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Throwback Thursday: जब एक टास्क को पूरा करने के लिए कादर खान ने फुटबॉल की मार भी की थी सहन

Kader Khan हिंदी सिनेमा के एक ऐसे अभिनेता थे जिनकी फिल्में आज भी जब टेलीविजन पर आती हैं तो लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है। कादर खान ने अपने करियर में कई बड़ी फिल्में की। हालांकि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर एक्टर नहीं बल्कि बतौर राइटर की थी। शुरूआती दौर में तो एक टास्क के लिए उन्होंने फुटबॉल की मार भी झेली।

By Tanya Arora Edited By: Tanya Arora Updated: Thu, 30 May 2024 09:50 AM (IST)
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Throwback Thursday: कादर खान का संघर्ष नहीं था आसान/ फोटो- Dainik Jagran Graphic
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। कादर खान हिंदी सिनेमा के वो अभिनेता थे, जो पर्दे पर किसी भी रूप में आ जाए अपने दर्शकों का दिल जीत ही लेते थे। उन्होंने अपने करियर में अलग-अलग तरह के किरदार निभाए। गोविंदा हो या सलमान खान या फिर शाह रुख खान (Shah Rukh Khan) जिनके साथ भी वो स्क्रीन पर दिखे, उसके साथ उनकी जोड़ी परफेक्ट फिट बैठी।

आज के दौर में भले ही इंडस्ट्री में एंट्री करने के लिए कई रास्ते खुल गए हों, लेकिन 'जोड़ी नंबर 1' एक्टर को अपने समय में काफी संघर्ष करना पड़ा था। खुद एक पुराने इंटरव्यू में कादर खान ने बताया था कि किस टास्क को पूरा करने के लिए उन्होंने फुटबॉल की मार भी सहन की थी।

एक ड्रामे ने बॉलीवुड में कादर खान को दिलाई थी एंट्री

कादर खान ने अपने पूरे फिल्मी करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। हालांकि, वह भी थिएटर आर्टिस्ट रहे थे। बॉलीवुड में उनकी एंट्री बतौर एक्टर नहीं, बल्कि डायलॉग राइटर के तौर पर हुई थी। लहरे रेट्रो को दिए एक बहुत पुराने इंटरव्यू में कादर खान ने बताया था कि कैसे उन्हें बॉलीवुड में एंट्री मिली।

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उन्होंने कहा, "23-24 साल पहले मेरा एक ड्रामा बहुत फेमस हुआ था 'लोकल ट्रेन', जिसमें मुझे बेस्ट राइटर-एक्टर और डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला था। मुझे बैक स्टेज एक डायरेक्टर मिले थे मिस्टर नरेंद्र बेदी, उन्होंने मुझसे कहा कि मैं एक फिल्म बना रहा हूं 'जवानी-दीवानी', जिसमें रणधीर कपूर-जया बच्चन थे।

kader khan

उन्होंने मुझसे कहा कि मैं चाहता हूं आप इस फिल्म के डायलॉग लिखिए। पहले तो मैंने उन्हें मना किया, लेकिन बाद में उन्होंने काफी बोला तो मैं मान गया"।

फुटबॉल की मार खाकर लिखे थे फिल्म के डायलॉग

कादर खान ने अपनी बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा,

"उन्होंने दूसरे दिन मुझे बुलाया स्क्रिप्ट मेरे हाथ में दी और बोला कि इस फिल्म के डायलॉग लिखकर लाओ। मेरे पास कोई जगह नहीं थी उस समय पर, तो मैं सीधा ट्रेन पकड़कर बांद्रा से मरीन ड्राइव गया और क्रॉस मैदान में लोग फुटबॉल खेल रहे थे, मैंने एक कोना पकड़ा और डायलॉग लिखने बैठ गया। कभी-कभी फुटबॉल आकर तेज से लगती थी, तो मैं मार खाता जाता था और डायलॉग लिखता जाता था"।

जब डायरेक्टर हुए थे हैरान

संघर्ष के दिनों के इस मजेदार किस्से को आगे बढ़ाते हुए कादर खान ने कहा, "3 घंटे में डायलॉग्स लिखने के बाद जब मैं मरीन ड्राइव से बांद्रा उनके ऑफिस में पहुंचा तो वो मुझे देखकर हैरान हो गए, उन्होंने सोचा पागल आदमी फिर काम पूछने आ गया। मैं गया मैंने बोला कि डायलॉग लिख लिए हैं मैंने पूरे।

kader khan struggle

वो हैरान हुए उन्होंने मुझे बोला कि कभी तीन घंटे में ऐसा हुआ नहीं है। मैंने जब उन्हें दिखाया, तो उन्होंने जिस तरह से मुझे दाद दी, सीने से लगाया, वो मेरी जिंदगी की राह बन गया, जिसकी वजह से आज मैं यहां पर खड़ा हूं । अगर वो उस वक्त मुझे ठुकरा देते तो वहीं से मेरी एग्जिट हो जाती।

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