5 फ्लॉप फिल्मों के बाद Madhuri Dixit बनी थीं स्टार, 'धक-धक करने लगा' में एक्ट्रेस के 'आउच' की ये है कहानी
वो हिंदी सिनेमा में अबोध बनकर तो आईं मगर तेजाब बनकर छा गईं। माधुरी दीक्षित वो नाम जिनको देखकर दिल तो पागल होता ही है इश्क थोड़ा ज्यादा होकर डेढ़ गुणा बढ़ जाता है। वो हिंदी सिनेमा का ऐसा गुलाब हैं जो दयावान होकर अगर पूछती हैं कि हम आपके हैं कौन तो कुछ कहने को नहीं बचता। चंद्रमुखी माधुरी दीक्षित की जन्मतिथि (15 मई) पर अनंत विजय का आलेख...
अनंत विजय, मुंबई। माधुरी दीक्षित हिंदी फिल्म जगत का ऐसा सितारा रही हैं, जिन्होंने फिल्मों में नृत्य की समृद्ध परंपरा को अपने नवाचार से विभूषित किया। माधुरी दीक्षित जब पर्दे पर नृत्य करती थीं, तो सिनेमाघर में बैठे दर्शक मंत्रमुग्ध होकर नायिका के शरीर के मूवमेंट्स में खो जाते थे। चाहे ‘तेजाब’ का प्रख्यात गाना ‘एक दो तीन चार’ हो या ‘बेटा’ का गीत ‘धक धक करने लगा’ या फिर ‘खलनायक’ का गीत ‘चोली के पीछे क्या है’ या ‘देवदास’ का गीत ‘डोला रे डोला’ और ‘मार डाला’ हो। यह सूची और लंबी हो सकती है।
बिरजू महाराज और एम.एफ हुसैन तक थे फैन
हिंदी फिल्मों में सितारा देवी से लेकर त्रावणकोर सिस्टर्स के नाम से मशहूर रागिनी, पद्मिनी और ललिता के अलावा वैजयंती माला, आशा पारिख, वहीदा रहमान, हेमा मालिनी, रेखा और श्रीदेवी की जो परंपरा रही, उसको माधुरी ने अपने नृत्य कौशल से नई ऊंचाई दी। यह अनायास नहीं था कि लता मंगेशकर ने कहा था कि माधुरी की नृत्यकला को देखकर उनको वहीदा रहमान की याद आती है क्योंकि माधुरी उनकी ही तरह की समर्थ नृत्यांगना हैं।
लता मंगेशकर ही नहीं बल्कि चित्रकार एम.एफ.हुसैन से लेकर बिरजू महाराज तक माधुरी की नृत्य प्रतिभा के कायल थे। बिरजू महाराज ने तो संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ में माधुरी के गीतों को कोरियोग्राफ भी किया था। हुसैन ने तो यहां तक कह दिया था कि माधुरी दीक्षित के चेहरे का भाव और शरीर की लय और लचक देखकर उनको ग्रेटा गार्बो और मर्लिन मुनरो की याद आती है।
माधुरी के डांस और चेहरे के भाव ने जीता दिल
कहीं पढ़ा था कि जब माधुरी दीक्षित का फिल्मों में पदार्पण हो रहा था, तो वो दौर बदलाव का था। एंग्री यंगमैन की टाइप्ड भूमिकाओं वाली फिल्मों से लोगों का मोहभंग हो गया था। सिनेमाघर में जाकर फिल्म देखने की दर्शकों की रुचि भी बदल रही थी। लोग फिल्मों के कैसेट किराए पर लाकर घर पर ही वीडियो कैसेट प्लेयर पर फिल्में देखने लगे थे। कहा जाता है कि माधुरी दीक्षित के डांस ने दर्शकों की इस बदलती रुचि पर ब्रेक लगाया था, उनको फिर से सिनेमाहॉल तक खींच लाया था। दरअसल माधुरी जब नृत्य करती थीं, तो उनके चेहरे का भाव और कैमरे के लेंस को देखती आंखें दर्शकों को रिझाती थीं, शारीरिक लय भी।माधुरी को ऐसे मिला 'धक-धक' गर्ल का नाम
आप याद करिए फिल्म ‘खलनायक’ का गीत ‘चोली के पीछे क्या है’, इस गाने में माधुरी के शरीर का मूवमेंट, उसका रिदम और कैमरे पर देखती आंखें गजब प्रभाव पैदा करती हैं। ये बहुत कम होता है कि किसी गाने के बोल पर नायिका का नाम पड़ जाए। फिल्म ‘बेटा’ का एक गाना है ‘धक-धक करने लगा’। इस गाने के बाद से माधुरी का नाम ही धक-धक गर्ल पड़ गया। इस गाने के नृत्य के दौरान उनकी सेंसुअस अदा को जिस तरह से फिल्माया गया है, वो अप्रतिम है। गाने के दौरान जिस तरह की लाइटिंग की गई, वो पूरे माहौल को मादक बना देता है। इस माहौल में माधुरी के स्टेप्स, मूवमेंट और चेहरे के भाव की सपनीली दुनिया से दर्शकों का निकलना मुश्किल हो जाता था। ये माहौल सिनेमाहॉल में ही मिलता था।