8 A.M. Metro Review: सुलगते मुद्दों के बीच ठंडी फुहार की तरह गुलशन और संयमी की फिल्म, देखकर मिलेगा सुकून
8 A.M. Metro Movie Review गुलशन देवैया और संयमी खेर फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं। गुलशन को दर्शकों ने हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज दहाड़ में देखा होगा जिसमें उन्होंने पुलिस अफसर का किरदार निभाया था।
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 19 May 2023 07:30 PM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। राज आर निर्देशित फिल्म 8 ए.एम. मेट्रो की कहानी मल्लाडी वेंकट कृष्णमूर्ति द्वारा लिखित 1989 में आए तेलुगु उपन्यास 'अंदामैना जीविथम' (अंग्रेजी में It's A Beautiful Life) से प्रेरित है। कहानी शीर्षक के अनुरूप सुबह आठ बजे मेट्रो में दो अजनबी के परिस्थितिवश मिलने पर आधारित है।
बालीवुड की घिसीपिटी लीग से इतर उनकी दोस्ती एक-दूसरे को उनकी दबी आकांक्षाओं को पूरा करने और उनके अंदर के डर को दूर करने में मदद करती है।
क्या है 8 ए.एम. मेट्रो की कहानी?
महाराष्ट्र के नांदेड में अपने दो बच्चों और पति के साथ रहने वाली इरावती (संयमी खेर) कविताएं लिखती है, पर घर की मुर्गी दाल बराबर तो उसकी प्रतिभा की घर में कोई कद्र नहीं है। बचपन में हुई एक घटना की वजह से उसे ट्रेन में अकेले सफर करने से डर लगता है।
फोटो- गुलशन देवैया ट्विटर
बहन की डिलीवरी की वजह से उसे अकेले हैदराबाद जाना पड़ता है। वह डरते-डराते ट्रेन से वहां पहुंचती है। बहन के कहने पर मध्यमवर्गीय परिवार की इरावती अस्पताल से घर मेट्रो से आना-जाना आरंभ करती है। हालांकि, उसके लिए यह सफर आसान नहीं होता।वह सुबह आठ बजे मेट्रो पकड़ती है, लेकिन डर की वजह से उसके पसीने छूटने लगते हैं। यह देखकर स्टेशन पर मौजूद प्रीतम (गुलशन देवैया) उसकी मदद करता है। अगले दिन फिर दोनों उसी समय मिलते हैं। वह इरावती का डर निकालने की कोशिश करता है। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो जाती है।
वह इरा के लेखन की तारीफ करता है। उसे लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है। हालांकि, बैंक में कार्यरत प्रीतम ने अपनी जिंदगी का राज उससे छुपा कर रखा होता है। क्या उन दोनों की दोस्ती कायम रह पाएगी? प्रीतम की जिंदगी का दर्द क्या है? क्या इरा किताब लिख पाएगी? इन पहलुओं पर कहानी आगे बढ़ती है।