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The Kashmir Files Nadav Lapid Row: जानिए- IFFI में क्यों बनायी जाती है इंटरनेशनल फिल्मकारों की ज्यूरी?

The Kashmir Files Nadav Lapid Row भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह एशिया के सबसे बड़े फिल्म समारोहों में शामिल हैं। पुरस्कार समारोह हर साल गोवा में आयोजित किये जाते हैं जहां देसी और विदेशी फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाती है और फिल्मकारों को सम्मानित किया जाता है।

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Tue, 29 Nov 2022 04:42 PM (IST)
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The Kashmir Files Vulgar Propaganda Row. Photo- Instagram
नई दिल्ली, जेएनएन। गोवा में सोमवार को अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के समापन कार्यक्रम में ज्यूरी हेड और इजरायली फिल्ममेकर नदाव लपिड ने विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स को वल्गर और प्रोपेगंडा फिल्म कहा था। लपिड ने फिल्म समारोह में द कश्मीर फाइल्स को शामिल करने पर भी सवाल उठाया था। नदाव लपिड के इस बयान के बाद सोशल मीडिया में जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है।

फिल्म से जुड़े कलाकारों से लेकर सोशल मीडिया यूजर्स और दूसरे सेलिब्रिटीज इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ राजनीतिक बयान भी आ चुके हैं। यहां तक कि इजरायल के राजदूत ने भी नदाव के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें माफी मांगने के लिए कहा। इस सब बवाल के बीच सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में यह ज्यूरी बनती क्यों है? इसका गठन कैसे होता है और कौन करता है? आइए, इन सवालों के जवाब तलाशते हैं। 

1952 में पड़ी थी IFFI की बुनियाद

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भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (IFFI) की बुनियाद 1952 में रखी गयी थी। यह एशिया के सबसे बड़े फिल्म फेस्टिवल्स में शामिल है। समारोह हर साल गोवा में आयोजित किया जाता है। इनका आयोजन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NFDC) और गोवा की राज्य सरकार मिलकर करते हैं। समारोह में देश-विदेश के सिनेमा को सेलिब्रेट करते हुए कुछ बेहतरीन फिल्मों की स्क्रीनिंग रखी जाती है। फिल्मों से विभिन्न विषयों को लेकर विभिन्न सत्रों में चर्चा की जाती है, जिनमें कलाकार और फिल्मकार भाग लेते हैं।साथ ही, फिल्मों के लिए पुरस्कार भी दिये जाते हैं।

  • बेस्ट फिल्म के लिए गोल्डन पीकॉक 
  • बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्टर मेल, बेस्ट एक्टर फीमेल, स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड श्रेणियों में सिल्वर पीकॉक दिया जाता है। 
  • लाइफटाइम एचीवमेंट और इंडियन पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर पुरस्कार भी बांटे जाते हैं।  

क्यों बनायी जाती है IFFI में अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी?

अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में भारतीय फिल्मों के साथ अंतरराष्ट्रीय फिल्मों की भी स्क्रीनिंग होती है और अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार दिये जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के आंकलन के लिए जो पांच सदस्यीय ज्यूरी बनायी जाती है, उसमें चार विदेशी और एक भारतीय फिल्मकार रहते हैं। यह ज्यूरी गोल्डन पीकॉक अवॉर्ड के लिए इंटरनेशनल फिल्म का चयन करती है। इस साल यह अवॉर्ड स्पेनिश फिल्म आइ हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स को दिया गया है।

2022 की ज्यूरी में इजरायली फिल्ममेकर नदाव लपिड, अमेरिकी प्रोड्यूसर जिंको गोटोह, फ्रांसीसी डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर और जर्नलिस्ट जेवियर एंगुलो बर्टुरेन, फ्रांस की फिल्म एडिटर पास्केल शावांस और इंडियन फिल्ममेकर सुदीप्तो सेन शामिल थे। ज्यूरी के सदस्यों का चुनाव एनएफडीसी की सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा किया जाता है। 

ज्यूरी बोर्ड ने बयान से खुद को किया अलग

ज्यूरी ने नदाव लपिड के बयान से खुद को अलग कर लिया। ज्यूरी के सदस्य सुप्तो सेन ट्वीट करके कहा कि यह ज्यूरी हेड के निजी विचार हैं। इससे अन्य सदस्यों का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने बताया कि चारों ज्यूरी सदस्यों ने फिल्म को लेकर अपनी पसंद और नापसंद का जिक्र नहीं किया।

ज्यूरी का मेंबर होने के नाते हमें किसी फिल्म की तकनीकी, सिनेमाई गुणवत्ता और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रासंगिकता के तहत फिल्म जज करने के लिए दी जाती है। यह पूरी तरह निजी बात है। बोर्ड से इसका कोई लेना-देना नहीं है। यहां उल्लेखनीय है कि लपिड ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स को इतने प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में होना ही नहीं चाहिए था।

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