Move to Jagran APP

भूस्खलन से जोशीमठ में फंसी कविता कौशिक निकली सुरक्षित बाहर, कई दिनों तक मिलिट्री कैंप में बिताई रात

उत्तराखंड में बीते दिनों हुए भूस्खलन में फंसी एफआइआर धारावाहिक की अभिनेत्री कविता कौशिक अब सुरक्षित हैं। वह बद्रीनाथ से जोशीमठ के रास्ते में फंस गई थीं। जहां उन्हें चार दिनों तक मिलिट्री कैंप में रहना पड़ा। कविता 30 जून को अपने पति रोनित बिस्वास भाई और पालतू कुत्ते के साथ उत्तराखंड भ्रमण पर निकली थीं। उन्होंने सेना तथा पुलिस के जवानों का आभार जताया हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 14 Jul 2024 05:45 AM (IST)
Hero Image
भूस्खलन से जोशीमठ में फंसी कविता कौशिक निकली सुरक्षित बाहर
एंटरटेनमेंट ब्यूरो, मुंबई। उत्तराखंड में बीते दिनों हुए भूस्खलन में फंसी एफआइआर धारावाहिक की अभिनेत्री कविता कौशिक अब सुरक्षित हैं। वह बद्रीनाथ से जोशीमठ के रास्ते में फंस गई थीं। जहां उन्हें चार दिनों तक मिलिट्री कैंप में रहना पड़ा। शनिवार को सुरक्षित बाहर निकलने के बाद वह काशीपुर की तरफ रवाना हुई, वहां उन्हें एक स्कूल समारोह में हिस्सा लेना है।

कविता 30 जून को अपने पति रोनित बिस्वास, भाई और पालतू कुत्ते के साथ उत्तराखंड भ्रमण पर निकली थीं। उन्होंने पांच जुलाई को बद्रीनाथ के दर्शन किए। भूस्खलन और खराब मौसम के कारण वह वहां से आगे नहीं बढ़ पाईं और माना स्थित मिलिट्री कैंप में रुकना पड़ा।

पुलिस के जवानों का आभार जताया

करीब तीन दिनों तक वहां रहने के बाद उन्होंने जोशीमठ की तरफ प्रस्थान किया। रास्ते में भूस्खलन के कारण वह फिर फंस गईं और करीब चार दिनों तक वहां के मिलिट्री कैंप में रहीं। अब वह सुरक्षित निकल चुकी हैं। इसके लिए उन्होंने सेना तथा पुलिस के जवानों का आभार जताया हैं।

दैनिक जागरण से बातचीत में कविता ने बताया कि हम लोग बद्रीनाथ दर्शन के लिए गए थे। उसके बाद हम जोशीमठ आएं। यहां एक के बाद एक लगातार चार जगह बड़े-बड़े भूस्खलन हुए। उसके कारण हमें आगे निकलने में चार दिन लग गए। सेना और पुलिस के जवानों ने हमारी बहुत मदद की।

उन्होंने न सिर्फ मेरा बल्कि बद्रीनाथ और जोशीमठ के रास्ते के बीच फंसे हजारों यात्रियों की वहां से निकलने और सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद की।

चार दिनों तक जोशीमठ रहीं

आगे यह भी बताया कि उन्होंने न सिर्फ मदद की बल्कि फंसे यात्रियों के बीच खाना और पानी समेत जरूरी चीजें भी पहुंचाई। हमारे लिए तो अच्छा एडवेंचर रहा, लेकिन जो लोग सड़क पर फंसे थे, उनकी जान हथेली पर थी। मैं चार दिनों तक जोशीमठ और दो-तीन दिनों तक माना के आर्मी कैंप में रही।