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शौक के लिए शुरू की एक्टिंग बन गई थी मजबूरी, कैसे ताहिरा परब बनी थीं सबको हंसाने वाली 'गुड्डी?

इंडियन सिनेमा में बहुत ही कम फीमेल कॉमेडियन रही हैं जिन्हें देखते ही दर्शकों के चेहरों पर एक बड़ी सी मुस्कान आ जाती थी। उनके बोलने का अंदाज लोगों को बहुत पसंद आता था। साइड कैरेक्टर के बावजूद दर्शकों की निगाहें उनसे नहीं हटती थी। इन्हीं में से एक थी गुड्डी मारुति जिन्होंने अक्षय से लेकर गोविंदा तक के साथ काम किया और लोगों को खूब हंसाया।

By Tanya Arora Edited By: Tanya Arora Updated: Fri, 28 Jun 2024 10:51 PM (IST)
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इन्होने ताहिरा परब को बनाया 'गुड्डी मारुति' / फोटो- जागरण ग्राफिक्स

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा में हमेशा से ये मिथ रहा है कि पर्दे पर छाने के लिए स्लिम-ट्रिम होना बेहद जरूरी है। आज भी जाह्नवी कपूर से लेकर सारा अली खान और अनन्या पांडे तक, तमाम अभिनेत्रियां ऐसी हैं, जो जिम में घंटों पसीना बहाती हैं।

हिंदी सिनेमा में समय-समय पर ऐसी अभिनेत्रियां आती रहीं हैं, जिन्होंने एक्ट्रेस के बने-बनाये खांचे को अपने हुनर से चकनाचूर किया। ऐसी एक अदाकारा की दस्तक हुई अस्सी के दौर में, जिन्होंने पर्दे पर ऐसा टैलेंट दिखाया कि दर्शक की नजर उनकी अदाकारी पर अटककर रह जाती थी।

वो अदाकारा कोई और नहीं, गुड्डी मारुति हैं। अस्सी और नब्बे के दौर में गुड्डी ने चरित्र किरदारों में अपनी कॉमिक टाइमिंग से खूब तालियां बटोरी थीं, लेकिन यह बात जानकर आपको शायद हैरानी हो कि गुड्डी ने एक्टिंग की शुरुआत शौकिया तौर पर की थी और फिर इस पेशे में ऐसी रमीं कि इसी दुनिया की होकर रह गईं। आपको बताते हैं कि कैसे ताहिरा परब इंडस्ट्री में 'गुड्डी मारुति' बनकर मशहूर हुईं। ?

कैसे ताहिरा परब बनीं गुड्डी मारुति?

गुड्डी मारुति का जन्म 4 अप्रैल 1960 में मुंबई में एक महाराष्ट्रियन परिवार में हुआ था। वह अपने जमाने के मशहूर कॉमेडियन मारुतिराव परब की बेटी हैं। उनके पिता ने भी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया था। गुड्डी मारुति का असली नाम ताहिरा परब है।

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घर में सब एक्ट्रेस को प्यार से 'गुड्डी' बुलाते थे। ताहिरा के पिता के साथ-साथ उनकी मां भी फिल्मी दुनिया से जुड़ी हुई थीं। उनका स्क्रीन नाम 'कमल' था। अपने माता-पिता की तरह ही गुड्डी भी एक्टिंग करना चाहती थीं। शुरुआत में तो उन्होंने इंडस्ट्री में ताहिरा परब बनकर ही काम किया, लेकिन बाद में उन्हें मशहूर निर्देशक मनमोहन देसाई ने 'गुड्डी मारुति' स्क्रीन नेम दिया।

जब शौक बना था गुड्डी मारुति के लिए मजबूरी

गुड्डी मारुति, जिन्हें बचपन से ही एक्टिंग का शौक था, उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था, जब वह पूरी तरह से बिखर गयी थीं। एक्ट्रेस तबस्सुम ने गुड्डी मारुति की कहानी शेयर करते हुए बताया था कि साल 1981 में उनके पिता 'मारुति परब' का निधन हो गया था, जिसके बाद एक्ट्रेस का शौक उनके लिए मजबूरी बन गया था।

शुरुआत में वह अपने शौक के लिए फिल्मों में काम करती थीं, लेकिन पिता के निधन के बाद परिवार चलाने के लिए यही काम उनके लिए मजबूरी बन गया। उनके सामने जैसे भी रोल आते, वह उन्हें साइन कर लेती थीं। उनका मकसद काम करना और सिर्फ पैसे कमाना था। गुड्डी मारुति ने अपने पूरे करियर में हिंदी फिल्मों के अलावा रीजनल सिनेमा और टीवी में भी काम किया है।

इस फिल्म से की थी गुड्डी ने अपनी शुरुआत

साल 1975 में गुड्डी मारुति को देवानंद के छोटे भाई विजय आनंद ने फिल्म 'जान हाजिर है' में पहला ब्रेक दिया। उन्होंने पहली ही फिल्म में हीरोइन की सहेली का किरदार निभाया था।

इसके बाद उन्होंने साल 1980 में आई 'सौ दिन सास के' फिल्म में अहम भूमिका निभाई। उनकी कॉमेडी देखकर दर्शक खूब हंसे थे। इन फिल्मों के अलावा गुड्डी ने 'मां कसम', आग और शोला, नगिना, मेरा पति सिर्फ मेरा है, शोला और शबनम जैसी फिल्मों में अपनी शानदार कॉमेडी की छाप छोड़ी।

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