Subhash Ghai: स्टूडियो में नहीं दी जाती थी एंट्री, पहली फिल्म 7 बार रिजेक्ट, एक्टर से ऐसे बने डायरेक्टर
Subhash Ghai Birthday Special 24 जनवरी को सुभाष घई 79 साल के हो जाएंगे। सुभाष घई सिर्फ डायरेक्टर नहीं बल्कि एक एक्टर प्रोड्यूसर और राइटर भी रह चुके हैं। उन्होंने सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। मगर फिल्मों में आने का सफर आखिर उन्होंने कैसे तय किया इस बात से लोग कम रूबरू हैं। तो चलिए जानते हैं कि वह कैसे फिल्मों में आयेय़
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Happy Birthday Subhash Ghai: जब भी बात सिनेमा जगत के बेहतरीन निर्देशकों की आएगी, तब 'खलनायक', 'हीरो' और 'राम लखन' जैसी फिल्में बनाने वाले सुभाष घई (Subhash Ghai) का नाम जरूर लिया जाएगा। 24 जनवरी 1945 को नागपुर में जन्में सुभाष के पिता एक डेंटिस्ट थे। कॉमर्स में ग्रेजुएशन करने के बाद सुभाष ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से सिनेमा की तालीम हासिल की।
सुभाष घई जब फिल्मी दुनिया में आये, तब उन्हें नहीं पता था कि एक दिन वह राज कपूर के बाद सिनेमा के दूसरे 'शोमैन' बन जाएंगे और सुपरहिट फिल्मों की झड़ी लगा देंगे। 79 साल के सुभाष ने अपने करियर में बतौर डायरेक्टर कई सुपरहिट फिल्मों का निर्देशन किया है। मगर शायद ही आपको पता हो कि निर्देशक से पहले वह एक एक्टर थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर एक्टर की थी।
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स्टूडियो में नहीं मिलती थी एंट्री
सुभाष घई ने डायरेक्टर बनने से पहले एक्टिंग में हाथ आजमाया था। उनकी पहली फिल्म थी 'अराधना'। हालांकि, इस फिल्म को पाने के लिए सुभाष ने खूब हाथ-पैर मारे। राज्य सभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें स्टूडियो में घुसने तक नहीं दिया जाता था, क्योंकि वह फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं थे और लोग उन्हें नहीं जानते थे।
सुभाष के सामने तमाम मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह सिनेमा में जाने के तरकीब ढूंढा करते थे। एक दिन उन्हें यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टैस्ट में पार्टिसिपेट करने का मौका मिला और 5000 हजार कंटेस्टेंट्स में वह उन तीन लोगों में शामिल थे जो इसमें सिलेक्ट हुए। वो तीन लोग सुभाष, राजेश खन्ना और धीरज कुमार थे।
फिल्मों में नहीं चला सुभाष घई का जादू
कॉन्टेस्ट जीतने के बावजूद सुभाष घई को फिल्म मिलने में जद्दोजहद करना पड़ा। एक तरफ राजेश खन्ना को तुरंत फिल्मों में काम मिल गया, वहीं सुभाष को एक साल बाद फिल्म 'अराधना' से डेब्यू करने का मौका मिला। इसके बाद वह 'उमंग', 'शेरनी' और 'नाटक' जैसी फिल्मों में नजर आये। बतौर एक्टर सुभाष घई नहीं चमके। उन्होंने कहानी लिखना और उन्हें डिस्ट्रीब्यूट करना शुरू किया।
सात बार रिजेक्ट हुई थी पहली फिल्म
सुभाष घई का एक्टिंग करियर भले ही सही न चला हो, लेकिन डायरेक्टर के तौर पर वह खूब चमके। बिना किसी अनुभव के साल 1976 में 'कालीचरण' से सुभाष ने निर्देशन शुरू किया। इस एक्शन ड्रामा में शत्रुघ्न सिन्हा, रीना रॉय और अजीत खान मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि एनएन सिप्पी के अप्रूवल से पहले इस फिल्म को सात बार रिजेक्ट कर दिया गया था। आखिर में सिप्पी ने सुभाष को मौका दिया और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही।
सुभाष घई ने 2016 तक कुल 16 फिल्में डायरेक्ट और निर्देशित कीं, जिनमें ज्यादातर हिट रहीं। वह करीब 31 फिल्मों का निर्माण भी कर चुके हैं। बतौर प्रोड्यूसर उनकी ज्यादातर फिल्में एवरज रही हैं। आखिरी बार सुभाष घई ने '36 फार्महाउस' (2022) का निर्माण और लेखन किया था।
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