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Sharman Joshi Interview: सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स भी तय करते हैं आपकी लोकप्रियता का पैमाना, लेकिन...

Sharman Joshi Interview अभिनेता शरमन अब कमर्शियल के साथ-साथ विषय प्रधान कहानियों के बीच संतुलन साध कर चल रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने फिल्म सब मोह माया की है जो 18 नवंबर को सीधे टीवी पर जी अनमोल सिनेमा चैनल पर प्रसारित होगी। बचपन से ही अनुशासन प्रिय बच्चे रहे शरमन से उनकी फिल्म और पेशेवर जिंदगी के वर्तमान दौर पर बातचीत

By Deepesh pandeyEdited By: Prince SharmaUpdated: Sun, 12 Nov 2023 06:31 AM (IST)
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फिल्म सब मोह माया है में बेरोजगार बेटे की भूमिका में नजर आएंगे शरमन
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। थ्री इडियट्स, ढोल और गोलमाल जैसी कमर्शियल मसाला फिल्में कर चुके अभिनेता शरमन जोशी अब कमर्शियल के साथ-साथ विषय प्रधान कहानियों के बीच संतुलन साध कर चल रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने फिल्म सब मोह माया की है, जो 18 नवंबर को सीधे टीवी पर जी अनमोल सिनेमा चैनल पर प्रसारित होगी। बचपन से ही अनुशासन प्रिय बच्चे रहे शरमन से उनकी फिल्म और पेशेवर जिंदगी के वर्तमान दौर पर बातचीत:

1.न सिनेमाघर, न डिजिटल प्लेटफॉर्म, जब आपको फिल्म सीधे टीवी पर प्रदर्शित होने वाली बात पता चली, तो पहली प्रतिक्रिया क्या थी?

ये फिल्म डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने के लिए बनाई गई थी, इसके साथ ही यह भी सोच थी कि सिनेमाघरों में भी रिलीज करने के विकल्प खुले रखे जाएंगे। अब निर्माताओं ने यह निर्णय लिया, तो यह फिल्म सीधे टीवी पर आ रही है।

माध्यम से उतना फर्क नहीं पड़ता है, बतौर अभिनेता मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फिल्म ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। इस फिल्म की कहानी बहुत अनोखी है, जो मनोरंजन के साथ लोगों को एक बार तो सोचने पर जरूर मजबूर करेगी।

2. अगर पिछली कुछ फिल्मों की बात करें, तो कमर्शियल मसाला फिल्मों से अलग आपकी पसंद कुछ बदली नजर आ रही है..

अब जाकर यह मौका मिला है कि निर्माता, फाइनेंसर ऐसी कहानियों को सपोर्ट कर रहे हैं। निर्देशक, कलाकार जो कई वर्षों से ऐसी कहानियां लोगों के सामने लाना चाहते थे, अब उन्हें यह प्रस्तुत करने का मौका मिल रहा है। मुझे जब ऐसी कहानियों का हिस्सा बनने का मौका मिल रहा है तो मैं दोनों हाथों से उन्हें लपक रहा हूं। मेरी कोशिश अब विषय प्रधान और कमर्शियल फिल्मों के बीच संतुलन बनाकर चलने की होगी।

3. आगामी प्रोजेक्ट में इस संतुलन का कितना ध्यान रखा है?

मेरी आगामी फिल्मों में पेंट हाउस अब्बास मस्तान के निर्देशन में बन रही कमर्शियल फिल्म है। जिद्दी सनम और इश्क अनसेंसर्ड भी कमर्शियल फिल्में हैं। वही वेब सीरीज कफस की कहानी अलग थी। हर विषय की अपनी एक विशेषता होती है, मैं चाहता हूं कि मैं हर तरह की कहानियों का हिस्सा बनूं।

4.इस फिल्म में पिता अपने बेटे को कमाई के लिए ताने मारता है, क्या आपको भी कभी किसी के ताने सुनने पड़े हैं?

मैं हमेशा से बहुत अच्छा बच्चा था, हमेशा से नियम और अनुशासन में चलने वाला रहा हूं। आज तक मैंने अपने आप में कोई खास बदलाव नहीं किया है। माम (मां)-डैड दोनों के लिए मैं प्यारा बच्चा रहा हूं। माम ने तो अपने प्यार से मुझे बहुत बिगाड़ा, डैड थोड़ा अनुशासन में रखते थे।

मेरे माता-पिता को लगता था कि मैं कभी कुछ गलत कर ही नहीं सकता हूं। एक समय तो ऐसे था घर लेट आने पर भी वह मुझसे नहीं पूछते थे, तब मुझे लगता था कि उन्हें मेरी फिक्र ही नहीं है। अब मुझे लगता है कि उन्होंने मुझे खुली छूट देकर मुझ पर ही जिम्मेदारी डाल दी थी। मुझे कभी किसी बात को लेकर ताने नहीं सुनने पड़े।

5.एक पिता के तौर पर बच्चों के साथ आपका व्यवहार कैसा होता है, मैत्रीपूर्ण या अनुशासनप्रिय ?

प्यार, प्यार और प्यार.. बच्चों के पालन पोषण का इससे बेहतर और कोई तरीका नहीं है। बच्चों को इतना प्यार दें कि उन्हें कभी किसी बात की कमी महसूस न हो। बच्चे सही और गलत दोनों काम करेंगे, उन्हें प्यार से ही सही रास्ता दिखाना चाहिए। प्यार के साथ कभी-कभार अनुशासन भी जरूरी है। वो समय-समय पर होता रहता है। मेरे पापा ने मुझे जिस तरह से बड़ा किया है, मैं चाहता हूं कि मैं भी अपने बच्चों को उसी तरह से बड़ा करूं। उन्होंने मुझ पर या मेरी बहन पर कभी हाथ नहीं उठाया। हां, गलती करने पर डांट जरूर सकते हैं, लेकिन मारने का बहुत गलत प्रभाव पड़ता है।

6.इंटरनेट मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या भी स्टारडम का एक नया पैमाना बनता जा रहा है, हालांकि आपकी सक्रियता बहुत कम दिखती है?

यह अपनी व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है। अगर आपको लगता है कि आपको किसी विषय पर इंटरनेट मीडिया पर बात करनी चाहिए, तो आपको जरूर करनी चाहिए। मुझे तो फिलहाल ऐसा लगता है कि मुझे सिर्फ अपने काम के बारे में बातें करनी चाहिए। अगर भविष्य में कभी लगेगा कि किसी और विषय पर बात करनी चाहिए तो उस पर भी करूंगा। बाकी रही बात इंटरनेट मीडिया पर फालोअर्स और लोकप्रियता की तो इसमें कोई दो राय नहीं कि इसका लोकप्रियता से सीधा संबंध होता है। हालांकि, कला और अभिनय दूसरी दुनिया होती है, वहां अगर आपकी कला सही नहीं है तो लोकप्रियता काम नहीं आएगी।

7.आपके अभिनय सफर की शुरुआत रंगमंच से हुई थी, अब उसे कितना समय दे पाते हैं?

फिल्मों की व्यस्तता के चलते थिएटर नहीं कर पा रहा था। मैंने पांच साल पहले ही दोबारा थिएटर करना शुरू किया है। राजू राजाराम और मैं नाम का एक नाटक है, हम वो करते हैं। गुजराती में हमने इसके 500 से ज्यादा शो किए थे, हिंदी में 100 से ज्यादा शो हो चुके हैं। अब इसी नाटक को करने हम कनाडा जा रहे हैं। थिएटर भी साथ-साथ ही चल रहा है। मैं जो थिएटर पर करता हूं वो कमर्शियल ही होता है। उसके शो भी बड़े-बड़े थिएटर में होते हैं और उसके टिकट भी काफी महंगे होती है।

दीपेश पांडेय

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