Dobaaraa Movie Review: टाइम ट्रैवल में फंसी नजर आई तापसी पन्नू की 'दोबारा', टिकट बुक करने से पहले यहां पढ़ें रिव्यू
Dobaaraa Movie Review अनसुलझे रहस्यों की दुनिया में फंसी अंतरा की भूमिका में तापसी पन्नू को अभिनय के कई शेड्स देखने को मिलते हैं। फिल्म में ऐसा बहुत कुछ है जिसका जवाब अंत तक नहीं मिल पाता है।
By Ruchi VajpayeeEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 01:52 PM (IST)
फिल्म रिव्यू : दोबारा
प्रमुख कलाकार : तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, राहुल भट्ट, शाश्वत चटर्जी, नासर, पंकज राजपूतनिर्देशक : अनुराग कश्यप
अवधि : 135 मिनटस्टार : दो **
प्रियंका सिंह, मुंबई। विदेशी फिल्मों के रुपांतरण में भारतीय फिल्ममेकर्स की हमेशा से ही रुचि रही है। बीते सप्ताह रिलीज आमिर खान अभिनीत लाल सिंह चड्ढा करीब तीस साल पहले आई हॉलीवुड फिल्म फारेस्ट गंप कीरीमेक थी। अब सिनेमाघरों में रिलीज अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म दोबारा वर्ष 2018 में रिलीज हुई स्पेनिश फिल्म मिराज की रीमेक है। यह वास्तव में अपनी तरह की एक 'टाइम ट्रैवल' पर आधारित कहानी है।
कहानी वर्ष 1996 में पुणे के हिंजवाडी में सेट है। चक्रवात आने की भविष्यवाणी के बीच 12 साल का अनेय (पंकज राजपूत) वीडियो पर अपने पापा के वीडियो देखकर खुश होता है। उसी रात तेज बारिश के बीच अपने पड़ोसी राजा घोष (शाश्वत चटर्जी) को मर्डर करते देख लेता है। राजा जब उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़ता है, तब वहां से भागते समय अनेय की फायर ब्रिगेड की तेज रफ्तार से आ रही गाड़ी से टकरा जाने से मौत हो जाती है। वहां से कहानी वर्ष 2021 में आती है। अस्पताल में नर्स अंतरा अवस्थी (तापसी पन्नू) होटल में कार्यरत अपने पति विकास (राहुल भट्ट) और छह साल की बेटी के साथ शिफ्ट होती है। उन्हें पता चलता है कि यह वही घर है जहां अनेय रहता था। उसे अनेय के अतीत के बारे में पता चलता है।
एक तूफानी रात में वह अकेले ही अनेय के पुराने टीवी और उस पर रखे कैमरे को जोड़कर उसके पुराने वीडियोज देखती है। उस समय रात के दो बारह समय हुआ होता है। उसमें अनेय नजर आता है। अनेय और अंतरा टीवी के जरिए एक-दूसरे से बात करते हैं। अंतरा अनेय को पड़ोस में जाने से रोकती है, ताकि उसकी जान बच जाए। उसके बाद अचानक से अंतरा दूसरी दुनिया में पहुंच जाती है। वहां सब उसे डॉक्टर वशिष्ठ संबोधित करते हैं। उसे समझ नहीं आता कि सब उसे डॉक्टर क्यों बुला रहे हैं? वह अपनी बेटी को तलाशती है। अंतत: अंतरा को समझ आता है कि यह दुनिया अलग है? उसने अतीत बदल दिया है, इसलिए उसका भविष्य बदल गया है। इस दुनिया के कई रहस्य हैं। अंतरा दोनों दुनिया के सिरों को कैसे जोड़ती है? इसे फिल्म में देखना ही बेहतर होगा।
निर्देशक अनुराग कश्यप लीग से हटकर फिल्में बनाने के लिए प्रख्यात हैं। दोबारा का कांसेप्ट अच्छा है, लेकिन कहानी काफी जटिल है। कई सवालों के जवाब भी अनुत्तरित हैं। मसलन टाइम ट्रैवल में अक्सर किरदार अपने अतीत या भविष्य को करीब से देखता है। दोबारा में अंतरा जब दूसरी दुनिया में पहुचंती है, तो वह दुनिया पिछली दुनिया जैसी ही है। वैसा ही स्वीमिंग पुल, वैसा ही घर पर कुछ किरदारों की जिंदगी बदली है। उसका पति किसी और से शादी कर चुका है। सब उसे डॉ. अंतरा वशिष्ठ के तौर पर जानते हैं, लेकिन डॉ. वशिष्ठ आखिर तक नजर नहीं आती? अंतरा के आते ही डॉ.वशिष्ठ कहां गायब हो गई? दूसरी दुनिया में जाने पर एक और अंतरा होनी चाहिए थी, जैसे बाकी के किरदार उस दुनिया का हिस्सा है, जो अंतरा की पिछली दुनिया के थे।
बीच में एक संवाद में बताया गया है कि शराब पीने की समस्या की वजह से डॉ. अंतरा वशिष्ठ को छुट्टी पर भेजा गया है। लेकिन एक झलक तो दोनों दुनिया की अंतरा की आमने-सामने होनी चाहिए थी। शुरुआत में लगता है कि कहानी समानांतर चल रहीहै, फिर समझ आता है नहीं यह तो अलग दुनिया की कहानी है। ऐसे में कहानी को समझने के लिए आपको काफी दिमाग लगाना पड़ता है। अंत में अंतरा जब अपनी दुनिया में लौटती है, तो उसे स्वीमिंग पुल में होश आता है, जबकि शुरुआत में दर्शाया गया है कि वह अपने कमरे से गायब होती है। वहां पर दर्शक कनेक्शन महसूस नहीं कर पाएंगे। जबकि दोनों दुनिया को जोड़ने के लिए वह एक महत्वपूर्ण सीन था। 25 साल पुराने टीवी को पावर प्लग के जरिए जोड़ने वाले सीन में निर्देशक कैमरा को चार्जिंग प्वाइंट से जोड़ना भूल गए हैं।
25 साल पुराने कैमरा का इतनी आसानी से बिना चार्ज किए चल जाना, उन बारिकियों पर सवाल उठाता है, जिसका ख्याल अब निर्देशक बहुत रखते हैं। अभिनय की बात करें तो अनसुलझे रहस्यों की दुनिया में फंसी अंतरा की भूमिका में तापसी पन्नू को अभिनय के कई शेड्स दर्शाने का मौका मिला है। खास तौर पर जब वह टाइम ट्रैवल करती है, तो बेटी को खोजने की मन: स्थिति में होने वाली घटनाओं में हैरान परेशान मां की भूमिका से लेकर कंफ्यूज इंसान तक का सटीक चित्रण उन्होंने किया है। पावेल गुलाटी धैर्यवान पुलिस अधिकारी के किरदार में न्याय करतेदिखे हैं। हालांकि, उनके किरदार को रोमांचक बनाने की काफी संभावनाएं थीं।
विकास के किरदार में राहुल भट्ट का अभिनय याद रह जाता है। दोनों ही दुनिया में उनका किरदार दिलचस्प बना है। फिल्म कहानी में बॉब विश्वास के किरदार में लोकप्रिय हुए शाश्वत चटर्जी अपने अभिनय से बांधने में सफल रहते हैं। अनेय के किरदार में पंकज राजपूत ने अच्छा काम किया है। हिंदी सिनेमा में टाइम ट्रैवल पर कम फिल्में बनी हैं। लेखक निहित भावे ने दोबारा की स्क्रिप्ट पर अगर थोड़ा और काम किया गया होता, तो यह बेहतर फिल्म बन सकती थी। सिलवेस्टर फॉन्सेका की सिनेमैटोग्राफी और शोर पुलिस कंपोजर्स का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की कहानी को कई जगहों पर संभालता है।