आइकेनिक फिल्म शोले की कहानी ठाकुर और गब्बर सिंह की दुश्मनी पर ही आधारित है। अपने परिवार की हत्या की आग में जल रहा ठाकुर जय- वीरू को हायर करता है और गब्बर सिंह को मारने के काम पर लगाता है। इस सफर में कई और किरादर जुड़ते चले जाते हैं और शोले की एक दिलचस्प दुनिया बन जाती है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। रमेश सिप्पी की शोले में कई यादगार किरदार शामिल है। नौटंकीबाज वीरू और गंभीर जय से लेकर गब्बर सिंह तक, लगभग हर अभिनेता ने एक अलग किरदार निभाया। असरानी का खुद को हिटलर के जमाने का जेलर बताना जैसे कई साइड किरदार भी शोले की शान बने।
शोले के हीरो को लेकर हमेशा अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र का नाम सामने आता है। हालांकि, ये फिल्म के असली हीरो नहीं थे। शोले की जान संजीव कुमार यानी ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार था, क्योंकि पूरी कहानी उसी के इर्द- गिर्द बुनी है।
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कौन है शोले का असली हीरो ?
शोले की कहानी ठाकुर और गब्बर सिंह की दुश्मनी पर ही आधारित है। अपने परिवार की हत्या की आग में जल रहा ठाकुर, जय- वीरू को हायर करता है और गब्बर सिंह को मारने के काम पर लगाता है। इस सफर में कई और किरादर जुड़ते चले जाते हैं और शोले की एक दिलचस्प दुनिया बन जाती है।
ठाकुर के कील वाले जूते
शोले से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है, जब फिल्म में ठाकुर के हाथ लौट आए थे। दरअसल, फिल्म के आखिरी सीन में संजीव कुमार से एक गलती हो गई था। 1975 में रिलीज हुई शोले ने थिएटर्स में खूब तालियां बटोरी। फिल्म के एक- एक सीन पर सीटियां बजी थी। इनमें गब्बर सिंह को ठाकुर को कील वाले जूते से मारना भी चर्चित हुआ था।
जब संजीव कुमार से हुई गलती
शोले में संजीव कुमार बिना हाथों के नजर आए थे। सिर्फ एक्सप्रेशन के दम पर उन्होंने पूरी फिल्म में कमाल कर दिया। हालांकि, शोले के आखिरी सीन में संजीव कुमार भूल गए थे कि फिल्म ठाकुर के हाथ नहीं है। इस किस्से को शोले के लेखक जावेद अख्तर ने अनुपमा चोपड़ा की किताब शोले: द मेकिंग ऑफ क्लासिक में बताया है।
शूट हो रहा था शोले का आखिरी सीन
शोल में जब संजीव कुमार ने ठाकुर का किरदार निभाना शुरू किया, तो इस किरदार की दुनिया में डूबे हुए थे। अनुपमा चोपड़ा की किताब में शोले की शूटिंग के आखिरी दिनों के एक किस्से को लेकर उस सीन के बारे में जिक्र किया है, जहां जय (अमिताभ बच्चन) की मौत हो जाती है और राधा (जया बच्चन) टूट जाती है।
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जब लौट आए ठाकुर के हाथ
शोले के इस आखिरी सीन की जब शूटिंग चल रही थी, संजीव कुमार खुद बेहद भावुक हो गए थे। वो सीन में इतना खो गए कि भूल गए कि ठाकुर के हाथ नहीं है। उन्होंने डायरेक्टर रमेश सिप्पी से कहा, "मैं राधा की आंखों में देख सकता हूं कि वो बर्बाद हो गई है... उसकी शादी मेरे बेटे से हुई थी... और फिर मैं उसकी जय से शादी कर रहा था और फिर ये घटना हुई (जय की मौत)... मुझे उसके लिए बहुत बुरा लग रहा है... क्या ऐसा हो सकता है कि मैं उसे अपनी बाहों में ले लू और उसे सांत्वना दूं?'' और इस पर हैरान होते हुए रमेश सिप्पी ने पूछा, "कौन सी बांहें?"