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जब नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे सितारे, कहीं रुका फिल्मों का निर्माण, किसी को धमकी देकर किया मुंह बंद

फिल्मों में अक्सर सरकारी नीतियों के खिलाफ कुछ ऐसी चीजें दिखाई जाती हैं जो लोगों को संदेश देने के उद्देश्य से हों। लेकिन असल लाइफ में भी कुछ ऐसे मंजर देखे गए हैं जब फिल्मी सितारे अन्याय के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे। ये एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। इस स्टोरी में हम आपको ऐसे ही कुछ इंसीडेंट के बारे में बताएंगे।

By Karishma Lalwani Edited By: Karishma Lalwani Updated: Tue, 19 Mar 2024 06:59 PM (IST)
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बॉलीवुड एक्टर्स ने जब की थी हड़ताल
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मनोरंजन की दुनिया एक ऐसी जगह है, जहां बनने वाली कई फिल्में अक्सर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। फिल्में जो एंटरटेनमेंट का जरिया मानी जाती है, वह सोशल मैसेज के जरिये लोगों को सोचने पर भी मजबूर करती हैं। शाह रुख खान की 'जवान' ऐसी ही एक मूवी है, जो लोकतंत्र के खिलाफ आवाज उठाने की बात कहती है। 

बॉलीवुड स्टार्स ने खोला था मोर्चा

रुपहले पर्दे पर इस तरह की कई मूवीज बनी हैं। लेकिन जब सच में सरकार की किसी नीति के खिलाफ आवाज उठाने की बात आती है, तो ऐसा कम ही होता है, जब पूरी इंडस्ट्री सड़कों पर उतरी हो। साल 2023 में हॉलीवुड एक्टर्स ने बेस पे और AI के बढ़ते इस्तेमाल से नौकरी पर मंडरा रहे खतरे के बादल को लेकर हड़ताल की थी। यह हड़ताल दुनियाभर में चर्चा में रही थी। ऐसा ही एक विरोध आज से करीब चार दशक पहले बॉलीवुड इंडस्ट्री में हुआ था। ये हड़ताल थी महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ, जिसमें अमिताभ बच्चन से लेकर धर्मेंद्र तक कई सितारे शामिल हुए थे। 

क्या था मामला?

ये बात 1986 की है, जब फिल्मों के टिकट्स पर टैक्स रेट काफी ज्यादा था। तब आधे से ज्यादा बॉलीवुड महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आया था। सभी ने टिकट्स के दाम कम करने को लेकर हड़ताल की थी। ये वो दौर था, जब किसी नेक पहले के लिए हिंदी इंडस्ट्री के बड़े से बड़े अभिनेता एकजुट हुए थे।

अमिताभ बच्चन, देव आनंद, शबाना आजमी, धर्मेंद्र दिलीप कुमार, सुनील दत्त, राजेश खन्ना, हेमा मालिनी, राज कपूर सहित कई सितारे फिल्म टिकट पर लगने वाले टैक्स के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए सड़कों पर उतर आए थे।

रुक गया था फिल्मों का निर्माण

इस हड़ताल का असर ये हुआ था कि मांग पूरी होने तक 100 से ज्यादा फिल्मों का निर्माण रुक गया और करीब डेढ़ लाख लोगों ने काम करना बंद कर दिया। मामले को शांत करने के लिए एक्टर्स की एक समीति बनाई गई थी। इसमें अमिताभ बच्चन और सुनील दत्त को अध्यक्ष चुना गया। सितारों की लंबी जिद के बाद सरकार ने टैक्स घटाकर 15 से 5 करोड़ कर दिया था। 

'इमरजेंसी' में जब सरकार के खिलाफ हुए थे सितारे

1986 से पहले 1977 में भी वह वक्त आया था, जब बी टाउन के सितारों ने तब की सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। किशोर कुमार (Kishore Kumar) ने मुंबई के युवा कांग्रेस रैली में परफॉर्म करने से मना कर दिया था। उन्होंने संजय गांधी के 20 सूत्रिय कार्यक्रम को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन को भी करने से मना कर दिया था। इसका खामियाजा ये भुगतना पड़ा कि उनके गानों को दूरदर्शन पर बैन कर दिया गया।

शत्रुघ्न सिन्हा को मिली थी धमकी 

किशोर कुमार की तरह ही शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) भी उन साहसी लोगों में से रहे हैं, जिन्होंने बेझिझक सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। बॉलीवुड सितारों में से एक उन्हें इमरजेंसी के लिए प्रचार प्रसार करने को कहा गया था, जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया। इस कारण उनकी फिल्मों को दूरदर्शन पर बैन कर दिया गया। साथ ही धमकी भी दी गई कि कैंपेन न करने पर बड़ौदा डायनामाइट केस में फंसा दिया जाएगा।

देव आनंद ने बनाई थी पार्टी

1979 में जनता सरकार के पतन के साथ नए चुनाव का एलान हुआ, जिसके लिए फिल्मी सितारों ने भी कमर कस ली। इमरजेंसी के खिलाफ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लड़ने के लिए देव आनंद (Dev Anand) ने राजनीतिक दल 'नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया' का निर्माण किया था। इसके अध्यक्ष वह खुद थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं ने नसीहत दी कि चुनाव के बाद फिल्म उद्योग को बचाना है, तो पार्टी के इस तमाशे को यहीं खत्म कर दिया जाए। धीरे-धीरे 'नेशनल पार्टी' में सक्रिय फिल्मी कलाकार किनारा करने लगे। बाद में देव आनंद ने भी इस पार्टी के विचार को त्याग दिया।

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