'नया बच्चा आया है तो नई आवाज ढूंढेगा', पुराने सिंगर्स को काम न देने पर बोले 'लगी आज सावन...' गायक सुरेश वाडकर
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले सुरेश वाडकर ने हृदय में श्री राम हैं.. भजन गाया था। इसके लिए उन्हें देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से प्रशंसा मिली थी। अब रामनवमी के मौके पर उनका नया भजन गीत रामायण.. रिलीज हो रहा है जिसमें उन्होंने श्रीराम के बचपन से लेकर विवाह तक के प्रसंगों की संगीतमय प्रस्तुति दी है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। लगी आज सावन की.. और बोल राधा बोल... जैसे कई सदाबहार गानों के गायक सुरेश वाडकर बचपन से ही बच्चों को धर्म और संस्कार की सीख देने में विश्वास रखते हैं। पद्मश्री से सम्मानित सुरेश ने फिल्मों के साथ-साथ कई सदाबहार भजन भी गाए हैं। अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले उन्होंने हृदय में श्री राम हैं.. भजन गाया था। इसके लिए उन्हें देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से प्रशंसा मिली थी। अब रामनवमी के मौके पर उनका नया भजन गीत रामायण.. रिलीज हो रहा है जिसमें उन्होंने श्रीराम के बचपन से लेकर विवाह तक के प्रसंगों की संगीतमय प्रस्तुति दी है।
इस बारे में दैनिक जागरण से बातचीत में सुरेश बताते हैं, 'इस गाने के संगीतकार गोविंद प्रसन्न सरस्वती मेरे पुराने जानने वाले हैं। उन्होंने मुझे फोन करके इस गाने के बारे में बताया। फिर मैंने कहा कि ठीक है, प्रभु श्रीराम के चरणों में अपनी सेवा जरूर अर्पित करेंगे। बस फिर यह भजन गा दिया। इसमें प्रभु श्री रामचंद्र जी के बचपन से लेकर उनके विवाह तक के प्रसंग बहुत खूबसूरती से लिखे गए हैं।'
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अब धार्मिक कार्यों में ड्यूटी
पिछले कुछ वर्षों में फिल्मी गीतों में सुरेश की सक्रियता काफी काम दिखी है। इसका कारण वह बताते हैं, 'अब सिनेमा में नए-नए कलाकार आ गए हैं। हमारे आज के कथित संगीतकारों को लगता है कि नया बच्चा आया है तो नई आवाज ढूंढेगा। अरे भाई ... हम लोग भी तो गाने के लिए ही बैठे हैं। हमारी आवाज तो पुरानी नहीं हुई है या ऐसा भी नहीं कि अब हम गा नहीं सकते हैं। फिर पता नहीं हमें क्यों नहीं बुला रहे हैं। हो सकता है कि अब ऊपर वाले ने हमारी ड्यूटी धार्मिक कामों को करने में लगाई हो ।'
स्थाई है भक्ति की भावना
रामकथा से जुड़ाव और अपने जीवन पर उसके प्रभाव को लेकर सुरेश कहते हैं, 'हम सब की जिंदगी पर श्री राम कथा का बहुत असर रहा है। आज भी जब हम जब रामायण से जुड़ा कोई प्रसंग टीवी पर देखते हैं तो बिना कारण ही आंखों में आंसू आ जाते हैं। प्यार और गुस्से जैसी बाकी की सारी भावनाएं तो क्षणभंगुर होती हैं, लेकिन भगवान से जुड़ी आस्था और उम्मीद की भावनाएं स्थाई होती हैं। माता-पिता को बचपन से ही अपने बच्चों को हमारे धर्म, हमारी संस्कृति और भगवान की शक्ति के बारे में सीख देनी चाहिए। हमारे यहां तो ऐसा था कि बचपन में अगर राम रक्षा स्तोत्र और गायत्री मंत्र नहीं बोलते थे, तो खाने की थाली भी सामने नहीं मिलती थी ।'यह भी पढ़ें- 'बड़े मियां छोटे मियां' के निर्देशक सुनील ग्रोवर से करवा चुके हैं 'तांडव', चकनाचूर हो गई थी कॉमेडी वाली छवि