Chota Bheem Review: जम जम जम्बूरा, मजा रहा अधूरा... 'बच्चों का खेल' नहीं बच्चों के लिए फिल्म बनाना
छोटा भीम की कहानी नई नहीं है। एनिमेशन फिल्म के जरिए यह बच्चे-बच्चे तक पहुंच चुकी है मगर लाइव एनिमेशन फिल्म के जरिए यह अलग अंदाज में सामने आई है। छोटा भीम अपने साथियों के साथ दम्यान के कहर को रोकने की कोशिश कर रहा है। इसमें उसकी मदद करते हैं गुरुजी बने अनुपम खेर। हालांकि तकनीकी रूप से फिल्म प्रभावित नहीं कर पाती।
प्रियंका सिंह, मुंबई। हिंदी सिनेमा में बच्चों के लिए फिल्में आम तौर पर कम ही बनती हैं। उनमें से वही फिल्में आकर्षित कर पाती हैं, जिनके किरदार प्रसिद्ध हों। लाइव एक्शन सुपरहीरो फिल्म 'छोटा भीम एंड द कर्स आफ दम्यान' (Chota Bheem And The Curse Of Damyaan) साल 2012 में इसी नाम से रिलीज हुई एनिमेटेड फिल्म की रीमेक है।
क्या है छोटा भीम की कहानी?
कहानी शुरू होती है राक्षस दम्यान से जो एक हजार साल से जमीन के नीचे धंसे सोनापुर शहर में एक श्राप के कारण कैद है। उसे बाहर आने के लिए एक निश्कलंक और महान योद्धा चाहिए। वह योद्धा भीम (यज्ञ भसीन) है। दम्यान के रक्षक तक्षिका (नवनीत ढिल्लन) और स्कंदी (मकरंद देशपांडे) एक व्यापारी को लूटकर ढोलकपुर के राजा इंद्रवर्मा (संजय बिश्नोई) तक पहुंच जाते हैं।
भीम के शहर ढोलकपुर की फसल जल जाने से राजा परेशान हैं। स्कंदी और तक्षिका उन्हें सलाह देते हैं कि सोनापुर शहर की खुदाई करें तो वहां से बहुत सोना मिल सकता है। राजा के साथ भीम और उसके दोस्त सोनापुर पहुंचते हैं। अनजाने में भीम दम्यान को श्राप से मुक्त कर देता है।
यह भी पढ़ें: Mr And Mrs Mahi Review- क्रिकेट के लिए जुनून की कहानी मियां-बीवी की कलह पर अटकी, कहां बिगड़ा संतुलन?
परिस्थितियां ऐसे बनती हैं कि दम्यान को हराने के लिए भीम और उसके दोस्तों को हजार साल पीछे जाना पड़ता है, ताकि वह दम्यान को अमर होने से रोक सकें। वहां उनकी मुलाकात जादूगर गुरु शंभू (अनुपम खेर) और गुलाब चाचा (मुकेश छाबड़ा) से होती है। क्या दम्यान को हराकर भीम और उसके दोस्त लौट पाएंगे, कहानी इस पर आगे बढ़ती है।