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'जिनके साथ फिल्म बनाई वह तब नहीं थे स्टार', Subhash Ghai ने यंग जेनरेशन को काम से जुड़ी दी खास एडवाइज

सुभाष घई (Subhash Ghai) के आर्ट को हिंदी सिनेमा में काफी पसंद किया जाता रहा है। उन्होंने परदेस कालीचरण कर्ज हीरो जैसी कई फिल्में बनाईं जिनमें से अधिकतर बॉक्स ऑफिस पर सफल ही रहीं। हाल ही में अरबाज खान को दिए इंटरव्यू में सुभाष घई ने बताया कि वह हिट फिल्में देने के बावजूद अपनी मूवीज को क्यों नहीं देखते हैं।

By Jagran News Edited By: Karishma Lalwani Updated: Wed, 07 Aug 2024 09:13 AM (IST)
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डायरेक्टर सुभाष घई. फोटो क्रेडिट - इंस्टाग्राम
जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। हिंदी सिनेमा में क्राफ्ट का अहम योगदान है। अगर क्रिएटिवनेस के बिना फिल्म सादे अंदाज में बनाई गई है, तो ऐसा कम ही होता है कि ऑडियंस उसे स्वीकार करे। सुभाष घई की गिनती बॉलीवुड के उन डायरेक्टर्स में होती है, जिन्होंने हिट फिल्मों के साथ-साथ इंडस्ट्री को नए स्टार्स भी दिए हैं। 

दर्शकों के लिए फिल्में बनाने वाले मेकर्स अपनी फिल्मों को रिलीज से पहले बार-बार देखते हैं ताकि अगर कोई कमी रह गई हो, तो वह उसे ठीक कर लें। हालांकि सौदागर, खलनायक फिल्मों के निर्देशक सुभाष घई (Subhash Ghai) की बात करें, तो वह अपनी बनाई फिल्म रिलीज से पहले तो देख लेते हैं, लेकिन रिलीज के बाद नहीं देखते हैं। 

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अपनी फिल्मों को नहीं देखते सुभाष घई

अभिनेता अरबाज खान के शो द इन्विंसिबल्स पर बतौर मेहमान बनकर पहुंचे सुभाष ने कहा, ''मैं अपनी फिल्में देखता ही नहीं हूं। एक बार फिल्म रिलीज हुई, हिट हुई तो फिर देखी नहीं। मैं पुरानी फिल्में नहीं देखता हूं क्योंकि मैं उसकी यादों से जुड़े नहीं रहना चाहता हूं। आज जो कर रहा हूं, उसी में आनंद आता है।''

'जिनके साथ काम किया वह स्टार नहीं थे'

सुभाष ने कहा, ''कई लोग हैं, जो अतीत में रहना पसंद करते हैं। मुझे लगता है कि वर्तमान को बेहतर करना चाहिए। आगे परदेस फिल्म में शाह रुख खान के साथ काम करने के अनुभवों को लेकर सुभाष कहते हैं कि मैंने जिन कलाकारों के साथ काम किया, वह तब स्टार नहीं थे, लेकिन उनमें एक क्वॉलिटी थी, जिन्होंने उन्हें स्टार बनाया।'' जब पूछा गया कि वह निर्देशन में कब लौटेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि अच्छी कहानी मिल जाएगी तो कभी भी फिल्म बना दूंगा।

यंग जेनरेशन को दी ये एडवाइज

सुभाष ने आज की पीढ़ी को एप्स का ज्यादा इस्तेमाल न करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जितना हो सके, शरीर से काम लें यानी तकनीक के भरोसे न टिके रहें। गूगल, यूट्यूब और टेक्नोलॉजी से जुड़ी कई चीजें आती रहेंगी, लेकिन इंसान अपनी तरक्की अपने दिमाग के बल पर खुद कर सकता है।

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