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क्या होते हैं मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमा, एक-दूसरे से कैसे हैं अलग? पढ़िए हर एक डिटेल्स

बदलते समय के साथ सिनेमा जगत में भी कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के बाद कलर फिल्मों का जमाना आया सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर के बाद एक से अधिक स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स (Multiplex Cinema) बन गए। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स थिएटर्स क्या होते हैं और ये एक दूसरे से कैसे अलग होते हैं।

By Ashish RajendraEdited By: Ashish RajendraUpdated: Thu, 22 Feb 2024 08:07 PM (IST)
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सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों में क्या अंतर (Photo Credit-Jagran)

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा का इतिहास काफी पुराना है। आधुनिक युग में बदलते वक्त के साथ सिनेमा जगत के संसाधनों में भी कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। उदाहरण के तौर पर 3 घंटे की जगह 2 घंटे की फिल्में बनने लगीं, ब्लैक एंड व्हाइट से कलर मूवीज का दौरा आया और सिनेमाघरों के साथ-साथ ओटीटी का भी चलन शुरू हो गया। बात जब सिनेमा हॉल की जाए तो इसको लेकर भी कई मत हैं, क्योंकि सिनेमा शब्द सिर्फ छोटे-मोटे दायरे में कब और कहां कवर हुआ है।

इस लेख में सिंगल स्क्रीन थिएटर्स और मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों को लेकर बात की जा रही है। इनको लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन है। ऐसे में दर्शकों को इसी भ्रम को दूर करने के लिए हम आपको बताएंगे की सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल (Multiplexes vs Single Screen Cinema Hal) में क्या बड़ा अंतर होता है।

क्या होते हैं सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल

फिल्मों के बड़े पर्दे पर देखने की शुरुआत सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के जरिए ही हुई। गुजरे दौर से लेकर मॉर्डन एरा में भी ये थिएटर्स चल रहे हैं। सिंगल स्क्रीन थिएटर्स की असली परिभाषा, इसके नाम में ही छिपी है। दरअसल सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर उन्हें कहा जाता है, जहां एक स्क्रीन हो और उसी स्क्रीन पर हर रोज फिल्म के 4 शो दिखाए जाएं।

एकल स्क्रीन होने की वजह से इन्हें सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल कहा जाता है। उदाहरण के लिए आप दिल्ली के रीगल और मुंबई के मराठा सिनेमाघरों का नाम ले सकते हैं। ऐसे थिएटर्स आज भी लगभग स्टेट के जिले में आसानी से देखने को मिल जाते हैं, जहां ऑडियंस फिल्म का लुत्फ उठाती है।

मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों की असली परिभाषा

मौजूदा दौर में सिंगर स्क्रीन सिनेमाघरों की तुलना में मल्टीप्लेक्स का क्रेज काफी अधिक बढ़ गया है। इस तरह के सिनेमाघरों वो होते है, जहां एक से ज्यादा संख्या में स्क्रीन होती हैं। खास बात ये है कि इनमें सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि कई अलग-अलग फिल्में एक साथ चल सकती हैं।

मल्टीप्लेक्स के दौर में लोगों को किसी मूवी के शो खत्म होने और नहीं किसी अन्य मूवी को देखने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है। यही कारण है जो आधुनिक दौर में मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है। इस तरह के मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर आपको देश के बड़े राज्यों में मिल जाते हैं।

फेमम मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल

  • आईनॉक्स

  • पीवीआर

  • सिनेपोलिस

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सिंगल स्क्रीन-मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों में अंतर

मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में सबसे बड़ा भेद स्क्रीन्स का होता है। इसके अलावा इनकी बनावट और सीट का दायरा भी काफी एक दूसरे से काफी रहता है। जहां एक तरफ सिंगर स्क्रीन सिनेमा हॉल में फर्स्ट क्लास और बालकनी के दो सीटिंग फॉर्मेट होते हैं, जहां बैठकर दर्शक फिल्मों का आनंद लेते हैं।

वहीं दूसरी तरफ मल्टीप्लेक्स थिएटर्स आपको इनसे विपरीत नजर आएंगे। बात करें मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों के बारे में तो इनमें सीटिंग फॉर्मेट प्लैटिनम, गोल्ड और सिल्वर कैटेगरी के हिसाब से बंटे हुआ होता।

टिकट प्राइस मनी काफी अलग

अब तक आप इस बात को बहुत अच्छे समझ गए होंगे कि सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों में सीटिंग कैटेगरी का फॉर्मेट बहुत बड़ा अंतर है। इसके साथ ही टिकटों की प्राइस मनी भी इन दोनों काफी अंतर पैदा करते हैं। सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल में बालकनी और फर्स्ट क्लास की टिकटों में कोई ज्यादा अंतर नहीं होता है।

लेकिन इसके ठीक विपरीत मल्टीप्लेक्स में सीटिंग की तीनों कैटगरी में टिकट धनराशी में जमीन-आसमान की आसमानता देखने को मिलेगी। साफ शब्दों में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर सस्ते और मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल महंगे होते हैं।  

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