जानें क्यों नौशाद ने लता मंगेशकर को बाथरूम में खड़ाकर गवाया था 'मुगल-ए-आजम' का ये गाना
नौशाद के परिवारवाले हिंदी फिल्मों और संगीत के सख्त खिलाफ थे। इसके बावजूद उन्होंने संगीत को ही अपना भविष्य चुना।
By Priti KushwahaEdited By: Updated: Tue, 05 May 2020 10:26 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड के तानसेन कहे जाने संगीतकार नौशाद अली की आज पुण्यतिथि है। उनका निधन 5 मई, 2006 को हुआ था। 'मुगल-ए-आजम' जैसी फिल्म में अपने संगीत से जबरदस्त सफलता हासिल करने वाले नौशाद ने 64 सालों तक बॉलीवुड में अपने संगीत का जादू बिखेरा। उन्होंने अपने संगीत के करियर में कई हिट गानें दिए। नौशाद अली का जन्म 26 दिसंबर 1919 को नवाबों के शहर लखनऊ में हुआ था। नौशाद को बचपन से ही म्यूजिक काफी पसंद था। इसी के चलते उन्होंने एक म्यूजिक का आइटम बेचने वाली दुकान में काम किया। आज हम आपको इस खास मौके पर नौशाद के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं।
अपनी तकनीक से लोगों को किया था हैरान
नौशाद के परिवारवाले हिंदी फिल्मों और संगीत के सख्त खिलाफ थे। इसके बावजूद उन्होंने संगीत को ही अपना भविष्य चुना। नौशाद अली संगीत की दुनिया में आए दिन नए आयाम स्थापित करते थे, उस जमाने में टेक्नोलॉजी के बिना ही उन्होंने संगीत में एक से बढ़कर एक साउंड इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया। यहीं नहीं नौशाद ने फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में भी अपनी तकनीक से लोगों को हैरान कर दिया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने 'मुगल-ए-आजम' के गाने 'ए मोहब्बत जिंदाबाद' के लिए कोरस पार्ट के लिए 100 म्यूजिशिन्स का इस्तेमाल किया था। यही नहीं 'मुगल-ए-आजम' में 'प्यार किया तो डरना क्या' गाने में ईको इफेक्ट लाने के लिए नौशाद ने लता मंगेशकर को बाथरूम में खड़े होकर गाने के लिए कहा था।
लिख चुके हैं किताब आपको बात दें कि ऑस्कर के लिए नॉमिनेट की गई पहली भारतीय फिल्म मदर इंडिया का म्यूजिक भी नौशाद ने ही दिया था। नौशाद एक कवि भी थे और उन्होंने उर्दू कविताओं की एक किताब लिखी थी, जिसका नाम है 'आठवां सुर'। उन्हें साल में 1981 'दादा साहेब फाल्के' सम्मान से नवाजा गया। साल 1992 में उन्हें भारत सरकार ने 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया था।