Do Aur Do Pyaar Review: विद्या बालन और प्रतीक गांधी की बेहतरीन अदाकारी से निखरी शादी और बेवफाई की कहानी
दो और दो प्यार रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा है जिसमें विद्या बालन प्रतीक गंधी सेंथिल राममूर्ति और इलियाना डिक्रूज लीड रोल्स में हैं। फिल्म का निर्देशन डेब्यूटेंट शीर्षा गुहा ठाकुरता ने किया है। यह फिल्म शादीशुदा रिश्तों में प्यार खत्म होने के बाद विवाहेत्तर संबंधों और उन्हें मैच्योरिटी के साथ सुलझाने की कहानी दिखाती है। यह अमेरिकन फिल्म द लवर्स का आधिकारिक रीमेक है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। दांपत्य जीवन से नाखुश दंपती कई बार अपने सुख की तलाश विवाहेतर संबंधों में करने लगते हैं। रिश्तों में यह दूरी रोजमर्रा जीवन में व्यस्तता, जिम्मेदारियों, एकदूसरे की भावनाओं का असम्मान करने और प्यार का इजहार न करने की वजह से होती है।
विवाहेतर संबंधों में सुख की तलाश पूरी होती है, लेकिन लंबे समय बाद शादी तोड़ने को लेकर समाज का डर भी सताता है। जब पति पत्नी के विवाहेतर संबंधों का रहस्योद्घाटन एक-दूसरे के सामने होता है तो आंखें मिलाना मुश्किल होता है। फिर मन की गांठे खुलती हैं। गलतियों का अहसास होता है या रास्ते अलग होते हैं या रिश्तों की नए सिरे से शुरुआत होती है। अंग्रेजी फिल्म ‘द लवर्स’ की रीमेक 'दो और दो प्यार' इसी विषय पर आधारित है।
क्या है 'दो और दो प्यार' की कहानी?
मुंबई में रह रही डेंटिस्ट काव्या गणेशन (विद्या बालन) और बिजनेसमैन अनिरुद्ध बनर्जी (प्रतीक गांधी) के प्रेम विवाह को 12 साल हो चुके हैं। शादी से पहले दोनों ने तीन साल डेटिंग की थी। उनकी उम्र 38 साल है। शादी को काव्या के परिवार की स्वीकृति नहीं मिली होती है।यह भी पढ़ें: Friday Releases- दो और दो प्यार, LSD 2, रिबेल मून 2... थिएटर से OTT तक इस शुक्रवार रिलीज हो रहीं ये 11 फिल्में
खुशहाल जीवन जीने के बाद पिछले कुछ समय से दोनों एक ही छत के नीचे रहते हैं, लेकिन उनके रिश्तों में दूरी आ गई है। दोनों विवाहेत्तर संबंधों में हैं। काव्या फोटोग्राफर विक्रम (सेंथिल राममूर्ति) के साथ सपने बुन रही है, जो न्यूयॉर्क में सब कुछ छोड़ का मुंबई आ बसा है। काव्या के साथ वह समुद्र किनारे बने अपार्टमेंट में रहना चाहता है।अनिरुद्ध का थिएटर कलाकार नोरा उर्फ रोजी (इलियाना डिक्रूज) के साथ इश्क चल रहा है। दोनों के प्रेमी शादी को जल्द से जल्द तोड़ने की मांग करते हैं। अचानक एक दिन काव्या के दादाजी का निधन हो जाता है। वह ऊटी में अपने मायके आती है। उसके साथ अनिरुद्ध भी आता है।
वहां पुरानी यादें उनके मुरझाते, बेजान होते रिश्तों में ताजगी लाती हैं। रिश्तों की खोई हुई गर्माहट वापस आने लगती है। उन्हें फिर एक-दूसरे का करीब रहना अच्छा लगने लगता है। मुंबई वापस आने पर यह प्रेम बरकरार रहता है। साथ ही विवाहेतर संबंधों को लेकर दोनों उधेडबुन में हैं।उन्हें समझ नहीं आ रहा कि किस दिशा में जाएं। दोनों दिवाली का इंतजार करने की बात करते हैं। दिवाली पर उनके मतभेद दूर होंगे या दोनों में अलगाव होगा कहानी इस संबंध में है।