'कुछ भी बनाकर दर्शकों को बेवकूफ बनाना सही नहीं': अनंत महादेवन
धारा के विपरीत काम करने को लेकर अनंत आगे कहते हैं ‘धारा के विपरीत चलना बहुत मुश्किल है लेकिन मैं हिम्मत जुटाकर मेहनत कर रहा हूं। इसी बात का इंतजार है कि कब मीनिंगफुल सिनेमा से और लोग जुड़ेंगे।
By Priti KushwahaEdited By: Updated: Sat, 16 Jul 2022 08:12 PM (IST)
प्रियंका सिंह। मराठी फिल्म ‘मी सिंधुताई सपकाल’ के लेखन लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित लेखक, निर्देशक और अभिनेता अनंत महादेवन का मानना है कि सिनेमा मनोरंजक होने के साथ ही सार्थक भी होना चाहिए। वह कहते हैं, ‘सिनेमा मेरे लिए मीनिंगफुल है। वह एक कला है, उसे सर्कस की तरह नहीं समझना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा कि मनोरंजक सिनेमा न बनाएं, लेकिन उसमें कुछ सेंस और लाजिक भी होना चाहिए। कुछ भी बनाकर दर्शकों को बेवकूफ बनाना सही नहीं। सिनेमा की भाषा को समझने और सीखने की कोशिश करनी चाहिए। मेरे लिए फिल्म का मतलब ही है अच्छा कंटेंट।
जब तक मेरी फिल्म का कंटेंट सही नहीं होगा, मैं वह फिल्म नहीं बनाऊंगा। दर्शकों को भी सिनेमा को लेकर कहीं न कहीं शिक्षित किया जाना चाहिए, क्योंकि इंडस्ट्री में बन रही 90 फीसद फिल्में फार्मूला आधारित होती हैं। जब निर्माता व डिस्ट्रीब्यूटर्स सही कंटेंट प्रमोट करेंगे, तब जाकर दर्शक जानेंगे कि अच्छा सिनेमा कैसा होना चाहिए। मीनिंगफुल सिनेमा देखने वाले दर्शकों की संख्या एक प्रतिशत है। मेरे जैसे निर्देशक उनके भरोसे चल रहे हैं। वह समर्पित दर्शक हैं।’
धारा के विपरीत काम करने को लेकर अनंत आगे कहते हैं, ‘धारा के विपरीत चलना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैं हिम्मत जुटाकर मेहनत कर रहा हूं। इसी बात का इंतजार है कि कब मीनिंगफुल सिनेमा से और लोग जुड़ेंगे। मल्टीप्लेक्स में भी इस तरह की फिल्मों के लिए दरवाजे बंद हैं। फिर हम जैसे मेकर्स कहां जाएंगे! या तो फिर ऐसा सिनेमा बनाना बंद कर दें, लेकिन मेरे लिए वह संभव नहीं है। मैं भी जिद्दी हूं।’