एक्ट्रेस का बॉडी डबल बनकर शुरू हुआ था Jeetendra के अभिनय का सफर, नकली ज्वैलरी के बिजनेस से पहुंचे फिल्म इंडस्ट्री
Jeetendra Birthday Special जितेंद्र हिंदी सिनेमा के वो कलाकार हैं कई दशकों तक अपने स्टारडम की बदौलत इंडस्ट्री में राज किया है। वेटरन एक्टर के आधार पर उन्होंने अपने करियर में तोहफा (Tohfa) और फर्ज जैसी कई सुपरहिट फिल्म देने वाले जितेंद्र की बॉलीवुड में एंट्री काफी रोचक रही है। आइए जानते हैं कि उनका करियर फिल्मी जगत में कैसे शुरू हुआ।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 60 से 80 के दशक तक राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन (Amitabah Bachchan) जैसे फिल्मी कलाकारों की तूती फिल्म इंडस्ट्री में जमकर बोल रही थी। लेकिन अलग हटकर एक ऐसा भी अभिनेता रहा, जिसने न सिर्फ अपनी कमाल की एक्टिंग, बल्कि शानदार डांस मूव्स और गुड लुकिंग के दम पर फैंस के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। वो फनकार कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड के लीजेंड एक्टर जितेंद्र हैं।
सिनेमा जगत में जितेंद्र (Jeetendra) का काफी सफल योगदान है। तीन दशक से ज्यादा लंबे फिल्मी करियर के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट मूवी दी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड में उनके एक्टिंग के सफर की शुरूआत कैसे और कहां से हुई है। आइए इस लेख में जीतू जी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से जानते हैं।
ऐसे हुई एक्टिंग करियर की शुरुआत
जितेंद्र की फिल्मी दुनिया में एंट्री लेने की कहानी काफी रोचक मानी जाती है। 7 अप्रैल 1942 में अभिनेता का जन्म एक पंजाबी फैमिली में हुआ। बात उस दौर की है, जब वह अपने पिता अमरनाथ कपूर के साथ उनके नकली ज्वैलरी वाले बिजनेस को संभाला करते। इसके साथ ही वह फिल्मों के सेट पर शूटिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फेक ज्वैलरी भी स्पलाई करते थे।
एक बार उन्हें हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्देशक वी शांताराम की फिल्म नवरंग (1959) के लिए कुछ नकली ज्वैलरी सेट पर पहुंचानी थी। लेकिन उस दौरान शांताराम को एक ऐसे शख्स की तलाश थी, जो अभिनेत्री संध्या के बॉडी डबल की भूमिका अदा कर सके।
दरअसल फिल्म में एक ऐसा सीन था, जिसमें हीरोइन को आग में कूदते हुआ दिखाना था, इसे हाई रिस्की मानते हुए कोई भी एक्ट्रेस ऐसा करने के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे में सेट पर मौजूद जितेंद्र ने स्थिति का जायजा लिया और वह इसके लिए तैयार हो गए और एक अभिनेत्री के बॉडी डबल के तौर पर उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत हो गई। हालांकि इसके बाद साल 1964 में आई फिल्म गीत गाया पत्थरों ने से उन्होंने बतौर लीड एक्टर खुद को स्थापित किया।
ये भी पढ़ें- दिखने में बहनें, पर एक-दूसरे की कट्टर दुश्मन, जानिए Zeenat Aman और परवीन बाबी का सच