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Valentine Day Special: 100 से ज्यादा बार लिखा गया 'मुगल-ए-आजम' का ये गीत, अमर है Dilip Kumar की अनोखी प्रेमकथा

Mughal-E-Azam And Valentine Day 2024 वैलेंटाइन डे वीक का आरंभ आज से हो गया है। ऐसे में बात की जाए हिंदी सिनेमा की आईकॉनिक लव स्टोरी फिल्म के बारे में तो सबसे पहले जिक्र मुगल-ए-आजम का नाम जहन में आएगा। दिलीप कुमार और मधुबाला की इस मूवी से जुड़े कई अनसुने किस्से मौजूद हैं जिन्हें हम प्यार इश्क और मोहब्बत के जरिए बताएंगे।

By Ashish RajendraEdited By: Ashish RajendraUpdated: Wed, 07 Feb 2024 08:31 PM (IST)
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दिलीप कुमार की मुगल-ए-आजम की अनसुनी कहानी (Photo Credit-Jagran)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Bollywood And Valentine Day 2024: प्यार के बिना जिंदगी अधूरी होती है, वो प्रेम ही तो है जो आपके जीवन से खालीपन और तन्हाई के बादलों को हटाता है। मौजूदा समय में प्यार का हफ्ता यानी वैलेंटनाइन वीक की शुरुआत हो चुकी है। इस खास वीक में हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक लव स्टोरी वाली मूवीज के बारे में चर्चा की जाएगी।

जिसके चलते हम 'प्यार, इश्क और मोहब्बत' का एक नया कारवां शुरू करेंगे, इसका आगाज दिलीप कुमार की क्लासिक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' से होगी। आइए इस लेख में सिनेमा जगत में अनोखी प्रेम कहानी की प्रतीक माने जाने वाली मुगल-ए-आजम के कुछ अनसुने किस्सों पर गौर करते हैं।

हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्म

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जो सदियों में सिर्फ एक बार बनती हैं। निर्देशक के.आसिफ के निर्देशन में बनी 'मुगल-ए-आजम' एक ऐसी ही फिल्म है। 'मुगल-ए-आजम' में अकबर (पृथ्वीराज), सलीम (दिलीप कुमार) और अनारकली (मधुबाला) की कहानी को दिखाया गया है।

अकबर का बेटा शहजादा सलीम दरबार की कनीज नादिरा अनारकली से प्रेम करता है, जो उसके पिता को रास नहीं आता। अनारकली को पाने के लिए सलीम बादशाह अकबर के खिलाफ बगावत पर भी उतर आता है, लेकिन नाकाम कोशिश के साथ ही उसका प्यार अधूरा रह जाता है।

 दिलीप कुमार और मधुबाला ने इस मूवी में अपनी शानदार कैमिस्ट्री से हर किसी का दिल जीता और सफलता के मामले में 'मुगल-ए-आजम' भारतीय सिनेमा की एक ऐतिहासिक फिल्म बन गई।

भव्य तैयारियों के साथ इतने साल में बन पाई 'मुगल-ए-आजम'

डायरेक्टर कमरुद्दीन आसिफ को इंडस्ट्री का सनकी निर्देशक माना जाता था। फिल्मों को बनाने का उनका तरीका एक दम अलग और नायाब रहा। बड़े पर्दे पर मूवी को वास्तविकता की पृष्ठभूमि पर खरा उतारने के लिए के आसिफ सिद्धत के इनका निर्माण किया करते थे।

'मुगल-ए-आजम' के साथ भी उन्होंने ऐसा किया। आईएमडीबी की रिपोर्ट के अनुसार 'मुगल-ए-आजम' की नींव के. आसिफ की तरफ से आजादी से पहले साल 1944 में पड़ गई थी, लेकिन स्टार कास्ट का चयन और फिल्म के सेट का भव्य निर्माण जैसे तमाम मसलों को लेकर 'मुगल-ए-आजम' साल 1960 में आकर रिलीज हो सकी। ऐसे में इसकी रिलीज में करीब 16 साल का लंबा वक्त लगा।

'मुगल-ए-आजम' के इस गाने को 100 से अधिक बार लिखा गया

यूं तो दिलीप कुमार की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'मुगल-ए-आजम' को लेकर कई सारे किस्से आपने पढ़ें होंगे, लेकिन क्या आप जानते हें कि इस फिल्म का आइकॉनिक सॉन्ग 'प्यार किया तो डरना क्या' को 100 से ज्यादा बार लिखा गया। दरअसल 'मुगल-ए-आजम' के म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद साहब और के.आसिफ मधुबाला पर फिल्माए इस गीत को लेकर कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते थे।

60 के दशक में फिल्म के इस गाने पर मेकर्स ने पानी की तरह पैसा बहाते हुए 10 मिलियन डॉलर यानी करीब 1 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च कर दी। इतनी रकम में उस समय एक फिल्म बन जाया करती थी। 'प्यार किया तो डरना क्या' के लेखक शकील बदायूंनी इस गाने को करीब 105 लिखा, तब जाकर नौशाद ने इसे फाइनल किया। मेकर्स की मेहनत इस गाने की सफलता से पूरी हुई।

मधुबाला का ये गाना शीश महल में शूट किया गया, जिसे देखना और सुनना आज भी दर्शक पसंद करते हैं। यूं तो ये फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट फॉर्मेट में रिलीज हुई थी, लेकिन ये गीत कलर फुल फॉर्मेट में रिलीज किया गया था।

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दिलीप कुमार और मधुबाला नहीं थे फिल्म की पहली पंसद

चूंकि 'मुगल-ए-आजम' का विचार के.आसिफ ने साल 1944 में ही कर लिया था तो उस आधार पर 1946 में सबसे पहले आसिफ इस फिल्म को नरगिस, चंद्र मोहन और डीके सप्रू के साथ बनाना चाह रहे थे, लेकिन नरगिस ने इस फिल्म में अनारकली के ऑफर को ठुकरा दिया था।

इस तरह से लंबे समय बाद के आसिफ ने 'मुगल-ए-आजम' के लिए दिलीप कुमार, पृथ्वीराज कपूर और मधुबाला को फाइनल कास्ट किया और फिल्म ने धमाल मचा दिया।

पाकिस्तान में रिलीज होने वाली पहली रंगीन फिल्म

दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्म 'मुगल-ए-आजम' को लेकर भारतीय दर्शकों में कमाल की दिवानगी देखी गई। वही क्रेज पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में इस मूवी को लेकर देखने को मिला।

IMDb के मुताबिक 'मुगल-ए-आजम' पाकिस्तान में रिलीज होने वाली पहली रंगीन फिल्म थी, लेकिन 1965 में भारत-पाकिस्तान के तनाव के बाद इस मूवी को बैन कर दिया गया।

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