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Amar Singh Chamkila Review: 'चमकीला' बनकर चमके दिलजीत दोसांझ, इम्तियाज अली ने ओटीटी पर बना दी 'रॉकस्टार'

अमर सिंह चमकीला Netflix पर रिलीज हो गई है। इम्तियाज अली म्यूजिकल फिल्मों के लिए जाने जाते हैं और अमर सिंह चमकीला उनके निर्देशन में बनी बेहतरीन फिल्म है। दिलजीत दोसांझ और परिणीति चोपड़ा ने लीड रोल निभाया है। फिल्म की कहानी पंजाब के रॉकस्टार कहे जाने वाले गायक-संगीतकार अमर सिंह चमकीला की बायोपिक है जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Updated: Fri, 12 Apr 2024 04:05 PM (IST)
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अमर सिंह चमकीला नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। पंजाबी संगीत के इतिहास में अमर सिंह चमकीला का नाम काफी अहम है। उनकी धुनों ने लाखों लोगों की आत्मा को झकझोर दिया, लेकिन उनके संगीत को द्विअर्थी और अश्‍लील गीतों के कारण कमतर माना गया। इस वजह से एक वर्ग उनसे नाराज भी था।

चमकीला और उनकी दूसरी पत्‍नी अमरजोत की लाइव परफार्मेंस के दौरान सरेआम गोली मारकर हत्‍या कर दी गई थी। उस समय चमकीला की उम्र महज 27 साल थी।

उनकी हत्‍या की गुत्‍थी अनसुलझी रही। चमकीला की हत्या के 36 साल बाद उनके जीवन पर इम्तियाज अली ने फिल्म अमर सिंह चमकीला बनाई है। फिल्‍म में दलित मजदूर से एक महान गायक बनने के उनके जीवन संघर्ष को दर्शाया गया है।

हत्या से शुरू होती है चमकीला की कहानी

कहानी का आरंभ मेहसामपुर से होता है, जहां सैकड़ों की तादाद में जमा भीड़ चमकीला (दिलजीत दोसांझ) और अमरजोत (परिणीति चोपड़ा) का इंतजार कर रही होती है। दोनों गाड़ी से उतरते हैं। अचानक से अमरजोत के माथे पर गोली लगती है, जब तक चमकीला कुछ समझता, उसकी भी हत्‍या हो जाती है।

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हर तरफ अफरा-तफरी मच जाती है। वहां से चमकीला की जिंदगी की परतें खुलना शुरू होती हैं। तब वह चमकीला नहीं धनीराम होता है। जुराबों की फैक्‍ट्री में काम करने वाला धनी संगीतप्रेमी है। संगीत की दुनिया में प्रवेश, अलग-अलग महिला गायकों के साथ गाना फिर अमरजोत के साथ जुड़ना, स्‍टेज नाम चमकीला मिलना और सफलता के बाद गंदे-गंदे गाने के आरोपों को लेकर जान से मारने की धमकी मिलने के बावजूद निडरता से परफॉर्म करने के प्रसंग आते हैं।

चमकीला ने भक्ति आधारित गाने भी गाए, जिनके बारे में कम लोग ही जानते हैं। उसका भी जिक्र है। वर्तमान से अतीत में आती-जाती यह कहानी चमकीला के करीबियोंं द्वारा बयां की जाती है।

चमकीला की चमक से चकाचौंध समाज

प्रेम कहानियों के महारथी इम्तियाज अली ने अमर सिंह चमकीला की जिंदगी को बहुत बारीकी से छुआ है। उन्‍होंने चमकीला के परिवेश पर गहराई से काम किया है। फिल्म कहीं से भी चमकीला के द्विअर्थी गीतों को लेकर उनकी छवि को चमकाने का काम नहीं करती, जिसने उन्हें और उनके श्रोताओं को समाज के स्वयंभू प्रहरी द्वारा 'गंदा बंदा' बना दिया था।

हालांकि, यह उस दौरान के समाज पर तीक्ष्‍ण टिप्पणी करती है, जिसमें चमकीला की चमक बिखरी होती है। इम्तियाज ने स्क्रिप्ट डेवलपर्स निधि सेठिया और ऋचा नंदा के साथ मिलकर चमकीला की जिंदगी पर पिछली सदी के आठवें दशक के दौरान पंजाब में उग्रवाद के प्रभाव को दिखाया है। उनकी पत्‍नी अमरजोत के बारे में बहुत ज्‍यादा जानकारी नहीं दी है।

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फिल्‍म में अमरजोत से दूसरी शादी का पहलू चौंकाता है। वहां पर चमकीला थोड़ी सहानुभूति खोते हैं। पहली पत्‍नी का पक्ष भी सतही दिखाया है। अमर और अमरजोत की रियल स्‍टेज परफार्मेंस के दृश्‍यों को दिलजीत और परिणीति के साथ तुलनात्मक तरीके से दर्शाया गया है। ताकि दोनों की असल जिंदगी के साथ कनेक्‍ट हो सकें।

उनके गाने ठेठ पंजाबी थे। ऐसे में इस भाषा से अनभिज्ञ दर्शकों के लिए गानों के बोलों का अर्थ हिंदी में लिखकर आता है। फिल्‍म का अहम हिस्‍सा संगीत है।

अच्‍छी बात यह है कि इम्तियाज और रहमान ने चमकीला के मूल गीतों के साथ छेड़छाड़ नहीं की है। उनके प्रशंसकों के लिए पुरानी यादें बरकरार रखी हैं। मूल गीत के अलावा एआर रहमान ने गीतकार इरशाद कामिल के साथ अपनी मूल रचनाओं में अमर सिंह चमकीला के संगीत का फ्लेवर बरकरार रखा है।

दिलजीत ने जीते दिल

फिल्‍म को पर्दे पर दर्शनीय बनाने का श्रेय दिलजीत दोसांझ को जाता है, जिन्‍होंने अमर सिंह चमकीला के संगीतप्रेम, संघर्ष और निडरता को पूरी तरह विश्‍वसनीय बनाया है। चमकीला को रोशन करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। उनकी परफार्मेंस लाजवाब है।

परिणीति शर्मीली, शांत और विनम्र अमरजोत की भूमिका में जंचती हैं। हालांकि, उनके पात्र को थोड़ा गहराई से दिखाने की जरूरत थी। चमकीला और अमरजोत के गानों पर दिलजीत और परिणीति की लाइव' परफार्मेंस भी शानदार है। केसर सिंह टिक्की के रूप में अभिनेता अंजुम बत्रा का काम उल्‍लेखनीय है। अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग और भावनात्मक दृश्यों के लिए वह याद रह जाते हैं।

अच्‍छी बात यह है क‍ि चमकीला की विवादास्‍पद जिंदगी को देखते हुए फिल्म ना तो उसका महिमामंडन करती है और ना ही उसके कार्यों को उचित ठहराती है। इस फिल्‍म को इम्तियाज की बेहतरीन फिल्‍मों में शुमार किया जाएगा।