Chandu Champion Review: 'चंदू' के जुनून को जीने में कार्तिक ने लगा दी जान, यहां छिपा है 'विजय' का असली 'राज'
चंदू चैम्पियन शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इसका निर्देशन कबीर खान ने किया है। चंदू चैम्पियन पैरालम्पिक में पदक जीतने वाले मुरलीकांत पेटकर के जज्बे और जुनून की कहानी है जिसमें कार्तिक आर्यन ने शीर्षक भूमिका निभाई है। रोमांटिक फिल्मों के बाद एक्शन में हाथ आजमाने वाले कार्तिक की यह पहली बायोपिक फिल्म है। कार्तिक उम्मीदों पर कितना खरा उतरे जानने के लिए पढ़ें रिव्यू।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। सफलता के पीछे तमाम संघर्ष होते हैं। इन संघर्षों में तपा इंसान ही हीरा बनकर सामने आता है। हेलसिंकी में साल 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में स्वतंत्र भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले एथलीट खाशाबा दादासाहेब जाधव के अपने गांव लौटने पर जुटी भीड़ और उनके प्रति लोगों में आदर-सम्मान देखकर बचपन में ही मुरलीकांत राजाराम पेटकर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने ओलम्पिक में पदक जीतने का निर्णय कर लिया था।
हालांकि, जीवन ने ऐसा मोड़ लिया कि उनका सपना साल 1972 में पैरालम्पिक में तैराकी में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय के तौर पर साकार हुआ। उनकी जिंदगी पर कबीर खान ने ही फिल्म चंदू चैंपियन बनाई है। यह अपनी क्षमता को पहचानने, विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने और अपने सपने पर अड़े रहने की सच्ची कहानी है।
बचपन की जिद बनी जीत का जुनून
फिल्म साल 2017 में महाराष्ट्र के सांगली में पुलिस स्टेशन से आरंभ होती है। मुरलीकांत पेटकर भारत के राष्ट्रपति पर धोखाधड़ी के लिए मुकदमा करने की बात कहते हैं। वह सरकार से अर्जुन पुरस्कार चाहते हैं, ताकि उनके गांव को सड़क, बिजली और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं मिल सकें।यह भी पढ़ें: Chandu Champion Prediction- क्या Box Office के 'चैंपियन' बनेंगे Kartik Aaryan? पहले दिन इतनी कमाई की उम्मीद
वहां से कहानी उनके बचपन में जिद्दी मुरलीकांत से परिचय करवाती है। उनके सपने का पता चलता है। वह ओलम्पिक में पद जीतना चाहता है। उसके इस सपने पर सहपाठी और गांव के लोग हंसते हैं। उसे चंदू चैंपियन कह कर बुलाते थे। यह शब्द उसे कचोटता है।बड़े भाई के कहने पर मुरलीकांत अखाड़े के साथ जुड़ जाता है। वहां पहलवानों को देखकर दांवपेंच सीखने की कोशिश करता है। युवावस्था में जीवन में ऐसा मोड़ आता है कि उसे अपने गांव से भागना पड़ता है। गांव से गुजरती ट्रेन में वह करनैल की मदद से ट्रेन में चढ़ जाता है। यहां से उसके जीवन का नया अध्याय आरंभ होता है।