित वो नाम जिनको देखकर दिल तो पागल होता ही है इश्क थोड़ा ज्यादा होकर डेढ़ गुणा बढ़ जाता है। वो हिंदी सिनेमा का ऐसा गुलाब हैं जो दयावान होकर अगर पूछती हैं कि हम आपके हैं कौन तो कुछ कहने को नहीं बचता। चंद्रमुखी माधुरी दीक्षित की जन्मतिथि (15 मई) पर अनंत विजय का आलेख...

By Karishma Lalwani Edited By: Karishma Lalwani Published: Sun, 12 May 2024 08:58 AM (IST)Updated: Sun, 12 May 2024 08:58 AM (IST)
बॉलीवुड एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित. फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

अनंत विजय, मुंबई। माधुरी दीक्षित हिंदी फिल्म जगत का ऐसा सितारा रही हैं, जिन्होंने फिल्मों में नृत्य की समृद्ध परंपरा को अपने नवाचार से विभूषित किया। माधुरी दीक्षित जब पर्दे पर नृत्य करती थीं, तो सिनेमाघर में बैठे दर्शक मंत्रमुग्ध होकर नायिका के शरीर के मूवमेंट्स में खो जाते थे। चाहे ‘तेजाब’ का प्रख्यात गाना ‘एक दो तीन चार’ हो या ‘बेटा’ का गीत ‘धक धक करने लगा’ या फिर ‘खलनायक’ का गीत ‘चोली के पीछे क्या है’ या ‘देवदास’ का गीत ‘डोला रे डोला’ और ‘मार डाला’ हो। यह सूची और लंबी हो सकती है।

बिरजू महाराज और एम.एफ हुसैन तक थे फैन

हिंदी फिल्मों में सितारा देवी से लेकर त्रावणकोर सिस्टर्स के नाम से मशहूर रागिनी, पद्मिनी और ललिता के अलावा वैजयंती माला, आशा पारिख, वहीदा रहमान, हेमा मालिनी, रेखा और श्रीदेवी की जो परंपरा रही, उसको माधुरी ने अपने नृत्य कौशल से नई ऊंचाई दी। यह अनायास नहीं था कि लता मंगेशकर ने कहा था कि माधुरी की नृत्यकला को देखकर उनको वहीदा रहमान की याद आती है क्योंकि माधुरी उनकी ही तरह की समर्थ नृत्यांगना हैं।

लता मंगेशकर ही नहीं बल्कि चित्रकार एम.एफ.हुसैन से लेकर बिरजू महाराज तक माधुरी की नृत्य प्रतिभा के कायल थे। बिरजू महाराज ने तो संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ में माधुरी के गीतों को कोरियोग्राफ भी किया था। हुसैन ने तो यहां तक कह दिया था कि माधुरी दीक्षित के चेहरे का भाव और शरीर की लय और लचक देखकर उनको ग्रेटा गार्बो और मर्लिन मुनरो की याद आती है।

माधुरी के डांस और चेहरे के भाव ने जीता दिल 

कहीं पढ़ा था कि जब माधुरी दीक्षित का फिल्मों में पदार्पण हो रहा था, तो वो दौर बदलाव का था। एंग्री यंगमैन की टाइप्ड भूमिकाओं वाली फिल्मों से लोगों का मोहभंग हो गया था। सिनेमाघर में जाकर फिल्म देखने की दर्शकों की रुचि भी बदल रही थी। लोग फिल्मों के कैसेट किराए पर लाकर घर पर ही वीडियो कैसेट प्लेयर पर फिल्में देखने लगे थे। कहा जाता है कि माधुरी दीक्षित के डांस ने दर्शकों की इस बदलती रुचि पर ब्रेक लगाया था, उनको फिर से सिनेमाहॉल तक खींच लाया था। दरअसल माधुरी जब नृत्य करती थीं, तो उनके चेहरे का भाव और कैमरे के लेंस को देखती आंखें दर्शकों को रिझाती थीं, शारीरिक लय भी। 

माधुरी को ऐसे मिला 'धक-धक' गर्ल का नाम

आप याद करिए फिल्म ‘खलनायक’ का गीत ‘चोली के पीछे क्या है’, इस गाने में माधुरी के शरीर का मूवमेंट, उसका रिदम और कैमरे पर देखती आंखें गजब प्रभाव पैदा करती हैं। ये बहुत कम होता है कि किसी गाने के बोल पर नायिका का नाम पड़ जाए। फिल्म ‘बेटा’ का एक गाना है ‘धक-धक करने लगा’। इस गाने के बाद से माधुरी का नाम ही धक-धक गर्ल पड़ गया। इस गाने के नृत्य के दौरान उनकी सेंसुअस अदा को जिस तरह से फिल्माया गया है, वो अप्रतिम है। गाने के दौरान जिस तरह की लाइटिंग की गई, वो पूरे माहौल को मादक बना देता है। इस माहौल में माधुरी के स्टेप्स, मूवमेंट और चेहरे के भाव की सपनीली दुनिया से दर्शकों का निकलना मुश्किल हो जाता था। ये माहौल सिनेमाहॉल में ही मिलता था।

'धक-धक करने लगा' में कैसे आया 'आउच'

फिल्म ‘बेटा’ के गीत का मुखड़ा है, ‘धक-धक करने लगा, हो मोरा जियरा डरने लगा। सैंया बैंया छोड़ ना, कच्ची कलियां तोड़ ना’। मुखड़े के पहले गायिका 'आउच' बोलती है। आउच के बाद गहरी सांस का साउंड इफेक्ट है। आउच और गहरी सांस के साउंड इफेक्ट पर माधुरी जिस प्रकार से शरीर में लय पैदा करती हैं, वो इस गाने को शेष बना देता है। इस गीत के मुखड़े के पहले आउच जोड़ने की दिलचस्प कहानी है। जब समीर ने इसको लिखा था तब मुखड़े के पहले आउच नहीं था। गाने की रिकॉर्डिंग के समय गायिका अनुराधा पौडवाल ने संगीतकार आनंद-मिलिंद को 'आउच' जोड़ने का सुझाव दिया था। फिर आउच के हिसाब से ही गहरी सांस का साउंड इफेक्ट रचा गया।

'तेजाब' ने बदली किस्मत

किसे पता था कि राजश्री प्रोडक्शन की फ्लाप फिल्म ‘अबोध’ से फिल्मी करियर का आरंभ करने वाली माधुरी दीक्षित एक दिन हिंदी फिल्मों की सुपरस्टार बनेंगी। ऐसी सुपरस्टार जिनका फिल्म के पोस्टर पर नाम होना ही फिल्मों की सफलता की गारंटी होगी। इस सफलता के पीछे एक लंबा संघर्ष है। पहली फिल्म के असफल होने के बाद वो वापस पढ़ाई की ओर लौट गईं, लेकिन फिल्मों में काम करने की ललक बनी रही। इसी ललक के कारण माधुरी ने कई बी ग्रेड फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं कीं।

लगातार पांच फिल्में फ्लाप

ये वो दौर था जब माधुरी को बी ग्रेड फिल्मों की अभिनेत्री कहा गया था। इन असफलताओं ने माधुरी के इरादों को मजबूती दी। माधुरी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि फिल्मों के असफल होने के कारण उनके अंदर गुस्सा था। उनको लगता था कि वो जो करना चाहती हैं, उसमें असफल कैसे हो रही हैं। वो स्वयं को सही और दूसरों को गलत साबित करना चाहती थीं। तभी एन.चंद्रा की फिल्म 'तेजाब' आई और माधुरी स्टार बन गईं। उसके बाद की कहानी तो इतिहास में दर्ज है।

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