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Bloody Brothers Review: जयदीप-जीशान की कहानी में सतीश कौशिक की अलग 'माया' ने जमाया रंग, पढ़ें पूरा रिव्यू

Bloody Brothers Review जी5 पर रिलीज हुई वेब सीरीज का निर्देशन शाद अली ने किया है। यह ब्रिटिश शो गिल्ट का भारतीय रूपांतरण है। इस ब्लैक कॉमेडी थ्रिलर सीरीज में कलाकारों का अभिनय इसकी सबसे बड़ी ताकत है जिन्होंने सीरीज को शिथिल होने से बचाया।

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sat, 19 Mar 2022 07:04 AM (IST)
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Bloody Brothers Review Staring Jaideep Ahlawat Mohammed Zeeshan Ayyub. Photo- Instagram
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। खून के रिश्ते यानी ब्लड रिलेशन से गाढ़ा कोई रिश्ता नहीं माना जाता, लेकिन जब इस रिश्ते में अविश्वास की परत आ जाए तो 'ब्लड' रिलेशन को 'ब्लडी' रिलेशन बनते देर नहीं लगती है। छह एपिसोड्स में फैला जी5 की ताजा वेब सीरीज 'ब्लडी ब्रदर्स' का पहला सीजन दो भाइयों के बीच ऐसे ही रिश्ते की रोमांचक कहानी है।   

कथाभूमि ऊटी है और कथानक के केंद्र में दो सगे भाई जगजीत ग्रोवर (जयदीप अहलावत) और दलजीत ग्रोवर (मोहम्मद जीशान अय्यूब) हैं। एक-दूसरे से बिल्कुल अलग, दोनों भाई बस खून के रिश्ते से बंधे हुए। बड़ा भाई जगजीत वकील है। उसकी लाइफस्टाइल और शान-शौकत बताती है कि वकालत के अलावा कुछ गैरकानूनी कामों में भी लिप्त है। छोटा भाई दलजीत शायराना मिजाज का है और एक बुक स्टोर चलाकर अपनी जिंदगी से संतुष्ट है। यह बुक स्टोर भी उसे बड़े भाई ने खरीद कर दिया है।

जगजीत शादीशुदा है और पत्नी प्रिया (श्रुति सेठ) के साथ रहता है। काम की मसरूफियत की वजह से जगजीत पत्नी को वक्त नहीं दे पाता, जिसकी उदासी प्रिया के चेहरे पर हर समय मौजूद रहती है। दलजीत का ब्रेकअप हो चुका है और जिस लड़की से प्रेम करता था, वो उनके कजिन से ही शादी कर रही है।

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ब्लडी ब्रदर्स की कहानी की शुरुआत इसी शादी में दोनों भाइयों के शामिल होने से होती है। रिसेप्शन में जगजीत ने कुछ ज्यादा पी ली है, इसलिए लौटते वक्त दलजीत कार चलाता है। बातों-बातों में दलजीत का ध्यान भटकता है और रात के अंधेरे में सैमुअल अलवारेज (असरानी) नाम का बुजुर्ग शख्स अपने बंगले से निकलकर जा रहा होता और कार से टकराकर उसकी मौत हो जाती है।

शातिर जगजीत वहां से भागने के लिए कहता है, मगर दलजीत को यह ठीक नहीं लगता। दोनों भाई सैमुअल को उठाकर उसके घर में ले जाते हैं और सोफे पर सोने की मुद्रा में बिठा देते हैं। जगजीत की नजर मेज पर पड़े प्रेस्क्रिप्शन पर पड़ती है, जिसके मुताबिक सैमुअल कैंसर का मरीज था। कार की टक्कर से सैमुअल को कहीं बाहरी चोट नजर नहीं आती, लिहाजा जगजीत मुतमइन हो जाता है कि उम्र और कैंसर के पर्चे इसे प्राकृतिक मौत साबित करने में मददगार साबित होंगे। यही होता भी है। 

इसके बाद कहानी कई घुमावदार परिस्थितियों से होते हुए आगे बढ़ती है। नये और दिलचस्प किरदार भी कहानी से जुड़ते हैं, जो धीरे-धीरे इसके कैनवास को बड़ा करते जाते हैं। नये रहस्य भी खुलते हैं, जिनसे ब्लड़ी ब्रदर्स एक थ्रिलर के रूप में विकसित हो जाती है। जगजीत की कारोबारी और शादी-शुदा जीवन की उलझनें, दलजीत और सैमुअल की भतीजी सोफी का प्रेम प्रसंग, सैमुअल की प्रॉपर्टी के लिए साजिशें... आगे चलकर सामने आती हैं।

सभी एपिसोड्स के शीर्षक विभिन्न किरदारों को समर्पित हैं। जगजीत और दलजीत के अलावा ये किरदार हैं- सैमुअल की पड़ोसी शीला डेविड (माया अलग), जो मरने से पहले तक उनकी देखभाल करती थी। सीरीज के क्लाइमैक्स तक पहुंचते-पहुंचते यह किरदार जिस तरह से खुलता है, वो इस सीरीज के सस्पेंस का एक बड़ा सोर्स है। जगजीत के दफ्तर का कर्मचारी और चौबीसों घंटे नशे में रहने वाला दुष्यंत (जितेंद्र जोशी)।

ऊटी का निर्दयी माफिया टाइप मगर बेहद शांत रहने वाला बिजनेसमैन हांडा (सतीश कौशिक), जो असल में ब्लैक मनी को व्हाइट करने के धंधे में हैं और दर्जनों फर्जी कम्पनियां चलाता है। इस कहानी के सभी रोमांचक मोड़ों की असली वजह हांडा ही है। हालांकि, इस किरदार की एंट्री अंत के एपिसोड्स में होती है। शेखर (इंद्रनील सेनगुप्ता), जो हांडा का बिजनेस एसोसिएट और मध्यस्थ है। शेखर ही हांडा और जगजीत के बीच की अहम कड़ी है। तान्या (मुगधा गोडसे) भी हांडा के गैंग की मेम्बर है, जिसका इस्तेमाल हांडा कमजोर कड़ियों को तोड़ने में करता है। कुछ और अहम किरदार हैं, जो मुख्य कथानक के सब-प्लॉट्स को भरते हैं और रोमांच को बनाये रखते हैं।

अप्लॉज एंटरटेनमेंट और बीसीबी इंडिया निर्मित ब्लडी ब्रदर्स ब्रिटिश सीरीज गिल्ट का भारतीय रूपांतरण है। इस रूपांतरण के साथ स्क्रीनप्ले और संवाद सिद्धार्थ हिरवे, अनुज रजोरिया, रिया पुजारी और नवनीत सिंह राजू ने लिखे हैं। स्क्रीनप्ले में दिखाई जाने वाली घटनाओं का केंद्र बिंदु सैमुअल के कत्ल की रात है और छह एपिसोड्स में कत्ल के 17 दिन बाद तक की कहानी को समेटा गया है। हर एपिसोड की घटनाएं दो ट्रैक पर चलती हैं- एक ट्रैक कत्ल की रात से आगे की घटनाओं को कवर करता है, जबकि दूसरा ट्रैक कुछ घंटे या दिन पहले की घटनाओं को दिखाता है, जिसमें सीरीज के अहम किरदारों के अतीत और कैरेक्टर ग्राफ का पता चलता है।

सीरीज के आखिरी तीन एपिसोड्स इसकी जान हैं और सीरीज का रोमांच पेस पकड़ता है। ब्लडी ब्रदर्स के साथ दिक्कत यह है कि जब कहानी का रोमांच अपने चरम पर होता है और एक बड़ा ट्विस्ट देखने के लिए दर्शक एकटक स्क्रीन पर देख रहा होता है तो पता चलता है कि छठा और आखिरी एपिसोड खत्म हो गया है। यानी इस रहस्य को जानने के लिए अब दूसरे सीजन का बेसब्री से इंतजार करना होगा।

स्क्रीनप्ले के जरिए कहानी के रोमांच और रहस्य को बरकार रखने में लेखन टीम कामयाब रही है। कुछ दृश्य वाकई अनप्रेडिक्टेबल हैं और चौंकाते हैं। सीरीज में संवाद व्यवहारिक हैं और ह्यूमर लिये हुए हैं, मगर कहीं-कहीं संजीदगी भी है। खासकर, दलजीत के किरदार के जरिए शायरी के जरिए जिंदगी के फलसफे पर भी बात की गयी है।

रूपांतरित कहानियों के साथ एक मसला यह भी होता है कि जिस समाज और परिवेश में कहानी और किरदार रचे-बसे होते हैं, उन्हें भारतीय मानस के हिसाब से ढालना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसी विसंगतियां जगजीत और दलजीत के किरदारों में भी नजर आती हैं, मगर इन किरदारों को निभाने वाले दोनों कलाकार जयदीप अहलावत और मोहम्मद जीशान अय्यूब ने अपनी अदाकारी से ना सिर्फ इन विसंगतियों को ढका है, बल्कि उन्हें वास्तविक के नजदीक ले गये हैं।

जगजीत एक तरफ छोटे भाई की परवाह करने वाला किरदार है, वहीं अपनी गर्दन फंसने पर वो इस रिश्ते को भुला भी देता है। वहीं, दलजीत सोच और व्यवहारिकता में मासूम लग सकता है, मगर साजिशों को सूंघने की क्षमता उसमें है। शुरुआत के तीन एपिसोड्स की शिथिलता को इन दोनों कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी ने ही संभाला है।

पति के साथ अपने रिश्ते को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी पत्नी प्रिया ग्रोवर के किरदार को श्रुति सेठ ने अच्छे से निभाया है। तान्या के किरदार में मुगधा गोडसे आकर्षक लगी हैं। इस सीजन में उनका किरदार नेगेटिव प्रिया के साथ तान्या का लव एंगल इस सीजन में तो मुगधा के उनका किरदार अगले सीजन में काफी अहम होने वाला है। सोफी उर्फ राधिका के किरदार में टीना देसाई ठीक लगी हैं। यह किरदार भी इस सीजन के परतदार किरदारों में से एक है।

पियक्कड़ और नाराज होकर मायके गयी बीवी को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध दुष्यंत के किरदार में जितेंद्र जोशी ने अच्छा काम किया है। शीला डेविड का किरदार इस सीजन का सबसे अप्रत्याशित किरदार है। इस नेगेटिव किरदार की मक्कारी और काइयांपन को वेटरन एक्ट्रेस माया अलग ने बखूबी पेश किया है। अगर अपने किरदार के साथ किसी कलाकार ने सबसे ज्यादा एक्सपेरिमेंट किया है तो वो सतीश कौशिक हैं, जिन्होंने हांडा बनने के लिए संवाद अदायगी को बदला है।

किस्सागोई के अंदाज में उनके धमकाने के तरीका मजाकिया लगता है, मगर चेहरे के भाव उसके खौफनाक इरादे जताते हैं। पहले एपिसोड में थोड़ी-सी झलक दिखाने के बाद उनकी एंट्री आखिरी एपिसोड में होती है और असली रंग वहीं से जमता है। सैमुअल अलवारेज के किरदार में वेटरन एक्टर असरानी का स्पेशल अपीयरेंस है। उन्हें कुछ दृश्यों में ही दिखाया गया है।

शाद अली का निर्देशन सहज है। उन्होंने कलाकारों को किरदार की सीमाओं में रखा है। फिल्मों की तरह नेगेटिव किरदारों को अलग खांचे में पेश करने का शाद का हुनर यहां भी नजर आता है। सिनेमैटोग्राफी में ऊटी के रास्तों, पहाड़ों और बादलों को दृश्यों में जरूरत के हिसाब से पिरोया गया है। रॉय का बैकग्राउंड स्कोर सीरीज के ब्लैक कॉमेडी और रोमांच के दायरे को व्यापक करता है। ब्लडी ब्रदर्स इत्मिनान से देखी जाने वाली सीरीज है, जिसका सुरूर धीरे-धीरे चढ़ता है। 

कलाकार- जयदीप अहलावत, मोहम्मद जीशान अय्यूब, टीना देसाई, सतीश कौशिक, मुगधा गोडसे, माया अलग, जितेंद्र जोशी, इंद्रनील सेनगुप्ता आदि।

निर्देशक- शाद अली

निर्माता- अप्लॉज एंटरटेनमेंट, बीबीसी इंडिया 

अवधि- 40-45 मिनट के छह एपिसोड्स

प्लेटफॉर्म- जी5

रेटिंग- *** (तीन स्टार)