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Bloody Daddy Review: पिता की भूमिका में शाहिद कपूर का 'ब्‍लडी अवतार', देखकर बोलेंगे- 'एक्शन का बाप'

Bloody Daddy Review शाहिद कपूर इससे पहले जरसी में भी पिता बने थे मगर ब्लडी डैडी का पिता बिल्कुल अलग है। फिल्म की कहानी कोरोना काल में स्थापित की गयी है और ड्रग्स के कारोबार को दिखाती है। शाहिद ने पहली बार ऐसा एक्शन किया है।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 09 Jun 2023 11:58 AM (IST)
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Bloody Daddy Review Staring Shahid Kapoor, Zeeshan Siddiqui. Photo- Instagram
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। इस साल वेब सीरीज 'फर्जी' से शाहिद कपूर ने डिजिटल प्‍लेटफार्म पर पदार्पण किया था। उसमें उन्‍हें काफी सराहा गया। अब उनकी फिल्‍म ब्‍लडी डैडी जियो सिनेमा पर रिलीज हुई है।

कबीर सिंह और जर्सी की तरह शाहिद अभिनीत ब्‍लडी डैडी भी वर्ष 2011 में रिलीज फ्रेंच फिल्‍म स्‍लीपलेस नाइट की रीमेक है। ब्‍लडी डैडी को भारतीय परिवेश के अनुसार ढाला गया है, लेकिन कहानी की मूल आत्‍मा वही है।

क्या है फिल्म की कहानी?

कहानी नारकोटिक्‍स विभाग में कार्यरत सुमेर (शाहिद कपूर) की है। दिल्‍ली में अपने साथी (जीशान सिद्दीकी) के साथ ड्रग्‍स ले जा रही एक कार का पीछा करते हुए वह ड्रग्‍स से भरा बैग अपने कब्‍जे में ले लेता है। यह बैग होटल की आड़ में ड्रग्‍स का धंधा करने वाले सिकंदर (रोनित राय) का होता है।

इस ड्रग्‍स की कीमत बाजार में करीब पचास करोड़ रुपये होती है। सिंकदर उस बैक को वापस पाने के लिए सुमेर के बेटे को बंदी बना लेता है। सुमेर बैग लेकर होटल में पहुंचता है, लेकिन उसे बाथरूम में छुपा देता है। इस बीच उसका पीछा कर रही अदिति (डायना पेंटी) बैग को हटा देती है और उसकी जानकारी एंटी करप्‍शन ब्‍यूरो के अपने बास समीर (राजीव खंडेलवाल) को देती है।

वह इस बात से अनजान है कि उसका बॉस भ्रष्‍ट अधिकारी है। सुमेर बैग को कैसे हसिल करता है? एक तरफ ड्रग्‍स व्‍यवसायी तो दूसरी ओर एंटीकरप्‍शन ब्‍यूरो के अधिकारी से जूझ रहा सुमेर अपने बेटे को वहां से कैसे निकालकर ले जाता है कहानी इस संबंध में है।

स्क्रीनप्ले, संवाद और अभिनय में कैसी है शाहिद की फिल्म?

'सुल्‍तान', 'टाइगर जिंदा है' और 'भारत' जैसी फिल्‍मों के निर्देशक अली अब्‍बास जफर की 'ब्‍लडी डैडी' की कहानी में कोई नयापन नहीं है। फिल्‍म का ट्रीटमेंट उसे दर्शनीय बनाता है। उन्‍होंने फिल्‍म से कोरोना काल को जोड़ दिया है। शुरुआत में बताया है कि 2021 में कोराना की दूसरी लहर के खत्‍म होते ही करोड़ों लोग अपनी जान और रोजगार गंवा चुके थे।

क्राइम हद से ज्‍यादा बढ़ चुका था। हिंदुस्‍तान में लाइफ नार्मल हो रही थी। फिर कहानी नारकोटिक्‍स के भ्रष्‍ट अधिकारी की दिखाई जाती है। अगर वह कोरोना काल से कहानी को नहीं भी जोड़ते तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता। रीमेक होने की वजह से कहानी का आरंभ हूबहू वैसा ही है, जैसा फ्रेंच फिल्‍म में है। एक्‍शन थ्रिलर फिल्‍म होने की वजह से फिल्‍म के एक्‍शन को बेहतरीन तरीके से कोरियोग्राफ किया गया है।

कहानी एक रात की है। सुमेर अपने बेटे को छुड़ावाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इस बीच होटल कर्मी और वहां पर हो रही शादी के घटनाक्रम भी कहानी का हिस्‍सा बनते हैं। सुमेर को लापरवाह और गैर जिम्‍मदेार बताया गया है, लेकिन वह शातिर दिमाग है।

जख्‍मी होते हुए वह जिस तत्‍परता से दुश्‍मन को पटखनी देता है, उसे अली अब्‍बास जफर ने शानदार तरीके से दर्शाया है। अली होटल के कमरों, किचन और वाशरूम के बीच अपने किरदारों को घुमाते हैं। यह फिल्‍म ड्रग्‍स से भरे बैग को हासिल करने पर है। यह ड्रग्‍स से होने वाले नुकसान पर बात नहीं करती है। कोरोना काल में शूट हुई इस फिल्‍म का खास आकर्षण इसका एक्‍शन है।

खास तौर पर शाहिद और राजीव खंडेलवाल के बीच के एक्‍शन दृश्‍य शानदार हैं। अच्‍छी बात यह है कि फिल्‍म में नाच-गाना ठूंसा नहीं गया है। फिल्‍म के फर्स्‍ट हाफ में सिकंदर और हामिद (संजय कपूर) के बीच के चंद दृश्‍य हंसी के पल लाते हैं। कहानी पिता और पुत्र की है, हालांकि उनके संबंधों को ज्‍यादा एक्‍सप्‍लोर नहीं किया गया है।

बहरहाल, कहानी पूरी तरह शाहिद के किरदार के इर्द-गिर्द है। उस जिम्‍मेदारी पर वह खरे उतरते हैं। खास बात यह है कि शाहिद लगातार किरदारों को आत्‍मसात करने और उन्‍हें निभाने में अपनी हदें तोड़ रहे हैं। इस फिल्‍म में उनका किरदार भले ही लापरवाह है, लेकिन बेटे को छुड़ाने को लेकर जुनूनी है।

ऐसे में उन्‍होंने सुमेर की आक्रामकता, चपलता और जुनून को सहजता से दर्शाया है। एक्‍शन करते हुए शाहिद जंचते हैं। डायना पेंटी को भले ही सुपर कॉप बताया हो, लेकिन उनके हिस्‍से में कोई दमदार सीन नहीं आया है। होटल व्‍यवसायी और ड्रग्‍स का बिजनेस करने वाले सिंकदर के किरदार में रोनित राय आकर्षित करते हैं।

एंटी करप्‍शन ब्‍यूरो अधिकारी समीर की भूमिका में राजीव खंडेवाल सहज और स्वाभाविक हैं। जीशान सिद्दीकी, अंकुर भाटिया, विवान भटेना और संजय कपूर संक्षिप्‍त भूमिका में अपना प्रभाव छोड़ते हैं। फिल्‍म के आखिर में सीक्‍वल बनाने का स्‍पष्‍ट संकेत है।

कलाकार: शाहिद कपूर, डायना पेंटी, रोनित राय, राजीव खंडेवाल, संजय कपूर, अंकुर भाटिया आदि।

निर्देशक: अली अब्‍बास जफर

डिजिटल प्‍लेटफार्म: जियो सिनेमा

अवधि: दो घंटा एक मिनट

स्‍टार: साढ़े तीन

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

जियो सिनेमा

अली अब्बास जफर

नारकोटिक्स अधिकारी

स्लीपलेस नाइट

रोनित रॉय