Year Wrap Up 2017: इन फ़िल्मों में लड़कियों ने दिखाया दम, देखें तस्वीरें
साल 2018 में आने वाली अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘पैड मैन’ से भी यह उम्मीद जगती है कि अगले साल दर्शकों को कुछ बेहतरीन महिला प्रधान फ़िल्में देखने को..
By Hirendra JEdited By: Updated: Mon, 01 Jan 2018 10:36 AM (IST)
मुंबई। साल 2017 अब बीतने को है। बॉलीवुड के लिए भी यह साल कई मायनों में स्पेशल रहा है। इस साल लीक से हटकर भी कुछ फ़िल्में आईं और चर्चित भी रहीं। ‘न्यूटन’ से लेकर ‘शुभ मंगल सावधान’ जैसी इशू बेस्ड फ़िल्मों ने भी ध्यान खींचा तो वहीं ‘गोलमाल अगेन’ और ‘जुड़वां2’ जैसी कमर्शियल फ़िल्में भी चर्चा में रहीं।
महिलाओं को केंद्र में रखकर भी बॉलीवुड ने इस साल कुछ अलग तरह की कहानियां दिखाने की कोशिश की है। जैसे, हाल ही में रिलीज़ ‘सीक्रेट सुपरस्टार’। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब भी रही। फ़िल्म का एक संवाद कि – ‘ड्रीम देखना तो बेसिक होता है’ एक तरह से तमाम लड़कियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज को भी एक संदेश देने का काम करता है! वाकई, इन लड़कियों को भी सपने देखने का हक है और यह हक उनसे कोई नहीं छीन सकता। इन्सिया के किरदार में ज़ायरा वसीम और उनकी मां के किरदार में मेहर विज ने अपनी-अपनी भूमिका में यह दिखा दिया है कि एक स्त्री के लिए सब-कुछ संभव है।यह भी पढ़ें: Year Wrap Up: 2017 में इन 10 फ़िल्मों ने पहले दिन की ज़बर्दस्त कमाई
‘सीक्रेट सुपरस्टार’ के अलावा विद्या बालन की ‘तुम्हारी सुलु’ और ‘बेगम जान’ भी इस लिस्ट में शामिल है। सुलु जिस तरह से आम हाउस वाइफ के मन में उम्मीदें जगाने का काम करती है तो वहीं बेगम जान अपनी अस्मिता की लड़ाई के लिए प्रेरित करती है। जबकि, इस साल रिलीज़ हुई श्री देवी की फ़िल्म ‘मॉम’ और रवीना टंडन की फ़िल्म ‘मातृ ‘ मां की शक्ति और संकल्प से परिचित कराने वाली दो प्रभावशाली फ़िल्में हैं! इसके अलावा कंगना रनौत की फ़िल्म ‘सिमरन’ और तापसी पन्नू की फ़िल्म ‘नाम शबाना’ भी एक बदलती हुई लड़की की कहानी कहती है।
विवादों में रही फ़िल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा' चार अलग-अलग उम्र की महिलाओं की कहानी है, जो अपनी ज़िंदगी को बिंदास अंदाज़ में अपने मुताबिक जीना चाहती हैं। लेकिन, अलग-अलग रूप में मौजूद नैतिकता के ठेकेदार बार-बार उनकी राह में रोड़ा बनते हैं। फ़िल्म के एक सीन में एक लड़की का संवाद है, 'हमारी गलती यह है कि हम सपने बहुत देखते हैं।' कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं यह फ़िल्म भी महिलाओं के आज़ादी की बात करती है!श्रद्धा कपूर की फ़िल्म ‘हसीना पारकर’ भी इस साल महिला प्रधान फ़िल्मों में शामिल रही। लेडी डॉन के नाम से मशहूर हसीना पारकर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन है। पारकर ने लगभग 40 सालों तक दक्षिण मुंबई के नागपाड़ा इलाके में अपना राज चलाया था। अपूर्व लखिया के निर्देशन में बनी इस बायोपिक में दिखाया गया है कि किस तरह हसीना पारकर ने मजबूती से अपने भाई की वजह से आई दिक्कतों का सामना किया!यह भी पढ़ें: 2017 में अनुष्का शर्मा समेत इन 7 अभिनेत्रियों ने कर ली शादी, देखें तस्वीरेंइन सबके अलावा ‘जिया और जिया’, ‘डीयर माया’ और ‘इंदु सरकार’ जैसी फ़िल्मों ने भी एक स्त्री के मन और भावनाओं को बड़े पर्दे पर सफलतापूर्वक रचा है। बहरहाल, साल 2018 में आने वाली अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘पैड मैन’ से भी यह उम्मीद जगती है कि अगले साल दर्शकों को कुछ बेहतरीन महिला प्रधान फ़िल्में देखने को मिलने वाली हैं।