विधु विनोद चोपड़ा ने इस फिल्म के जरिये दुनिया के सामने आईपीएस ऑफिसर मनोज कुमार शर्मा की असल जिंदगी की कहानी को रखा और खास बात ये है कि इस कहानी से हर किसी ने खुद को पूरी तरह कनेक्ट किया। आम जनता से लेकर सितारों तक ने 12th फेल की तारीफों के पुल बांधे हैं।
विधु विनोद चोपड़ा ने विक्रांत मैसी स्टारर इस कहानी को बनाते हुए इस बात का खास ख्याल रखा कि लोगों तक मनोज कुमार शर्मा की सिर्फ संघर्ष की कहानी ही नहीं पहुंचे, बल्कि एक आईपीएस ऑफिसर की ड्यूटी से लेकर उनके द्वारा जो भी प्रोटोकॉल फॉलो किये जाते हैं, उन्हें भी बड़ी संजीदगी से दर्शाया।
12th फेल तो एक लेटेस्ट उदाहरण है, लेकिन हिंदी सिनेमा में पुलिस पर आधारित फिल्में 60-70 के दशक से बनती आई हैं। हालांकि, वक्त के साथ मेकर्स इस बात को लेकर काफी सजग हो गए कि वह जब भी असल जिंदगी के किरदार पर कोई कहानी बनाए, तो दर्शकों तक उनका सही मैसेज पहुंचे।
कई फिल्में असल जिंदगी के पुलिस अधिकारियों पर बनी, तो वहीं कुछ उनसे प्रेरित हुईं। चलिए जानते हैं कि वक्त के साथ पुलिस के किरदार के साथ-साथ उनके ऊपर फिल्माई गई फिल्मों में क्या-क्या बदलाव आए।
पहले की फिल्मों में नहीं रखा जाता था इस बात का ध्यान
60-70 और 90 के दशक में भी पुलिस पर आधारित कई
फिल्में बनी। प्राण जैसे कई बड़े सितारों ने पुलिस का किरदार अदा किया। हालांकि, इस बीच कई चीजों को लेकर मेकर्स ने लापरवाही बरती। पहले की अधिकतर फिल्मों में एक एक्टर को सिर्फ पुलिस वर्दी पहनाई जाती थी, लेकिन उनकी जॉब से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों का ध्यान नहीं रखा जाता था ।
यह भी पढ़ें: Pushpa 2 नहीं, इस फिल्म का है लोगों को बेसब्री से इंतजार, IMDb की मोस्ट एंटीसिपेटेड लिस्ट में मिला पहला पायदानजैसे कि उनके बढ़े हुए बाल और उनकी पुलिस वर्दी पर स्टार्स, या फिर उनकी बेल्ट और बंदूक। मेकर्स बस इस चीज पर फोकस करते थे कि फिल्म में वह किरदार कौन- सा एक्टर निभा रहा है। इन फिल्मों में जंजीर, अर्ध सत्य, सरफरोश, खाकी जैसी कई फिल्में शामिल हैं।
वक्त के साथ पुलिस और आर्मी ऑफिसर्स के किरदारों को लेकर सजग हुए मेकर्स
पुलिस अधिकारी हो या आर्मी मैन या फिर एयरफोर्स पायलट ये हमारे देश की शान हैं, ऐसे में वक्त के साथ इन पुलिस अधिकारियों के हावभाव से लेकर उनके पहनावे और प्रोटोकॉल पर मेकर्स ने ध्यान देना शुरू किया और वैसे ही अपनी फिल्मों के जरिये उनके किरदारों को सही से लोगों को दर्शाया।
साल 1999 में रिलीज हुई मनोज बाजपेयी स्टारर फिल्म 'शूल' में इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए पुलिस की ड्यूटी से लेकर असल जिंदगी में जिस तरह से उनके प्रोटोकॉल हैं, उसे वैसे ही फिल्मी पर्दे पर उतारा गया। इसके अलावा गंगाजल और अब तक छप्पन जैसी कई फिल्में हैं, जिसमें पुलिस की जिंदगी से जुड़ी हर डिटेल्स को ध्यान में रखकर फिल्म में वैसे ही दर्शाया गया, जैसे वे असल जिंदगी में होते हैं।
2014 से दिखने लगे थे महत्वपूर्ण बदलाव
आपको बता दें कि पुलिस अधिकारियों या किसी भी पब्लिक सर्विस वाले शख्स की जिंदगी पर पर बनी फिल्मों की कहानियों में जब मेकर्स ने ज्यादा फिक्शन डालने की कोशिश की, तो साल 2014 में कोर्ट की तरफ से ये नियम लागू कर दिया गया कि कोई भी फिल्म अगर असल जिंदगी के किरदार पर बनाई जाती है, तो उसमें इस फील्ड में एक्सपर्ट शख्स का शामिल होना जरूरी है, ताकि फिल्म देखने वाली ऑडियंस तक एक सही मैसेज जाए।
असल जिंदगी और पुलिस अधिकारियों की जिंदगी से प्रेरित हैं ये फिल्में
वैसे तो हिंदी सिनेमा में पुलिस अधिकारियों पर आधारित कई फिल्में हैं, लेकिन 12th फेल के अलावा अजय देवगन की मूवी गंगाजल ऐसी फिल्म है, जो 1980 के दशक में भागलपुर में बहुचर्चित अंखफोड़वा कांड पर आधारित है। इस फिल्म का निर्देशन प्रकाश झा ने किया था। इन फिल्मों में साल 2005 में रिलीज हुई फिल्म 'सहर' भी, जो असल घटना पर आधारित फिल्म है। यूपी पुलिस में SIT टीम का गठन हुआ था।
इसके अलावा नाना पाटेकर स्टारर फिल्म 'अब तक छप्पन' भी मुंबई पुलिस के सब इन्स्पेक्टर रहे दया नायक की असल जिंदगी की कहानी है, जिन्हें पुलिस एनकाउंटर में स्पेशलिस्ट माना जाता था।आयुष्मान खुराना ने फिल्म आर्टिकल 15 में असल जिंदगी से इंस्पायर होकर पुलिस अधिकारी का किरदार अदा किया था। इन फिल्मों के अलावा लिस्ट में अक्षय कुमार की सूर्यवंशी भी है, जो डिप्टी कमिश्नर विश्वास नांगरे पाटिल की जिन्दगी से इंस्पायर है। इस लिस्ट में दिल्ली क्राइम और भौकाल जैसी सीरीज रियल लाइफ पुलिस ऑफिसर्स से इंस्पायर हैं।
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