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विजुअल इफेक्ट और आर्ट दोनों ही मामलों में जबरदस्त थी 'धूम 3', फिल्म ने गढ़े थे कई नए आयाम

मेरी और निर्माता आदित्य चोपड़ा की धूम 3 के बारे में बातचीत होती रहती थी। हर बार हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचते थे कि फिल्म की कहानी ऐसी होनी चाहिए जिसके नाम के आगे अगर धूम 3 न भी लगा हो तो भी हम उसे बना सकें।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Updated: Tue, 29 Jun 2021 02:50 PM (IST)
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Image Source: Aamir Khan Social Media Account
दीपेश पांडेय,मुंबई ब्यूरो। साल 2013 में रिलीज हुई आमिर खान, अभिषेक बच्चन, कट्रीना कैफ और उदय चोपड़ा अभिनीत फिल्म 'धूम 3' हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन एक्शन फिल्मों में गिनी जाती है। कला और तकनीक दोनों लिहाज से संतुलित इस फिल्म से जुड़े दिलचस्प किस्से साझा कर रहे हैं फिल्म के निर्देशक विजय कृष्णा आचार्य...

मेरी और निर्माता आदित्य चोपड़ा की 'धूम 3' के बारे में बातचीत होती रहती थी। हर बार हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचते थे कि फिल्म की कहानी ऐसी होनी चाहिए, जिसके नाम के आगे अगर 'धूम 3' न भी लगा हो तो भी हम उसे बना सकें। धूम सीरीज की शुरुआती दोनों फिल्में लिखने के बाद मुझे लगा कि तीसरी फिल्म उससे थोड़ी अलग होनी चाहिए। मैंने काफी पहले पिता-पुत्र का एक सीन लिखा था, जिसमें पिता एक कलाकार होता है, लेकिन उसकी कला व्यापार और बैंक वालों से हार जाती है। फिर बेटा अपने पिता की हार का बदला लेता है। यही इस फिल्म का बीज है, जहां से इसकी शुरूआत होती है।

आमिर ने फिल्म के लिए मांगे एक साल 

आदित्य को यह कहानी पसंद आई, फिर हम इस पर आगे बढ़े। फिल्म में विलेन का डबल रोल था। इसलिए हम किसी ऐसे अभिनेता को लेना चाहते थे, जिसने पहले कभी डबल रोल न किया हो। इससे पहले धूम सीरीज की फिल्मों से जॉन अब्राहम, ऋतिक रोशन और अभिषेक बच्चन जैसे युवा और कमर्शियल कलाकार ही जुड़े थे। इस बार हम फिल्म की कास्टिंग में भी दर्शकों को सरप्राइज करना चाहते थे। यह सब देखते हुए आमिर सबसे उपयुक्त थे। आदित्य ने उनसे इस फिल्म के लिए संपर्क किया। स्क्रिप्ट पूरी होने के बाद जब हम स्क्रिप्ट लेकर आमिर के पास गए तो उन्होंने कहा कि मैं यह फिल्म कर रहा हूं, लेकिन मुझे इसकी तैयारी के लिए एक साल का वक्त चाहिए। हमें यह बहुत ज्यादा लगा, क्योंकि हमारी योजना छह महीनों में ही फिल्म शुरू करने की थी।

आस्ट्रेलिया में सीखा टैप डांस 

विजय कृष्णा ने आगे बताया- मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर के एक साल का वक्त लेने से फिल्म भले ही थोड़ी लेट रही हो, लेकिन इससे पूरी कहानी और किरदार शानदार तरीके से निखर गए। फिल्म के टाइटल सांग में आमिर ने टैप डांस (पैरों से आवाज निकालने वाला डांस) किया है। मैंने पहली बार टैप डांस का शो दिल्ली में कालेज के दिनों में देखा था। उसे टैप डाग्स नामक एक डांस ग्रुप ने परफार्म किया था। यह ऐसी चीज थी, जिसे भारतीय दर्शकों ने पहले ज्यादा नहीं देखा था। इस पर चर्चा के दौरान हमें पता चला टैप डाग्स ग्रुप के लोग उस समय आस्ट्रेलिया में थे। हमने उनसे संपर्क किया और आमिर टैप डांस सीखने आस्ट्रेलिया गए। जहां करीब

डेढ़ महीने उनकी ट्रेनिंग हुई।

करीब 25 देशों से आए थे कलाकार 

हमारी फिल्म शिकागो में सेट थी तो मैं फिल्म में सर्क दु सोले टाइप का सर्कस दिखाना चाहता था। जिसमें जानवरों की जगह इंसान अपनी कलाएं प्रस्तुत करते हैं। हमने फिल्म के गाने मलंग को इंग्लैंड की एक सर्कस कंपनी के साथ मिलकर बनाया था। उस गाने में सर्कस के अलग-अलग करतब दिखाने वाले करीब 20-25 देशों के दो सौ कलाकार शामिल थे। खास बात यह है कि इस गाने में आमिर और कट्रीना ने एक्रोबैट समेत अपने सारे सीन खुद किए थे।

ऐसे शूट किया बाइक वाला सीन 

मोटरसाइकिलों का धूम फ्रेंचाइजी के साथ बहुत ही गहरा नाता रहा है। फिल्म के एक सीन में आमिर बाइक लेकर पानी में छलांग लगाते हैं और बाइक जेट स्की में बदल जाती है। इसके लिए हमने अपने एक्शन डायरेक्टर के साथ काफी रिसर्च की। तब हमें पता चला कि आइसलैंड में एक खास रेस होती है, जिसमें बाइक नाव की तरह तो नहीं, लेकिन पानी को चीरते हुआ आगे निकलती हैं। फिर हमने कुछ मैकेनिकल जुगाड़ तथा कुछ विजुअल इफेक्ट्स (वीएफएक्स) की मदद से इस सीन को शूट किया।

बीएमडब्लू की बाइक का किया इस्तेमाल 

फिल्म के लिए बाइक का चयन भी काफी रोचक रहा। बीएमडब्ल्यू के1300आर उस समय लांच हो रही थी और विजुअली भी काफी सुंदर थी लिहाजा यह बाइक हमें उपयुक्त लगी। फिल्म के लिए हमें कई बाइक्स की आवश्यकता थी, इसके लिए हमने बीएमडब्ल्यू कंपनी से संपर्क किया। उन्होंने भी इस फिल्म में शामिल होने में खुशी जताई। इस फिल्म का क्लाइमेक्स स्विट्जरलैंड में शूट हुआ था। जिसमें साहिर और समर (आमिर के डबल रोल वाले किरदारों के नाम) को एक पुल पर पुलिस घेर लेती है। इसी बीच साहिर को समर से कहना होता है कि समर चलो वक्त नहीं है हमारे पास।

शूट से जुड़ा मजेदार किस्सा 

इसकी शूटिंग के दौरान आमिर बाइक से उतरे और बोलें कि समर चलो बखत नहीं है हमारे पास। यह सुनते ही मैंने कट बोला और उन्होंने दोबारा सही डायलाग बोलकर शूटिंग पूरी की। अपने कैंप में वापस आने के बाद हमने वह उस सीन दोबारा देखा और खूब हंसे। तब आमिर ने हमें बताया कि वह उस वक्त फिल्म 'पीके' की भी तैयारी कर रहे थे, और उस फिल्म में उन्हें भोजपुरी लहजे में बोलना था। इस फिल्म ने न सिर्फ मेरे लिए, बल्कि हिंदी सिनेमा के लिए भी तकनीकी और कला दोनों मामलों में कई नए आयाम गढ़े थे।