जब सिनेमाहाल में RD Burman को अकेला छोड़कर चली गई थीं रीटा पटेल, संगीत के लिए उतरवा दी थी तबलावादक की शर्ट
आर डी बर्मन (R.D Burman) यानी राहुल देव बर्मन गुजरे जमाने के वो फनकार हैं जिनका संगीत आज भी हमारे कानों में गूंजता है। 27 जून को उनकी बर्थ एनिवर्सरी मनाई जाती है। यूं तो आपने आशा भोसले के साथ उनकी लव-स्टोरी के किस्से सुने होंगे लेकिन उनकी पहली पत्नी के बारे में कम ही बात होती है। चलिए जानते हैं कुछ दिलचस्प किस्से।
एटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। आरडी बर्मन एक ऐसे संगीतकार थे, जिसे किसी एक दायरे में कैद नहीं किया जा सकता। उन्होंने इंडियन और वेस्टर्न म्यूजिक को इतनी खूबसूरती से मिक्स किया कि सरगम के नये रंग ही सामने आ गये।
पंचम दा ने साबित किया कि संगीत सिर्फ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स में नहीं हर चीज में बसता है। हर आवाज कैसे संगीत बन सकती है, ये उन्होंने करके दिखाया। आरडी बर्मन का म्यूजिक गुजरते समय के साथ ज्यादा पॉपुलर हुआ।
आरडी बर्मन का जन्म 27 जून 1939 कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता सचिन देव बर्मन खुद गायक और दिग्गज संगीतकार थे। वो एक रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखते थे। उनकी मां मीरा एक गीतकार थीं। फिल्म को समझकर म्यूजिक तैयार करना पंचम दा की खासियत थी और यह उन्होंने अपने पिता से सीखा था। पाश्चात्य संगीत पर उनकी खास पकड़ रही। एक साज दूसरे साज को दबा ना दे, पंचम इसका भी बहुत ख्याल रखते थे।
कैसे पड़ा पंचम दा नाम?
राहुल देव बर्मन का नाम पंचम कैसे पड़ा इसके पीछे कई कहानियां हैं। कुछ का कहना है कि बचपन में वो जब रोते थे तो उनकी आवाज इंडियन म्यूजिकल स्केल के पांचवे सुर जैसी थी। वहीं, कुछ का कहना है कि वो पांच अलग-अलग तरह की आवाज में रोते थे। कुछ कहते हैं कि अशोक कुमार या मन्ना डे ने उनका नाम पंचम दा रखा था।
संगीतकार आरडी बर्मन हर चीज में संगीत ढूंढ लेते थे। उन्हें सुरों के साथ एक्सपेरिमेंट करना पसंद था। उन्होंने बांस, कप-प्लेट, कंघी, कांच की बोतलों, गत्ते-लकड़ी के बॉक्स जैसी चीजों का इस्तेमाल कर संगीत बना दिया।अगर आपने ध्यान दिया हो तो महबूबा महबूबा गाने की शुरुआत में जो साउंड आती है, वह आरडी बर्मन ने व्हिस्की की बोतल में हवा भरकर उसमें फूंक मारकर निकाला था।
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