Bhool Bhulaiyaa 2 Review: डाराने से ज्यादा हंसाती है 'भूल भुलैया 2', फिल्म देखने से पहले यहां पढ़े रिव्यू
Bhool Bhulaiyaa 2 Review इस फिल्म की खूबसूरती साफ सुफरी कॉमेडी के साथ हॉरर का मिश्रण है। कहानी की शुरुआत हल्के फुल्के रोमांस सिचुवेशनल कॉमेडी और हॉरर के तड़के के साथ होता है। अनीस बज्मी की इस फिल्म के हर सीन में नए ट्विस्ट और टर्न देखने को मिलते हैं।
By Ruchi VajpayeeEdited By: Updated: Fri, 20 May 2022 03:05 PM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। वर्ष 2007 में रिलीज अक्षय कुमार और विद्या बालन अभिनीत साइकोलाजिकल थ्रिलर फिल्म भूल भुलैया बॉक्स आफिस पर सफल रही थी। करीब 15 साल बाद इस फिल्म की फ्रेंचाइज भूल भुलैया 2 आई है। शीर्षक और भूतिया किरदार मंजुलिका के नाम के इस्तेमाल को छोड़कर इन दोनों फिल्मों में कोई समानता नहीं है। नो एंट्री, सिंह इज किंग, वेलकम और मुबारकां जैसी कॉमेडी फिल्म देने वाले अनीस बज्मी ने इस बार आकाश कौशिक की लिखी कहानी पर कॉमेडी के साथ हॉरर का तड़का लगाया है।
हॉरर में कॉमेडी का है तड़काफिल्म की शुरुआत भवानीगढ़ (राजस्थान) में एक आलीशान हवेली में तांत्रिक बाबा द्वारा एक दुष्ट आत्मा को कैद करने से होती है। वहां से कहानी वर्तमान में आती है। हिल स्टेशन पर रूहान रंधावा (कार्तिक आर्यन) और रीत (कियारा आडवाणी) की मुलाकात होती है। थोड़ी खट्टी मीठी नोकझोंक के बाद उन्हें पता चलता है कि चंडीगढ़ जाने वाली जिस बस को उन्होंने छोड़ दिया वो खाई में गिर गई है। मेडिकल की पढ़ाई कर रही रीत की घर पर शादी की तैयारियां हो रही है। वह घर पर फोन करती है तो पता चलता है कि उसकी बहन उसके मंगेतर से प्यार करती है।
क्या है मंजूलिका का सच ?रीत उन दोनों की शादी करवाने की ठान लेती है। वह उसी हवेली में छुपने जाती है जहां पर प्रेतात्मा को कैद किया गया है। वह भूत प्रेत में यकीन नहीं रखती। इस बीच हवेली खुलने की खबर गांव में फैल जाती है। रूहान रीत के परिवार से कहता है कि वह आत्माओं से बात करता है। वह कहता है कि रीत चाहती है कि पूरा परिवार इस हवेली में रहे। उसकी अंतिम इच्छा मानते हुए परिवार वहां रहने आ जाता है। इस दौरान रीत को गांव का छोटा पंडित (राजपाल यादव) देख लेता है। उसके बाद रीत की सच्चाई कैसे सामने आती है कैद की गई प्रेतात्मा का सच क्या है? इस संबंध में कहानी है।
हर सीन में हैं नए ट्विस्ट एंड टर्न इस फिल्म की खूबसूरती साफ सुफरी कॉमेडी के साथ हॉरर का मिश्रण है। कहानी की शुरुआत हल्के फुल्के रोमांस, सिचुवेशनल कॉमेडी और हॉरर के तड़के के साथ होता है। अनीस बज्मी की इस फिल्म में भूत का एंगल होने से नए ट्विस्ट और टर्न भी देखने को मिलते हैं। आकाश कौशिक लिखित कहानी, डायलाग और फरहाद सामजी के स्क्रिन प्ले ने कहानी को रोचक बनाए रखा है। उन्होंने छूट और उड़ान भी ली है। बेहतर है कि उन्हें नजरअंदाज किया जाए। इस फिल्म को निर्देशक के विजन के मुताबिक पेश करने में कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी और तब्बू ने पूरा योगदान किया है। गोलमाल अगेन में तब्बू का किरदार आत्माओं को देख पाता है। यहां पर कार्तिक आर्यन का किरदार आत्माओं को देखने का ढोंग करता है।
कियारा ने किया इम्प्रेसकार्तिक ने कॉमेडी के साथ रोमांस और डर को लेकर अपने किरदार का बेसिक संतुलन बनाए रखा है। उनकी खीझ और मुस्कराहट दोनों प्यारी लगती है। उनकी कॉमिक टाइमिंग शानदार है। सहयोगी किरदारों के रूप में आए संजय मिश्रा, राजपाल यादव, अश्विनी कालेसकर, राजेश शर्मा समेत सभी कलाकार अपनी भूमिकाओं से कुछ न कुछ जोड़ते हैं। कार्तिक आर्यन साथ उनकी भिड़ंत उनके किरदारों को अतिरिक्त आयाम और परफारमेंस के मौके देती है। तब्बू ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी अदाकारी से सम्मोहित किया है। कियारा आडवाणी ने रीत की मासूमियत को समुचित तरीके से आत्मसात किया है।
चौंकाता है फिल्म का क्लाइमेक्स मूल फिल्म का हिट गाने हरे कृष्णा हरे राम का इसमें उचित उपयोग हुआ है। फिल्म में हॉरर पैदा करने के लिए बैकग्राउंड संगीत, चुड़ैल का पांव मोड़ना, भूत द्वारा चीजों को हवा में उठा लेना, प्रेतात्मा का डरावना चेहरा, तांत्रिक द्वारा भूत को वंश करना जैसे पुराने फार्मूले इस फिल्म में भी है। हॉरर जॉनर जोड़ने के बावजूद फिल्म में कोई नया प्रयोग नहीं देखने को मिला है। पर हां कॉमेडी के साथ कई तंज भी हैं। मसलन मैंने सुना है कि गांव में लाइट जाती है, यहां लाइट आ रही है। फिल्म में बीच-बीच में राजस्थानी भाषा का पुट डाला गया है। वह बीच-बीच में कहानी की पृष्ठभूमि की याद दिला देता है। बस फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत चौंकाता नहीं है। वहां तक पहुंचने में रोमांच बना पाने में लेखक और निर्देशक थोड़ा फिसल गए हैं। चुस्त एडीटिंग से फिल्म की अवधि को थोड़ा कम किया जा सकता था।
कलाकार: तब्बू, कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, संजय मिश्रा, राजपाल यादव, अश्विनी कालेसकर, राजेश शर्मा आदि।निर्देशक: अनीस बज्मीअवधि: 143 मिनटस्टार: ***