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Upcoming Sequels: बॉलीवुड की नैया पार लगाएंगी 'फ्रेंचाइजी फिल्में', मस्ती-हाउसफुल और 'गोलमाल' पर काम शुरू

बॉलीवुड में पिछले कुछ सालों से फ्रेंचाइजी फिल्मों को आगे बढ़ाया जा रहा है। इन फ्रेंचाइजी फिल्मों में कुछ कलाकार नए नजर आते हैं तो वहीं कुछ पुराने भी शामिल होते हैं। वेलकम फ्रेंचाइजी की दो फिल्मों में परेश रावल घुंघरू मामा की भूमिका में नजर आए। इसकी निर्माणाधीन तीसरी किस्त वेलकम टू द जंगल में भी वह नजर आएंगे।

By Jagran News Edited By: Aditi Yadav Updated: Fri, 03 May 2024 01:06 PM (IST)
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Akshay Kumar and Ajay Devgn (Photo Instagram)
प्रियंका सिंह व दीपेश पांडेय, मुंबई। बॉलीवुड पर्दे पर इन दिनों मस्ती, हाउसफुल, गोलमाल, वेलकम सहित कई फ्रेंचाइजी फिल्मों पर काम चल रहा है तो कुछ प्रदर्शन की कतार में हैं। आमतौर पर फ्रेंचाइजी फिल्मों को मूल कहानी और कलाकारों के साथ आगे बढ़ाया जाता है।

हालांकि, भूल भुलैया और वेलकम जैसी कुछ फिल्मों की सीरीज में नई कहानी के साथ नए कलाकार जोड़े गए। ऐसे में जो तत्व फ्रेंचाइजी फिल्मों को जोड़ता है, वो है कहानी की पृष्ठभूमि, वहीं कुछ कलाकारों की उपस्थिति नई कहानी और भूमिका में ही सही, लेकिन फ्रेंचाइजी की सभी फिल्मों में बनी रही।

इन फ्रेंचाइजी फिल्मों में बदले कलाकार

धूम, कृष, सिंघम, हेरा-फेरी, धमाल, गोलमाल, मस्ती, हाउसफुल जैसी कई फिल्मों की फ्रेंचाइजी को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है। फ्रेंचाइजी की दुनिया बदली, लीड कलाकार और निर्देशक बदले, लेकिन कुछ कलाकार नई भूमिका या मूल पात्र के साथ फ्रेंचाइजी फिल्म में लगातार बने रहे।

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वेलकम फ्रेंचाइजी की दो फिल्मों में परेश रावल घुंघरू मामा की भूमिका में नजर आए। इसकी निर्माणाधीन तीसरी किस्त वेलकम टू द जंगल में भी वह नजर आएंगे। हालांकि, इस बार वह नई भूमिका में होंगे।

भूल भुलैया के बाद भूल भुलैया 2 में अक्षय कुमार की जगह अभिनेता कार्तिक आर्यन ने नायक की भूमिका निभाई। फिल्म की कहानी और परिवेश दोनों नया था, लेकिन राजपाल यादव ने छोटा पंडित की भूमिका में दोनों फिल्मों को जोड़ा।

गोलमाल फ्रेंचाइजी फिल्मों की कहानी और पात्र बदले, लेकिन अजय देवगन, अरशद वारसी और तुषार कपूर का साथ बना रहा। मुन्नाभाई सीरीज की फिल्मों में संजय दत्त और अरशद वारसी के साथ बमन ईरानी की उपस्थिति बनी रही।

पात्र और कलाकार बन जाते हैं पहचान

मस्ती फिल्म की फ्रेंचाइजी में रितेश देशमुख, आफताब शिवदासानी और विवेक ओबेराय की तिकड़ी कायम रही। अब इसकी चौथी फिल्म पर काम चल रहा है। मस्ती 4 के निर्देशक मिलाप जावेरी कहते हैं-

रितेश, विवेक और आफताब के बिना मस्ती 4 नहीं बन सकती है। शुरुआती तीन फिल्मों के निर्देशक इंद्र कुमार और मैं इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि तीनों के साथ ही मस्ती बननी चाहिए। तीनों कलाकार भी जानते हैं कि उनकी भूमिकाओं के बिना मस्ती का मजा अधूरा है। इसी तरह हाउसफुल फ्रेंचाइजी को अक्षय सर के बगैर सोचा भी नहीं जा सकता है। धमाल रितेश, अरशद और जावेद जाफरी के बिना बन ही नहीं सकती है।

कुछ फिल्मों में उनके पात्र इतने लोकप्रिय हो जाते हैं कि वही चेहरे फ्रेंचाइजी की पहचान बन जाते हैं।

फिल्म निर्माता और बिजनेस एक्सपर्ट गिरीश जौहर का कहना है कि फ्रेंचाइजी फिल्मों में भले ही फिल्म का नायक और कहानी बदल जाए, लेकिन कुछ भूमिकाओं और कलाकारों की वजह से फ्रेंचाइजी की दुनिया जानी-पहचानी लगने लगती है।

भूल भुलैया 3 में छोटा पंडित के रूप में वापसी को लेकर उत्साहित राजपाल यादव कहते हैं-

भूल भुलैया फ्रेंचाइजी का अहम हिस्सा है छोटा पंडित का पात्र। उसकी उपस्थिति मुस्कान ले आती है, इसलिए उसका रहना आवश्यक है। उस पात्र के दो रंग दर्शकों ने देखे हैं। आगामी किस्तों में नए रंग दिखेंगे।

स्वभाव की समझ

लेखकों के लिए भी फ्रेंचाइजी फिल्मों में सतत उपस्थिति वाले कलाकारों की भूमिकाएं लिखना आसान नहीं होता है। इसके लिए उन्हें पात्र के स्वभाव को समझना पड़ता है। लेखक रजत अरोड़ा बताते हैं-

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अगर फ्रेंचाइजी की सभी फिल्मों को एक ही लेखक लिखता है तो उसे पता होता है कि हर पात्र का दृष्टिकोण और स्वभाव कैसा है। अगली फिल्म में कोई नया कलाकार आता है तो मूल फिल्म के पात्र के साथ उसकी तारतम्यता को कैसे जोड़ना है। हालांकि, इसका कोई तय नियम नहीं है। नए लेखक के पास फ्रेंचाइजी को लेकर बेहतर आइडिया और समझ है तो वह भी लिख सकता है। नए पात्रों के साथ नई कहानी दिखाते हैं। कुछ में कहानी आगे बढ़ती है तो पुराने पात्रों के साथ कुछ नए पात्र जुड़ जाते हैं।

सिर्फ नाम नहीं, कहानी भी जरूरी

किसी सफल फिल्म के शीर्षक, उसके लोकप्रिय पात्रों और कलाकारों के साथ फिल्म बना देने से ही फ्रेंचाइजी हिट नहीं होती है। मूल फिल्म की पृष्ठभूमि से जोड़ते हुए कहानी भी अच्छी होना आवश्यक है।परेश रावल वेलकम और धमाल दोनों ही फ्रेंचाइजी की सभी फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। उनका कहना है-

किसी फ्रेंचाइजी फिल्म में अगर कहानी अच्छी नहीं है तो उसका असर शीघ्र खत्म हो जाता है। हंगामा एक अच्छी फ्रेंचाइजी थी, लेकिन हंगामा 2 ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। जब आपके पास कोई लोकप्रिय पात्र या फिल्म हो तो आपको कुछ अलग करने की कोशिश करनी चाहिए।