इस क्राइम थ्रिलर की शुरुआत 2020 में डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर हुई थी। डच सीरीज पेनोजा की इस रीमेक का पहला सीजन ऐसे दौर में आया था, जब पूरी दुनिया पर कोविड का आतंक छाया हुआ था और लॉकडाउन लगा हुआ था। यह लम्बे अर्से बाद सुष्मिता की अभिनय में वापसी थी। दर्शकों ने पहले सीजन को हाथोंहाथ लिया और सुष्मिता का ओटीटी डेब्यू सुपरहिट रहा। पहले सीजन की कामयाबी ने दूसरे का इंतजार बढ़ा दिया, जो 2021 में आया। इसे भी दर्शकों का प्यार मिला। लगभग दो साल के गैप के बाद तीसरे सीजन का पहला भाग नवम्बर में आया और अब दूसरा भाग रिलीज हो गया है।
भारतीय सीरीजों के साथ अक्सर ये समस्या आती है कि लोकप्रियता के ग्राफ के साथ आने वाले सीजनों की पकड़ ढीली होती जाती है। आर्या के तीसरे सीजन के साथ भी ऐसा ही हुआ है।
अंतिम वार कहकर प्रचारित किये गये आखिरी सीजन में ट्विस्ट्स और टर्न्स तो खूब रखे गये हैं, मगर दृश्य असर नहीं छोड़ते। दूसरा पार्ट आते-आते कहानी थकी हुई लगने लगती है आर्या बिल्कुल परम्परागत हिंदी फिल्मों के ढर्रे पर आ जाती है।
आर्या के पुराने कर्मों से बने नये दुश्मन
तीसरे सीजन की कहानी आर्या के पुराने कर्मों की वजह से बने नये दुश्मनों के कहर बरपाने और उसके ड्रग्स का धंधे को अपने कब्जे में लेने की कोशिशों पर आधारित है। अपनों की धोखाधड़ी और बच्चों के प्रेम प्रसंग आर्या की जिंदगी को जटिल बनाते हैं।उसके लिए ये समझना मुश्किल हो जाता है कि किस पर भरोसा करे, किस पर नहीं? वो सबकी हिफाजत करने का दम भरती है, मगर कर नहीं पाती। इससे उसके बच्चे भी दूर होने लगते हैं। अब आर्या कैसे निजी जीवन और बाहर की चुनौतियों से निपटती है। दूसरा पार्ट इसी संघर्ष पर केंद्रित है।
तीसरे सीजन की शुरुआत आर्या पर हमले से होती है। उसे गोली लगती है और गिर पड़ती है। इसके बाद सीरीज फ्लैशबैक में आगे बढ़ती है। अपनी पत्नी नंदिनी की मौत का बदला लेने के लिए उदयवीर का दामाद सूरज रायजादा आ चुका है। उसका एक ही मकसद है आर्या को तबाह कर देना।
इसके लिए वो रूसी माफिया के एजेंट से हाथ मिलाकर आर्या की एक हजार करोड़ की ड्रग सप्लाई को लूटने की योजना बनाता है। इस डिलीवरी के बाद आर्या इस धंधे की सबसे बड़ी सप्लायर बन जाती और वो अपने परिवार को सुरक्षित कर सकती है।नलिनी साहिबा के रोल में इला अरुण की इस सीजन में एंट्री होती है, जो खुद सबसे बड़ी सप्लायर हैं और वो नहीं चाहती कि आर्या उसे रिप्लेस करे। तीसरे सीजन के दूसरे भाग की कहानी इन्हीं तीन किरदारों के बीच घूमती है। नारकोटिक्स का एसीपी यूनुस खान आर्या के खिलाफ सबूत जुटाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने आर्या की टीम में एक खबरी छोड़ा हुआ है।
बरकरार है अभिनय की धार
सुष्मिता ने आर्या के किरदार की लय और तेवरों को बरकरार रखा है। इस किरदार के भावनात्मक उतार-चढ़ावों को उन्होंने असरदार ढंग से पेश किया है। बच्चों को बचाने और दुश्मनों से निपटने के बीच आर्या के फ्रेस्ट्रेशन को पर्दे पर उतारने में सुष्मिता सफल रही हैं।एसीपी खान के किरदार में विकास कुमार ने अपना पैनापन बनाकर रखा है। राजशाही दम्भ में डूबी नलिनी साहिबा के रोल की ठसक इला अरुण के अभिनय में नजर आती है।
सम्पत के रूप में विश्वजीत का किरदार इस बार चौंकाता है। वफादार दौलत के किरदार में सिंकदर खेर कम सीन होने के बावजूद अपनी मौजूदगी का एहसास करवाते हैं। आर्या के साथ इस किरदार की समीकरण दिलचस्प है। इंद्रनील सेनगुप्ता ने बदले की आग में जल रहे सूरज के किरदार को भावनात्मक मोड़ दिया है, जो इसे अप्रत्याशित बनाता है।
कैसा है आर्या के तीसरे सीजन का पार्ट 2?
तीसरे सीजन का अंतिम पड़ाव आते-आते एक बात तो समझ में आ जाती है कि अब लेखकों के पास इसे आगे ले जाने के लिए कुछ बचा नहीं है और सीरीज को यहीं विराम देना बेहतर है। कहानी एक निश्चित मुकाम तक पहुंच गई है। हालांकि, क्लाइमैक्स जिस पड़ाव पर छोड़ा गया है, वहां कुछ भी हो सकता है।लेखन के दायरे में कलाकारों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है और सीरीज का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यही है, जो इसे देखने के लायक भी बनाता है।