6 साल बाद बड़े पर्दे पर लौटी Tumbbad की खौफनाक कहानी, 5 कारण हॉरर थ्रिलर को बनाते हैं मस्ट वॉच मूवी
साल 2018 में भारत की सबसे बेहतरीन हॉरर मूवीज में से एक तुम्बाड (Tumbbad) को बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया था। फिल्म की कहानी के प्लॉट को दर्शकों ने काफी पसंद किया। साथ-साथ हॉरर सीन्स से डर भी महसूस हुआ। अब ये मूवी दोबारा (Tumbbad Re-Release) से रिलीज हो गई है। ऐसे में हम आपको वो 5 कारण बता रहे हैं जिनकी वजह से ये मूवी देखनी चाहिए।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हॉरर फिल्में और हिंदी सिनेमा का नाता काफी लंबे अरसे से चला आ रहा है। 'सौ साल बाद, वीराना और दो गज जमीन के नीचे' जैसी डरावनी फिल्मों ने सिने प्रेमियों का सामना दहशत से कराया था। लेकिन जैसे-जैसे दौर बदला खौफनाक कहानियों को सिल्वर स्क्रीन पर पेश करने का तरीका भी बदला। लेकिन हॉरर लीग में जो बदलाव निर्देशक राही अनिल बर्वे की फिल्म तुम्बाड (Tumbbad) लेकर आई, उसे कभी नहीं भुलाया सकता।
6 साल पहले सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली तुम्बाड (Tumbbad Re-Release) फिर से लौट आई है। जी हां 13 सितंबर से इस मूवी को बड़े पर्दे पर री-रिलीज किया गया है। ऐसे में हम आपको वो 5 कारण बताने जा रहे हैं, जो इसे मस्ट वॉच मूवी बनाते हैं।
पीरियड ड्रामा हॉरर फिल्म
सिनेमा जगत में बहुत कम बार ऐसा देखा जाता है कि कोई फिल्ममेकर्स पीरियड ड्रामा हॉरर फिल्म को बनाने का साहस दिखाए। जहां आज के समय में हॉरर कॉमेडी और सेपुरनेचुलर हॉरर थ्रिलर का ट्रेंड काफी बढ़ गया है। उसमें पीरियड ड्रामा हॉरर लीग का अपना अलग ही महत्व है।ये भी पढ़ें- Friday Re-Release: 'स्त्री 2' के सामने शुक्रवार से 8 पुरानी फिल्मों की चुनौती, कांतारा ने भी ठोकी ताल
आजादी से पहले के प्लॉट पर तुम्बाड की कहानी को दर्शाया गया है। जिस तरह से निर्देशक ने स्टोरी की नब्ज को पकड़ा है और स्क्रीनप्ले पेश किया है, उस आधार पर एक समय पर आपको ये मूवी 1947 के दौर में ही ले जाएगी।