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Zeenat Aman ने फादर्स डे पर 'अब्बू' को किया याद, सरनेम के पीछे की भी बताई कहानी

Zeenat Aman Father जीनत अमान ने रविवार को इंस्टाग्राम पर फादर्स डे पर अपने माता-पिता की शादी पर भी बात की। उन्होंने इस बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने कुछ समय अपने पिता के साथ बिताया जब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था।

By Rupesh KumarEdited By: Rupesh KumarUpdated: Sun, 18 Jun 2023 04:09 PM (IST)
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Zeenat Aman Father: जीनत अमान ने एक स्टोरी शेयर की है। इसमें उन्होंने जानकारी दी है कि उनके माता-पिता की मुलाकात कैसे हुई, किस तरह दोनों ने शादी की और फिर अलग हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता ने मुगल-ए-आजम और पाकीजा जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट पर काम किया है। सदाबहार अभिनेत्री जीनत अमान ने एक बार फिर अपने यादों के झरोखे से दिलचस्प कहानी बयां की है। उन्होंने अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया के बारे में बातचीत की है।

जीनत अमान के सरनेम 'अमान' के पीछे की कहानी क्या है?

जीनत अमान ने इस बात की भी जानकारी दी कि उनके पिता ने उर्दू में कुछ कविताएं लिखी हैं, जिसे वह ट्रांसलेट कर पब्लिश कराना चाहती हैं। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि उनका सरनेम 'अमान' कैसे पड़ा। इंस्टाग्राम पर अपनी बचपन की तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने इन सब विषयों पर चर्चा की है। उन्होंने जानकारी देते हुए लिखा है,

"यह बहुत ही कीमती फोटो है। यह एक फोटो स्टूडियो में ली गई है। जब मैं छोटी थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं और एक अन्य रिश्तेदार आगे बैठे हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान रॉयल खानदान से आते हैं। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल के आखिरी राजा की पहली कजिन थी। उनका नाम था नवाब हमीदुल्लाह खान।"

जीनत अमान ने आगे लिखा है,

"अमान साहब के कई भाई-बहन थे। सभी भोपाल में बहुत ही अच्छी लाइफ स्टाइल जीते थे। उन्हें बहुत ही खूबसूरत समझा जाता था। वे मुंबई आ गए और हिंदी सिनेमा में हाथ आजमाने लगे। वहां उनकी भेंट मेरी मां वर्धिनी सिंधिया से हुई। दोनों की मुलाकात एक पार्टी में हुई थी। दोनों के बीच अफेयर हो गया और फिर दोनों ने शादी कर ली। दोनों के परिवार ने इसे स्वीकार नहीं किया। मेरी मां हिंदू थी और पिता मुस्लिम थे। छोटे से अभिनय करियर के बाद अमान साहब लेखक बन गए। उन्होंने कई फिल्मों के लिए स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखे। इसमें मुगल-ए-आजम और पाकीजा भी शामिल है। बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली होने के बावजूद एक लेखक के तौर पर उनका सम्मान किया जाता था लेकिन मुझे लगता है उन्हें उनका ड्यू नहीं मिला है। लेखकों को बहुत कम मिलता है।"

जीनत अमान आगे कहती है,

"मेरे जन्म के कुछ समय के बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का निर्णय लिया। मैं मेरी मां के साथ ही रही। मेरे पिता ने माउंट मैरी हिल में एक बंगला खरीदा था। मैं उनके साथ लॉन्ग वॉक पर जाती थी। वे मुझे आइसक्रीम दिलाते थे।वह मुझे कहानियां सुनाते थे और उर्दू की कविताएं सुनाते थे। कुछ उन्होंने खास मेरे लिए भी बनाई थी। कई बार वह मेरे और मेरी मां के लिए खूबसूरत लेटर लिखा करते थे।"

जीनत अमान ने अपने सरनेम पर भी बात की। वह कहती है,

"यही मेरे भी पिता के साथ मेरी कुछ यादें हैं। उनका देहांत 41 वर्ष की आयु में हो गया। तब ना स्कूल में ही थी। मैं आशा करती रही कि काश मुझे उनके साथ और समय मिलता ताकि मैं उन्हें और समझ पाती। उनकी उर्दू की कविताएं मेरे दिल के काफी करीब है। मैं एक दिन उसे ट्रांसलेट करके पब्लिश करवाऊंगी। इस फादर्स डे अपने पिता अमानुल्लाह खान को याद कर रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने सरनेम में लगाया है।"