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अब तक तो लोग दिल चोरी... ही करवा रहे थे : अभिनेत्री नुसरत भरूचा

हम आज जो कर रहे हैं उसका असर भविष्य की च्वाइसेस पर होगा। मैं यकीनन कुछ तो अच्छा कर रही हूं तभी नजर में आ रही हूं। मेरे पास फिल्म के लिए ना या हां करने का विकल्प नहीं था। Image Source INSTAGRAM / Nushrratt Bharuccha

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 09 Jun 2022 05:14 PM (IST)
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अभिनेत्रियों के लिए इंडस्ट्री में इज्जत बढ़ी है, जिसका फायदा मुझे भी मिल रहा है।
प्रियंका सिंह। फिल्म का जिम्मा खुद के कंधों पर लेने के लिए अभिनेत्री नुसरत भरूचा बिल्कुल तैयार हैं। वह कहती हैं कि पिछले काफी समय से उनके पास महिला प्रधान फिल्में ही आ रही हैं। हालांकि उन्हें हर तरह की फिल्म करनी है, लेकिन इस वक्त वह करियर के जिस पड़ाव पर है, उससे खुश हैं। उनकी फिल्म जनहित में जारी सिनेमाघरों में आज (10 जून) रिलीज हो रही है।

फिल्म में एक लाइन है कि सबपे एक वुमनिया भारी है। इंडस्ट्री में वुमनिया अब कितनी भारी पड़ रही हैं?

भारी पडऩे में थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन हमारे पास बहुत अच्छे उदाहरण हैं। जिन्होंने हमारे लिए काम आसान कर दिया है। दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, तापसी पन्नू इन्होंने एक रास्ता बनाया है। फिल्म में हम अभिनेत्रियां क्या कर रही हैं, उसको लेकर जो बातचीत होती थी, वह बदल गई है। फिल्म में कुछ एक्टर्स अब पूछ रहे हैं कि फलां अभिनेत्री की फिल्म हैं, उसमें हम क्या कर रहे हैं। मुझे यह जगह अच्छी लग रही है, जहां हम अपनी खुद की एक कहानी बना रहे हैं।

छोरी फिल्म डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हुई थी। जनहित में जारी सिनेमाघर में रिलीज हुई है। इस बार फिल्म का जिम्मा खुद पर लेने का तनाव है?

हां, मुझे इसके बारे में बात करने से ही तनाव हो जाता है। हर तरफ कलेक्शन की बात होती है। मैं कई बार कहती हूं कि हमें रिलैक्स करना चाहिए। बॉक्स ऑफिस के नंबर्स पर इतनी बात नहीं होनी चाहिए कि सब उसी के पीछे भागते रहें। कई बार हमें फिल्म को सिर्फ फिल्म की तरह ही देखना चाहिए। कई बार बॉक्स ऑफिस का इतना प्रेशर ले लेते हैं कि फिर अगली फिल्म चुनते वक्त नंबर्स ही दिमाग में रहते हैं। कोरोना के दो सालों में अब चीजें बदली हैं। कई फिल्में थिएटर में रिलीज हो रही हैं, लोग हर फिल्म को लिए देखने नहीं जा रहे हैं। अब उनके लिए कंटेंट डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है। ऐसे में नंबर्स की बजाय कहानी पर ध्यान देने की जरुरत है।

आपने कहा था कि अगर कहानी और किरदार अच्छा हो, तो फिल्म में अगर तीन सीन भी होंगे, तो आप कर लेंगी। क्या अब भी यह सोच कायम है?

हां, मैं हर तरह की फिल्म करना चाहूंगी। महिला प्रधान फिल्में मेरे पास आ रही हैं, क्यों आ रही हैं, पता नही। मैसेज खोलती हूं तो कई निर्माता-निर्देशकों के मैसेज में पहली लाइन में लिखा होता है फीमेल ओरिएंटेड लीड पार्ट है। मैंने ऐसा कुछ किया नहीं है, जो मुझे ऐसे ऑफर आ रहे है। अभी तक तो मुझसे दिल चोरी... गाने ही करा रहे थे। प्रोडक्शन हाउसेस के ऑफिस में यह बातचीत मेरे साथ की गई है कि नुसरत को गानों के लिए कास्ट करो, उसके गाने हिट हैं। मैं भी ओके सर बोल देती थी। अगर आपकी पिक्चर मेरे गानों से बिजनेस करती है, तो ठीक है, गाने कर लेती हूं, पैसे दे दो। मैंने इन चीजों पर कभी तनाव नहीं लिया। लेकिन अब सब अपने आप हो रहा है। दूसरी अभिनेत्रियों की फिल्में चल रही हैं। तभी महिला प्रधान फिल्में बन रही हैं। अगर उन अभिनेत्रियों की फिल्में नहीं चलती तो मुझ पर कोई पैसे नहीं लगाता। अभिनेत्रियों के लिए इंडस्ट्री में इज्जत बढ़ी है, जिसका फायदा मुझे भी मिल रहा है।

राम सेतु कमर्शियल फिल्म है। इस वक्त कमर्शियल और रियलिस्टिक फिल्मों के बीच बैलेंस बनाकर चल रही हैं?

बैलेंस अपने आप हो गया है। मैं अक्षय सर (अक्षय कुमार) की फिल्म में कास्ट हो गई। अक्षय सर ने मुझसे कहा कि वह मुझे मेरी दूसरी फिल्मों की वजह से जानते हैं। लेकिन वह देखना चाहते हैं कि मैं राम सेतु फिल्म में कैसा काम करूंगी। हर कोई जानता है कि मैंने कैसे अपने करियर को आकार दिया है, कितनी मेहनत कर रही हूं। मेरे जेहन में वह बात रह गई कि अक्षय सर भी यह देख रहे हैं कि इंडस्ट्री में कौन सा एक्टर क्या कर रहा है। इसका मतलब है सबकी नजरें हम पर हैं। मैं राम सेतु के लिए उनकी च्वाइस थी, यही काफी है। प्यार का पंचनामा जैसी फिल्मों में मुझे मौका मिला। कोई भी कास्ट हो सकता था, हम तो सब नए थे। किसी ने तो बोला होगा कि इस लड़की को फिल्म में लेते हैं। जिसने पहला मौका दिया, उसने मुझे बनाया है। मैं बहाव के साथ चलती हूं। जो है, उसको बेस्ट करो, जो नहीं मिला वह आपका था ही नहीं। फिल्म के ट्रेलर में डायलॉग है कि पढ़ाई तो शादी के बाद भी हो सकती है।

रियल लाइफ में आपकी मम्मी नहीं कहती हैं कि काम तो शादी के बाद भी हो सकता है?

हां, यह बातें तो मम्मी करती ही हैं, कई साल से कर रही हैं। मेरा वही जवाब रहता है कि कोई लड़का ढूंढ लो।

आप खुद लड़का नहीं ढूंढना चाहती हैं?

मैं ढूंढ नहीं पाती हूं। मेरा टैलेंट इस मामले में थोड़ा कम है। अब गट फीलिंग नहीं आती है, तो क्या करूं।

सामने से किसी लड़के को अप्रोच नहीं कर पाती हैं?

मेरा दिन शुरू होता है शूटिंग से, खत्म भी इसी से होता है। वक्त कहां हैं। अगर कोई मेरी जिंदगी में होता, तो कहीं तो जाती किसी कॉफी शॉप या डिनर पर। इतने साल से नहीं दिखी हूं, तो फिर यकीनन कोई नहीं होगा जिंदगी में। जब तक मैं काम से ब्रेक नहीं ले लेती हूं, तब तक ढूंढ नहीं पाऊंगी। कोई लाइफ में आए जिससे बहुत प्यार हो, जिसके लिए सब चीजें रोक सकते हैं, तो सोचूं। फिलहाल एक्टिंग से इतना प्यार है कि इसे रोक नहीं सकती हूं।