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मेरी हर कामयाबी की वजह अम्मी हैं-अभिनेता शीजान एम खान

जिंदगी और करियर में अम्मी के योगदान पर शीजान कहते हैं सिर्फ उर्दू की अच्छी समझ ही नहीं मुझे जो भी प्रतिभा मिली है अम्मी की वजह से ही मिली है। मेरी सूरत भी उन्हीं के जैसी है और सीरत भी। मैं हर काम में अम्मी से सुझाव लेता हूं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 11:33 PM (IST)
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धारावाहिक अलीबाबा दास्तां ए काबुल- अभिनेता शीजान एम खान-
दीपेश पांडेय। जोधा अकबर और पृथ्वी वल्लभ: इतिहास भी, रहस्य भी धारावाहिकों के अभिनेता शीजान एम खान के मुताबिक अच्छे काम के मामले में किस्मत ने उनका साथ दिया है। अब वह सोनी सब चैनल के धारावाहिक अलीबाबा दास्तां ए काबुल में शीर्षक किरदार में नजर आएंगे...

खुद ही मांगा काम

आमतौर पर कलाकार आडिशन या स्क्रिप्ट नरेशन के जरिए किसी शो से जुड़ते हैं। इस शो से जुड़ने को लेकर शीजान कहते हैं, इस शो के लिए न मुझे आफर आया था, ना ही आडिशन के लिए बुलाया गया था। दरअसल, जब इस शो पर काम शुरू हुआ तो मैं एक दूसरा शो कर रहा था। मुझे इस शो के बारे में कुछ नहीं पता था। एक दिन ऐसे ही मैंने कास्टिंग डायरेक्टर असद शेख को फोन किया और उनसे पूछा कि कोई आडिशन हो तो बताओ। फिर मुझे इस शो के बारे में पता चला। इसके लिए कई आडिशन और वर्कशाप हुए। इस शो को पाने में मुझे करीब दो-ढाई महीने लग गए। अलीबाबा की कहानी मैंने बचपन में सुनी है तो इसमें एक अलग किस्म की दिलचस्पी थी। स्क्रिप्ट पढ़कर मैं अलीबाबा के दर्द और संघर्ष को महसूस कर पाया, कई बार तो ऐसा भी लगा कि वो अलीबाबा नहीं मैं ही हूं।

शीर्षक किरदार

इससे पहले अलीबाबा की कहानियां कई फिल्मों और शो के माध्यम से दिखाई जा चुकी हैं। इस शो में क्या अलग है? इस सवाल के जवाब में शीजान कहते हैं, मुझे इस शो की कहानी और किरदार दोनों अलग लगे। इसे अलग तकनीक और अलग तरीके से बनाया जा रहा है। फिल्में हो या टीवी हमारे यहां काफी लंबे समय से अलीबाबा से जुड़ा कुछ नहीं बनाया गया है। शो का नाम ही अलीबाबा के नाम से है। टीवी इंडस्ट्री में ऐसा बहुत कम होता है कि लड़कों को टाइटल रोल करने का मौका मिले। करियर के लिहाज से भी यह काफी अच्छा था। बाकी शो में सिर्फ एक ही चीज दिखाई जाती है कि कैसे नायिका की वजह से एक के बाद एक सारी बला टलती रहती है। मुझे ऐसा लगता है कि मेरी जगह कोई दूसरा एक्टर भी होता तो इतने बड़े शो को इन्कार नहीं करता। इसमें मनोरंजन के साथ-साथ समानता, इंसानियत जैसे विषयों पर सामाजिक संदेश भी दिया जा रहा है। जब इस शो का पहला एपिसोड प्रसारित हुआ तो मैंने सेट पर अपनी टीम और परिवार के साथ बैठकर देखा। एपिसोड आधा ही खत्म हुआ था कि अम्मी खुशी से रोने लगीं।

बढ़ाया वजन

इस किरदार की तैयारी को लेकर शीजान कहते हैं, मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह है कि घर में उर्दू अच्छी बोली जाती है। अम्मी उर्दू की लेखिका रही हैं। पिछला शो करने के दौरान ही पेट में इंफेक्शन की वजह से मुझे हास्पिटल में भर्ती होना पड़ा था। इसकी वजह से शरीर काफी कमजोर हो गया था। मैंने इस किरदार के लिए अपना वजन करीब 15 किलो बढ़ाया। इसके साथ बाल और दाढ़ी भी बढ़ाई।

किस्मत का साथ

कई कलाकारों ने टीवी में नई और प्रायोगिक चीजें करने के मौके कम मिलने की बात कही है। इस पर शीजान कहते हैं, काम के मामले में अल्लाह और किस्मत दोनों ने मेरा साथ दिया है। मैंने कभी टिपिकल सास-बहू वाले शो नहीं किए हैं। ये चीजें एक्टर की पसंद पर भी निर्भर करती हैं कि उसे किस तरह का काम करना है। वैसे सिर्फ अपनी पसंद का काम करना बहुत जोखिम भरा फैसला होता है, लेकिन जब तक एक्टर ऐसे फैसले नहीं लेगा, वह आगे नहीं बढ़ पाएगा। यह तो वक्त की बात है कि ऊपरवाला आपको कितना तपाना चाहता है और आप तप के कुंदन बन जाते हैं। मेरी जिंदगी में ऐसे भी मौके रहे हैं कि मैंने पूरा शो कर लिया, लेकिन उसके पैसे नहीं मिले। एक बार मेरी होर्डिंग पूरे शहर में लगी हुई थीं, लेकिन मेरे खाते में सिर्फ दो सौ रुपये थे। फिर भी अपनी पसंद का काम किया है।

अम्मी ने बनाया अच्छा इंसान

जिंदगी और करियर में अम्मी के योगदान पर शीजान कहते हैं, सिर्फ उर्दू की अच्छी समझ ही नहीं, मुझे जो भी प्रतिभा मिली है, अम्मी की वजह से ही मिली है। मेरी सूरत भी उन्हीं के जैसी है और सीरत भी। मैं हर काम में अम्मी से सुझाव लेता हूं। हर मुश्किल परिस्थिति में वह मुझे समझाती हैं और उचित सुझाव भी देती हैं। वही मेरी हर कामयाबी की वजह हैं। कामयाबी और नाकामयाबी तो अपनी जगह है, लेकिन जिस वजह से मैं अच्छा इंसान बन पाया वो मेरी अम्मी हैं।