इस बीच उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर फिल्ममेकर की लाइफ से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में चर्चा होनी तो बनती है। आइए इस लेख में एक नजर यश चोपड़ा के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने पहलूओं पर डालते हैं।
फिल्ममेकर बनने मुंबई नहीं आए थे यश चोपड़ा
बेशक हिंदी सिनेमा के सबसे सफल फिल्ममेकर्स में
यश चोपड़ा का नाम शामिल है। लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि यश एक फिल्म डायरेक्टर बनने के लिए मुंबई नहीं आए थे। साल 2012 में अपनी आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' की रिलीज से पहले यश चोपड़ा ने शाह रुख खान को एक खास इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी लाइफ से जुड़े कई अनसुने पहलुओं पर खुलकर चर्चा की।
इस इंटरव्यू में यश चोपड़ा ने बताया था- ''मेरा पूरा परिवार शुरुआत से ही फिल्म मेकिंग में था। मेरे बड़े भाई बीआर चोपड़ा (बलदेव राज चोपड़ा) उस समय हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशकों में शुमार थे। लेकिन मेरे पिता लाल विलायत राज चोपड़ा ये चाहते थे कि मैं पढ़ लिख कर एक इंजीनियर बनूं। साल 1951 में मैं मुंबई आ गया और इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए इंग्लैंड जाने के लिए मेरा पासपोर्ट भी तैयार किया जाने लगा।
लेकिन समस्या ये थी मैं इंजीनियर नहीं बनना चाहता था, मुझे इस मामले में कोई रुचि नहीं थी। तब मैंने अपने भाई बीआर चोपड़ा को इस बात की जानकारी दी और उन्हें बताया कि मैं उनकी तरह एक फिल्ममेकर बनना चाहता हूं। इसके बाद साल 1959 में बतौर निर्देशक यश ने 'धूल का फूल' बनाई।
ऐसे शुरू हुआ यशराज फिल्म्स का कारवां
मौजूदा समय में बॉलीवुड के सबसे पॉपुलर फिल्म प्रोडक्शन के बारे में जिक्र किया जाए तो उसमें
यशराज फिल्म्स बैनर का नाम टॉप पर शामिल होगा। इसकी नींव यशराज चोपड़ा के जरिए 1970 के दशक में रखी थी। साल 1965 में यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म 'वक्त' सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और उस दौर में इस मूवी को काफी लोकप्रियता मिली।
इस मूवी की सफलता के बाद यश चोपड़ा ने अपने प्रोडक्शन हाउस यशराज फिल्म्स की शुरुआत की। आलम ये है कि अब तक 50 सालों के शानदार सफर के दौरान यशराज बैनर तले एक से एक शानदार रोमांटिक और अन्य जॉनर की फिल्मों का निर्माण हो चुका है। यश चोपड़ा के डायरेक्शन की टॉप रोमांटिक फिल्मों की बात की जाए तो उसमें 'दाग, कभी-कभी, सिलसिला, लम्हें, चांदनी, वीर-जारा' जैसी कई फिल्मों के नाम शामिल हैं।
यश की फिल्मों ने इन कलाकारों को रातों-रात बनाया स्टार
70 के दशक में एक निर्देशक के रूप में यश चोपड़ा ने खुद को बखूबी स्थापित कर लिया था और हर फिल्म कलाकार उनके साथ फिल्म करने का सपना देखने लगा। लेकिन यश चोपड़ा के निर्देशन में सबसे अधिक सफलता किन्हीं दो कलाकारों को मिली तो वह शाह रुख खान और अमिताभ बच्चन हैं।यश चोपड़ा की मूवी 'दीवार, त्रिशूल, कभी-कभी,काला पत्थर और सिलसिला' जैसी शानदार फिल्मों ने अमिताभ बच्चन को इंडस्ट्री में रातों-रात बड़ा स्टार बना दिया। यश की इन फिल्मों की सफलता ने बिग बी के करियर में अहम भूमिका अदा की है।
अमिताभ बच्चन के अलावा शाह रुख खान को बतौर रोमांटिक हीरो की छवि यश चोपड़ा की फिल्मों से ही मिली। संयोग की बात यह रही की निर्देशक यश चोपड़ा ने अपने जीवन की आखिरी मूवी 'जब तक है जान' भी शाह रुख के साथ की।साल 1993 में आई फिल्म 'डर' से बेशक शाह रुख ने एक निगेटिव किरदार के जरिए यश चोपड़ा की फिल्मों में काम शुरू किया, लेकिन इसके बाद 'दिल तो पागल है (1997), वीर-जारा (2004) और जब तक है जान (2012)' के जरिए किंग खान को लोग एक रोमांटिक हीरो के रूप में बखूबी जान गए।
इन पुरस्कारों से यश चोपड़ा को गया नवाजा
हिंदी सिनेमा में फिल्म मेकिंग के शानदार योगदान को मद्देनजर रखते हुए
यश चोपड़ा को कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। पांच दशक के सफल करियर में यश ने एक से एक शानदार फिल्मों का निर्माण किया, जिसके चलते उन्हें 6 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 4 बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक फिल्मफेयर अवॉर्ड हासिल हुआ।
इतना ही नहीं साल 2001 में 'वीर-जारा' डायरेक्टर को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2005 में यश चोपड़ा को पद्म भूषण के खास पुरस्कार से नवाजा गया।
अतिंम फिल्म को लेकर पहले ही हो गया था आभास
बतौर निर्देशक यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म साल 2012 में रिलीज हुई
'जब तक है जान रही'। इस मूवी में शाह रुख खान, कटरीन कैफ और अनुष्का शर्मा ने अहम भूमिकाओं को अदा किया। आलम ये रहा कि 'जब तक है जान' बॉक्स ऑफिस पर सफल रही है। इस मूवी से जुड़ा रोचक किस्सा ये है कि यश को ये पहले ही आभास हो गया था कि ये मूवी उनकी आखिरी फिल्म होने वाली है।
इस फिल्म की रिलीज से करीब 1 महीने पहले शाह रुख खान को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इस बात की जानकारी दी थी- ''जब तक है जान मेरी आखिरी फिल्म होगी और इसके बाद मैं निर्देशक के रूप में फिल्म निर्माण बंद कर दूंगा।'' हैरान करने वाली बात ये रही कि इस मूवी की रिलीज से 20 दिन पहले यानी 21 अक्टूबर 2012 को यश चोपड़ा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
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