Dream Girl Review: आशिकों के साथ चार साल बाद लौटी पूजा, मगर इस बार नहीं बजी दिल की घंटी
Dream Girl Review ड्रीम गर्ल 2019 में रिलीज हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। आयुष्मान खुराना अब फिर पूजा बनकर लौटे हैं। इस बार कहानी नई है। कुछ को छोड़कर पात्र भी नये हैं मगर क्या इस बार पूजा दर्शकों के दिल की घंटी बजाने में सफल हुई जानने के लिए पढ़िए रिव्यू। फिल्म में अनन्या पांडेय फीमेल लीड रोल में हैं।
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 25 Aug 2023 12:10 PM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। हिंदी सिनेमा में ड्रीम गर्ल का खिताब हेमा मालिनी को मिला हुआ है। हालांकि, ड्रीम गर्ल फिल्म की फ्रेंचाइजी आयुष्मान खुराना के कंधों पर है। वर्ष 2019 में रिलीज ड्रीम गर्ल में वह कॉल सेंटर में लड़कियों की आवाज में लुभाते नजर आए थे।
उस फिल्म को दर्शकों का काफी प्यार मिला था। अब करीब चार साल के अंतराल के बाद ड्रीम गर्ल 2 में वह पूजा के रूप में अवतरित हुए हैं। यानी इस बार लड़की बने हैं। बताना जरूरी है कि मूल फिल्म की कहानी का इससे कोई संबंध नहीं है। पर हां, कुछ किरदार मूल फिल्म से हैं।
फितरत वही है। मसलन इस बार भी करम कुमार (आयुष्मान खुराना) के पिता कर्ज में डूबे हैं। इस बार भी करम पैसा कमाने की खातिर लड़की बनता है। ड्रीम गर्ल मनोरंजक फिल्म थी। ड्रीम गर्ल 2 उस मामले में थोड़ा फिसल गई है।
क्या है ड्रीम गर्ल 2 की कहानी?
जगराता करने वाला करम बेरोजगार है। वह और पेशे से वकील परी (अनन्या पांडेय) एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। शादी के लिए परी के पिता जयपाल श्रीवास्तव (मनोज जोशी) छह महीने में अच्छी नौकरी, बैंक अकाउंट में 25 लाख रुपये और अपना घर बनाने की शर्त रखते हैं।
धन कमाने की खातिर अपने दोस्त स्माइली (मनजोत सिंह) के कहने पर करम पूजा यानी लड़की का रूप रखकर बार डांसर बन जाता है। बार के मालिक सोना भाई (विजय राज) का दिल पूजा पर आ जाता है। उधर स्माइली भी अबू सलीम (परेश रावल) की बेटी से प्रेम करता है।
उनका बेटा शाहरुख (अभिषेक बनर्जी) दिल टूटने से गहरे डिप्रेशन में हैं। उनकी भी शर्त है। शाहरुख की शादी के बाद ही स्माइली से अपनी बेटी की शादी करेंगे। वह शाहरुख को डिप्रेशन से बाहर निकालने वाले को दस लाख रुपये देने की बात करते हैं।स्माइली अपनी शादी की खातिर पूजा को मनोचिकित्सक बनाकर लाता है। शाहरुख का दादा (असरानी) पोते साथ पूजा की शादी होने पर 50 लाख रुपये देने की बात करते हैं। पैसों की खातिर दोस्त और पिता के दबाव में पूजा शादी कर लेती है।
शादी के अगले दिन पूजा भागने की योजना बनाती है। पर दादाजी गुजर जाते हैं। अबू छह महीने तक कोई भी शुभ काम ना होने की बात कहते हैं। नाटकीय घटनाक्रम में सोनी, जुमानी (सीमा पाहवा), रिकवरी एजेंट टाइगर पांडे (रंजन राज), शौकिया (राजपाल यादव) पूजा के दीवाने हैं।सब पूजा साथ शादी करना चाहते हैं। तमाम गलतफहमी के बीच हैरान परेशान पूजा का राज कैसे खुलेगा? क्या उसकी परी से शादी होगी कहानी इसी मुद्दे पर है।
कैसा है स्क्रीनप्ले, अभिनय और संवाद?
कमल हासन, गोविंदा, आमिर खान, अक्षय कुमार जैसे कलाकारों ने महिला वेशभूषा में अपने किरदारों से पहले भी कॉमेडी की है। उसमें किरदारों के बीच आपसी गलतफहमी और एक-दूसरे के राज का पता लगाने से हास्य पैदा होता है। लेखक राज शांडिल्य और नरेश कथूरिया ने भी इसी आधार पर कॉमेडी पैदा करने की कोशिश की है, लेकिन कहानी बिगड़ जाती है। यह सिर्फ एक-दूसरे का पीछा करने वाली परिस्थितियों और पात्रों की आपसी गलतफहमी का मिश्रण बनकर रह जाती है। एक दृश्य में करम को बार-बार करम या पूजा बनना पड़ता है, क्योंकि सोना भाई और जुमानी उससे मिलने के लिए एक ही स्थान और समय पर पहुंचते हैं।वह दृश्य भी मनोरंजक नहीं बन पाया है। इसी तरह कई हास्य दृश्य अनावश्यक लगते हैं। वह कहानी को आगे नहीं ले जाते हैं। कॉमेडी के लिए वन लाइनर हैं, लेकिन जबरन थोपे लगते हैं। ड्रीम गर्ल 2 का स्क्रीनप्ले भी कमजोर है। यहां पर मंझे कलाकारों की जमात हैं, लेकिन कमजोर लेखन की वजह से उनकी भी सीमाएं हैं, जैसे फूफी के किरदार में सीमा पाहवा अपने अभिनय से रंग भरती हैं, पर उनका करम को लुभाना रास नहीं आता है। यही हाल अन्नू कपूर के किरदार का है। फिल्म पूजा यानी आयुष्मान के कंधों पर है। उन्होंने पूजा बनकर उसकी लचक को अपनाया है। हालांकि, उनके किरदार में कोई नयापन नहीं है। परी बनीं अनन्या मात्र शो पीस हैं। कॉमिक हो या गंभीर किरदार परेश रावल हर रोल में रम जाते हैं। यहां पर सख्त पिता की भूमिका में परेश रावल किरदार साथ न्याय करते हैं। हालांकि, यह किरदार यादगार नहीं बन पाया है। सहयोगी कलाकारों की भूमिका में आए विजय राज, अन्नू कपूर, मनोज जोशी जैसे समर्थ कलाकारों की प्रतिभा व्यर्थ जाया हुई है। आयुष्मान पहले ही कह चुके हैं कि इस फिल्म में दिमाग लगाने की जरूरत नहीं हैं। करम के पिता ने घर गिरवी रखकर बैंक से 40 लाख रुपये ऋण क्यों लिया? क्या किया? जैसे सवालों के जवाब ढूंढने की गलती ना करें।फिल्म का शुभारंभ जगराते से होता है, पर यह गीत कोई भक्ति भाव से ओतप्रोत नहीं है। दिल का टेलीफोन 2.0 को छोड़कर कोई भी गाना कर्णप्रिय नहीं है। फिल्म में बीच-बीच में कुछ क्षण आते हैं, जो चेहरे पर मुस्कान लाते हैं पर यह मूल फिल्म की तरह मनोरंजक नहीं बन पाई है।
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