Throwback Thursday: 'भिखारियों की तरह...', जब 5 हजार की उम्मीद लगाए धर्मेंद्र को पहली फिल्म में मिले थे बस इतने रुपए
Throwback Thursday साल 1960 में हिंदी सिनेमा में कदम रखने वाले धर्मेंद्र 88 साल की उम्र में भी अपने दर्शकों का मनोरंजन करने से पीछे नहीं हटते हैं। पंजाब से मुंबई अपना करियर बनाने आए दिग्गज अभिनेता को भी अपने करियर के शुरुआती दौर में काफी संघर्ष देखना पड़ा। थ्रो बैक थर्सडे में आज हम आपको धर्मेंद्र से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बता रहे हैं।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र अपने फैंस का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। असल जिंदगी में वह जितने सरल स्वभाव के हैं, फिल्मी पर्दे पर वह उतना ही मार-धाड़ करते हुए फैंस को खूब भाते हैं। अपने करियर में शोले से लेकर जागीर और जलजला जैसी कई सुपरहिट फिल्में देने वाले बॉलीवुड की हीमैन धर्मेंद्र 88 साल की उम्र में भी अपने दर्शकों का जमकर मनोरंजन कर रहे हैं।
उनकी फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' के लिए उन्हें लोगों का खूब प्यार मिला। हालांकि, किस्मत के सितारे सभी एक्टर्स के बदलते हैं और कुछ ऐसा ही हुआ था धर्मेंद्र के शुरुआती करियर में भी, जब उन्होंने अपने बॉलीवुड में कदम रखा था तो उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था।धर्मेंद्र ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने आज तक काम के लिए किसी भी निर्माता-निर्देशक के आगे हाथ फैलाए हैं या नहीं। इसके साथ ही उन्होंने बताया था कि उनकी पहली फिल्म में उन्हें कितने पैसे मिले थे। आज थ्रोबैक थर्सडे (Throwback Thursday) में जानते हैं धर्मेंद्र से जुड़ा ये मजेदार किस्सा।
धर्मेंद्र ने कहा मेरे आत्मसम्मान से बड़ा कोई नहीं है
दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत साल 1960 में की थी। उन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा से लेकर कलर टीवी तक का समय देखा। उन्होंने सिनेमा का बदलता रूप देखा।यह भी पढ़ें: Throwback Thursday: क्यों राजनीति में कदम रखते ही धर्मेंद्र को बोलने लगे थे 'गुमशुदा', थाने में लग गए थे पोस्टर
ऐसे में जब उनसे ये पूछा गया कि क्या उन्होंने अन्य एक्टर्स की तरह कभी निर्माता-निर्देशक के सामने चाटुकारिता की है, तो प्रभु चावला संग बातचीत में उन्होंने कहा,
"मेरे आत्मसम्मान से बड़ा मेरे लिए कुछ भी नहीं है, हां मैंने डायरेक्टर से काम मांगा है, क्योंकि आपका कर्म ही पूजा है, लेकिन उसके लिए तपस्या करनी पड़ती है। भिखारियों की तरह कुछ नहीं मिलता, भगवान वो कभी किसी को न बनाए"।