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Blackout Review: भेजा फ्राई करती है एक रात की कहानी 'ब्लैकआउट', '12th फेल' विक्रांत मेसी इस बार नहीं हो सके पास

ब्लैकआउट जिओ सिनेमा पर रिलीज हो गई है। इस फिल्म में विक्रांत मेसी मौनी रॉय और सुनील ग्रोवर प्रमुख किरदारों में नजर आ रहे हैं। फिल्म का निर्देशन देवांग भावसार ने किया है। फिल्म की कहानी एक रात की घटनाओं को दिखाती है जिसमें कई किरदार एक-दूसरे से मिलते हैं। विक्रांत क्राइम रिपोर्टर के किरदार में हैं। 12th फेल के बाद विक्रांत की यह कमजोर परफॉर्मेंस है।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Published: Fri, 07 Jun 2024 09:13 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2024 09:13 PM (IST)
ब्लैकआउट ओटीटी पर रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। कई बार कहानी कागजों पर बेहद रोमांचक लगती है, लेकिन परदे पर समुचित तरीके से आकार नहीं ले पाती और बर्दाश्त के बाहर हो जाती है। जिओ सिनेमा पर रिलीज हुई ब्‍लैकआउट उसी श्रेणी की फिल्‍म है।

क्या है फिल्म की कहानी?

फिल्‍म की कहानी एक रात की है। अचानक से पुणे शहर की बिजली गुल हो जाती है। कुछ हथियारबंद लोग एक आभूषण की दुकान में डकैती करके कार में भागते हैं।

उसी दौरान बारिश के बीच क्राइम रिपोर्टर लेनी डिसूजा (विक्रांत मैस्‍सी) की गाड़ी से उनकी गाड़ी टकराती है। सामने सोने-हीरे के जेवरात और नकदी देखकर उसकी आंखें चौंधिया जाती हैं। उसे लगता है कि उसका भाग्‍य बदल गया। वह एक पेटी अपनी गाड़ी में रख लेता है।

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उसके पीछे ब्योमकेश बख्‍शी की तरह एक जासूस लगा है। रास्‍ते में एक लाश को ठिकाने लगाना, एक शराबी (सुनील ग्रोवर), इंस्‍टाग्राम के दो इन्फ्लूएंसर, रात में संकट में फंसी अकेली महिला उसकी कार में आते हैं। फिर पत्‍नी से धोखा, प्रतिशोध में जल रही पूर्व विधायक, गैंगवार और बहुत सारी उलझनें एक रात की कहानी का हिस्‍सा बनते हैं।

मध्‍यांतर के बाद किरदारों की परतें खुलना आरंभ होती हैं, लेकिन उसे देखकर कोई अचम्भा नहीं होता। फिल्म बेहद अव्यवस्थित और शोरगुल वाली है।

लेखन के स्तर पर चूकी ब्लैकआउट

फिल्म के निर्देशक देवांग शशिन भावसार के पास प्रतिभावान कलाकारों की जमात है, मगर कमजोर स्क्रिप्‍ट की वजह से वह नैया पार नहीं लगा पाते हैं। ढेर सारे किरदारों के साथ कहानी बिखरी हुई है। इसे कभी भी सहजता से आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता और यह देखने वालों को थका देती है।

क्राइम रिपोर्टर होने के बावजूद विक्रांत का किरदार जैसे बर्ताव करता है, लगता है कि लेखक-निर्देशक को क्राइम रिपोर्टर्स की कार्यशैली का अंदाजा ही नहीं है। स्टिंग आपरेशन के दौरान वह कहीं से विश्‍वसनीय नहीं लगता। उसकी पत्‍नी के बेवफा होने का कोई तर्क खोजने की कोशिश कदापि ना करें।

फिल्‍म 12वीं फेल के लिए हाल में काफी सराहना बटोरने वाले अभिनेता विक्रांत मेसी और अनंत विजय जोशी की जोड़ी इस फिल्‍म में एक बार फिर साथ आई है। दोनों के किरदार लेखन स्‍तर पर बेहद कमजोर हैं। जिस शराबी से डिसूजा को कोफ्त होती है, उससे बाद में सहानुभूति हो जाती है।

कमजोर कहानी ने अभिनय का किया बंटाधार

अपनी पिछली परफार्मेंस से सभी को प्रभावित करने वाले विक्रांत यहां पर कोई छाप नहीं छोड़ पाते। मडगांव एक्‍सप्रेस और लापता लेडीज फिल्‍मों में अपने अभिनय के लिए सराहना बटोर चुकीं छाया कदम यहां पर ऐसी विधायक की भूमिका में हैं, जिसका स्टिंग आपरेशन डिसूजा ने किया है। वह डिसूजा को देखकर जैसे घबराती हैं, वह हास्‍यापद है।

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इसी तरह लंबे बालों के लुक में सुनील ग्रोवर का पात्र क्‍लाइमेक्‍स में सुपरस्टार की तरह दिखाया गया है। उनका किरदार चौंकाने से ज्‍यादा कई सवाल छोड़ जाता है। मिसाल के तौर पर पुलिस नाकाबंदी के दौरान उसे कैसे नहीं पहचान पाती? वह कैसे शहर में आजाद घूम रहा है।

जिशु सेनगुप्ता, छाया कदम और अनंत जोशी संक्षिप्‍त भूमिकाओं में हैं। उनकी प्रतिभा का समुचित उपयोग नहीं हुआ है। मौनी राय अपनी भूमिका में तनिक भी प्रभावित नहीं करती। हालांकि, करण सुधाकर सोनवणे और सौरभ घाडगे, जो ठीक-ठाक का किरदार निभा रहे हैं, अपने चुटकुलों से कुछ हल्का-फुल्का हास्य जोड़ने में कामयाब रहते हैं।


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