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Adipurush Review: वीएफएक्स पर जोर, इमोशंस कमजोर! प्रभास-कृति की फिल्म में संगीत ने बचायी लाज

Adipurush Movie Review ओम राउत की आदिपुरुष का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था क्योंकि प्रभास को राम के किरदार में देखने के लिए लोग काफी उत्सुक थे। जिज्ञासा इस बात की भी थी कि VFX के युग में त्रेतायुग की कहानी कैसे दिखायी जाती है।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthPublished: Fri, 16 Jun 2023 03:22 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jun 2023 04:22 PM (IST)
Adipurush Movie Review Staring Prabhas Kriti Sanon Saif Ali Khan. Photo- Twitter

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। रामानंद सागर कृत धारावाहिक रामायण भारतीय जनमानस में गहराई से उतरा है। उस दौरान तकनीक बहुत विकसित नहीं थी। उसके बावजूद सीमित संसाधन में रामानंद सागर ने उसे बेहतरीन तरीके से दर्शाया था। आलम यह था कि राम और सीता बने अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को देखकर लोग पांव छूने लगते और भावविह्वल हो जाते थे।

दरअसल, भक्ति के सागर में श्रोताओं को डुबोने में रामानंद ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यही वजह है कि उसके बाद 'रामायण' पर बने धारावाहिक इतने लोकप्रिय नहीं हुए। अर्से बाद राम की कहानी पर ओम राउत ने फिल्‍म 'आदिपुरुष' बनाई है। यह दौर आधुनिक तकनीक से लैस है। अब जिन चीजों की शूटिंग संभव नहीं है, उसे विजुअल इफेक्‍ट्स के जरिए बनाना सुलभ है।

ओम राउत की यह फिल्‍म तकनीक का भरपूर प्रयोग करके बनाई गई है। यहां पर भगवान राम के किरदार में राघव (प्रभास) और उनकी अर्द्धांगिनी सीता यानी जानकी (कृति सेनन) हैं। 'हरिअनंत कथा' यहां पर भी वही है बस संपूर्ण रामायण नहीं है। यहां रामायण से युद्धकांड को लिया है, यानी यह फिल्‍म भगवान श्रीराम के वनवास जाने के बाद सीता हरण और रावण वध तक है।

क्या है प्रभास की रामायण की कहानी?

आरंभ राघव का अपनी पत्‍नी जानकी और छोटे भाई शेष (सनी सिंह) के साथ अयोध्‍या छोड़ने को ग्राफिक्‍स के जरिए दर्शाने से होता है। इस दौरान बैकग्राउंड में भक्तिभाव से ओतप्रोत 'राम सिया राम सिया राम जय जय राम' बजने बजता है। भक्ति के सागर में गोता लगाने की उम्‍मीद के भाव से आरंभ हुई यह फिल्‍म राघव के पराक्रम पर केंद्रित की गई है।

यह विशुद्ध रूप से स्‍टूडियो के अंदर शूट हुई है। कोई भी लाइव लोकेशन न होने की कमी काफी अखरती है। फिल्‍म के कुछ दृश्‍य हालीवुड फिल्‍मों की याद दिलाते हैं। खास तौर पर जब बाली के साथ युद्ध करने के लिए सुग्रीव को राघव का साथ मिलता है।

कैसी है आदिपुरुष?

रावण की लंका मार्वल फिल्‍मों की दुनिया की तरह रोशनी में दर्शायी गई है। सोने की कही जाने वाली लंका काले-नीले रंग में नजर आती है। करीब तीन घंटे की इस फिल्‍म का विजुअल इफेक्‍ट्स प्रभावी नहीं बन पाया है। फिल्‍म में डायलागबाजी भी बहुत ज्‍यादा नहीं है।

मनोज मुंतशिर द्वारा लिखे संवाद कामचलाऊ हैं। उन्‍हें सुनते हुए लगता है, भाषा की मर्यादा को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया है। इसमें तकनीक का प्रयोग इतना ज्‍यादा है कि कहीं-कहीं वो एनीमेशन फिल्‍म का आभास देने लगती है। फिल्‍म में राघव और जानकी के प्रेम को दर्शाने के लिए गाना अनुपयुक्‍त लगता है।

यह कहानी बुराई पर अच्‍छाई की जीत को दिखाती है, लेकिन फिल्‍म उन भावों को स्‍पष्ट रूप से व्‍यक्‍त नहीं कर पाती। लंकाभेदी विभीषण के प्रति रावण का दर्द कहीं भी झलकता नहीं है। आखिर में युद्ध का दृश्‍य काफी लंबा है। वह हालीवुड फिल्‍मों की याद दिलाता है।

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

कलाकारों में प्रभास अपनी कद-काठी की वजह से बलशाली लगते हैं। उन्‍होंने किरदार को विश्‍वसनीय बनाने की कोशिश की है। शरद केलकर की आवाज उनके किरदार को संबल देने का काम करती है। राघव और शेष के संबंध बेहद सपाट लगे हैं। इसी तरह राघव के प्रति बजरंग बली के स्‍वरुप में बजरंग (देवदत्‍त नागे) की भक्ति का भाव दर्शकों को भावुक नहीं कर पाता है।

रावण के तौर पर सैफ अली खान के लुक की तीखी आलोचना हुई थी। हालांकि, उसमें कोई बदलाव नजर नहीं आया है, पर उनके किरदार की एक बात बेहद रोचक लगी और वह है उनके दस सिरों का फिल्‍मांकन। आधुनिक त‍कनीक की वजह से यह दसों सिर एक सीध में नहीं हैं। वह आपस में किस प्रकार संवाद करते हैं, वह देखना रोचक था।

रावण के किरदार को ओम ने बेहतरीन तरीके से स्‍थापित किया है। सैफ अली खान को यहां पर भी अपनी प्रतिभा दिखाने के मौके मिले हैं। जानकी बनी कृति सेनन खूबसूरत दिखी हैं, लेकिन उनके हिस्‍से में कोई दमदार संवाद नहीं आया है। चूंकि रामायण से सभी वाकिफ हैं। ऐसे में अशोक वाटिका में जानकी की बजरंग से मुलाकात का दृश्‍य रोमांचक होना चाहिए था, लेकिन वहां पर लेखक और निर्देशक चूक गए हैं।

रावण के बेटे इंद्रजीत की भूमिका में वत्‍सल सेठ जंचे हैं। संचित और परंपरा द्वारा संगीतबद्ध 'राम सिया राम' कर्णप्रिय है। मार्वल फिल्‍मों की तर्ज पर बनी आदिपुरुष वर्तमान दौर की पीढी की भाषा शैली में बनी है। आखिर में बुराई पर अच्‍छाई का जश्‍न कहानी समुचित तरीके से नहीं मना पाती है। बहरहाल, ओम के आग्रह पर निर्माताओं ने सिनेमाघर में हनुमान जी के लिए एक सीट आरक्षित की है। सिनेमाघर में वह सभी के लिए आकर्षण का केंद्र रही।

कलाकार: प्रभास, कृति सेनन, सैफ अली खान, देवदत्‍त नागे, सनी सिंह, वत्‍सल सेठ

अवधि: 179 मिनट

निर्देशक: ओम राउत

स्‍टार: दो


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ओम राउत

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