Entertainment: फिल्म फाइटर के बाद कतार में हैं अक्षय ओबेरॉय के पांच प्रोजेक्ट, बोले- आज जहां भी हूं, अपनी मेहनत के बल पर हूं
अमेरिका में पले-बढ़े अभिनेता अक्षय ओबेरॉय फिलहाल अपने करीब डेढ़ दशक के पेशेवर जीवन के व्यस्ततम दौर में हैं। उन्होंने हालिया प्रदर्शित फिल्म फाइटर से जहां कमर्शियल सफलता का स्वाद चखा वहीं आगामी दिनों में उनके पांच अन्य प्रोजेक्ट प्रदर्शन कतार में हैं। आगे अक्षय ओबेरॉय बोले आज जहां भी हूं अपनी मेहनत के बल पर खड़ा हूं। मैं आगामी फिल्मों को करने के लिए उत्साहित हूं।
एंटरटेनमेंड डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में पले-बढ़े अभिनेता अक्षय ओबेरॉय फिलहाल अपने करीब डेढ़ दशक के पेशेवर जीवन के व्यस्ततम दौर में हैं। उन्होंने हालिया प्रदर्शित फिल्म फाइटर से जहां कमर्शियल सफलता का स्वाद चखा, वहीं आगामी दिनों में उनके पांच अन्य प्रोजेक्ट प्रदर्शन कतार में हैं। इसमें वर्चस्व, तू चाहिए और 2014 फिल्में तथा इल्लीगल सीजन 2, ब्रोकेन न्यूज सीजन 2 शामिल है। अक्षय से उनके पेशेवर सफर और कुछ अन्य विषयों पर बातचीत :
1.अब तो कमर्शियल सफलता भी हाथ लग गई है..
-बिल्कुल, मैं तो इस चीज के लिए भूखा था। भगवान की दया से मुझे समीक्षकों की सराहना तो बहुत मिल चुकी है, लेकिन उसका असर बाक्स आफिस पर देखना बाकी था। मैंने यह अहसास किया कि कमर्शियल सफलता जैसा स्वाद और कहीं नहीं है। हर प्रोजेक्ट के साथ कलाकार के जीवन में एक नया पहलू जुड़ता है, इसके साथ मेरे जीवन में भी एक नया चैप्टर जुड़ गया है। अब आगे जो फिल्में चुनी जाएंगी, बहुत सोच समझ कर चुनी जाएंगी कि बतौर कलाकार मैं अपने आप को और आगे कैसे बढ़ाऊं? लोगों के दिलों में जगह कैसे बनाऊं, उनका मनोरंजन कैसे करूं?
2.तो क्या अब आगे भी फिल्म की कमर्शियल संभावनाओं को देखते हुए चुनाव करेंगे?
-मैं एक्टर हूं, अलग-अलग रोल निभाने के लिए भूखा हूं। गुड़गांव जैसी फिल्में करने में बहुत मजा आता है। ऐसा नहीं है कि मैंने यह तय कर लिया है कि फिल्म फलां बजट की होगी तभी मैं करूंगा, ये बात न पहले कभी मेरे दिमाग में आई थी, न अब है। मुझे दिलचस्प फिल्मों में काम करते हुए दिलचस्प भूमिकाएं निभानी है। खुद को किसी एक दायरे में नहीं बाध सकता हूं कि अब मैं सिर्फ ये करूंगा या वो करूंगा। अगर मैं किसी बड़े स्टार का बेटा होता, तब मैं शायद ऐसा कर पाता, लेकिन मैं नहीं हूं।3.अगर स्टार और पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखें तो आपका नाम भी तो ओबेराय परिवार से आता है..
-ओबेराय परिवार से जुड़े होने का प्रभाव मेरे करियर पर उदासीन ही रहा। मैं इसको न तो सकारात्मक कहूंगा, न ही नकारात्मक। उनकी (अभिनेता सुरेश ओबेराय और विवेक ओबेराय) वजह से मुझे प्रेरणा मिली कि मैं एक्टर बन सकता हूं। मैंने उन्हें और उनके काम को देखा, वो बहुत महान कलाकार हैं। अगर वो नहीं होते तो मैं शायद सिनेमा इंडस्ट्री की तरफ बढ़ने वाले कदम उठाता ही नहीं। ये भी सच है कि मेरे लिए उनका कुछ खास मार्गदर्शन नहीं रहा, लेकिन प्रेरणा तो उन्हीं से मिली है। इस इंडस्ट्री में मैंने जो भी रास्ता तय किया है, वो मैंने खुद ही खोजा है। आज मैं जहां भी खड़ा हूं अपनी मेहनत के बल पर खड़ा हूं। कई लोगों को तो पता भी नहीं है कि मैं उस परिवार से आता हूं।
4.आपके हिसाब से किसी फिल्म की सफलता में स्टारडम कितना महत्वपूर्ण होता है?
-फिल्म को हिट कराने में तो नहीं, लेकिन उसे लोगों तक पहुंचाने में स्टारडम अहम भूमिका निभाता है। जब लोग आपको पहले से ही जानते हैं, तो उन्हें सिनेमाघरों तक लाना थोड़ा आसान हो जाता है। बाकी कोई भी फिल्म सिर्फ और सिर्फ अपनी कहानी और निर्माण के तरीके के बल पर चलती है। कोरोना काल के बाद स्टारडम को लेकर काफी चीजें बदली हैं। ऐसा नहीं कि स्टारडम का प्रभाव खत्म हो जाएगा, स्टारडम हमेशा रहेगा। ट्वेल्थ फेल और हनु मैन जैसी फिल्मों ने अच्छी कमाई की। अब लोग स्टार्स के साथ नवोदित और कम लोकप्रिय कलाकारों की फिल्में भी चल रही हैं, अगर वो अच्छी तरह से बनी हैं।5.अभिनय में उतरते समय तो कहीं न कहीं आपका सपना भी शाह रुख खान और सलमान खान जैसी स्टारडम प्राप्त करने का होगा?
-एक बात मैं स्पष्ट कर दूं कि अब सलमान खान, शाह रुख खान, आमिर खान और रितिक रोशन जैसा स्टारडम किसी को नहीं मिलेगा। वो दिन गए, वो जमाना गया। आज के दौर में इतना कंटेंट बन रहा है कि उस तरह का स्टारडम प्राप्त करना किसी भी नए कलाकार के लिए मुश्किल है। उस स्तर के बारे में सोचना भी बेकार है। हमारे हाथ में तो सिर्फ यही है कि बतौर कलाकार जितना अच्छा बन सको, बनो। जितनी ज्यादा प्रशंसा बटोर सको, बटोरो। मेरा ध्यान हमेशा से इसी पर रहा है और किसी पर नहीं। स्टारडम का क्या बताऊं, मैं उसका पीछा कैसे कर सकता हूं। उसका पीछा करना बेकार है।