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Drishyam 2 Review: विजय सलगांवकर की सोच के आगे छोटे पड़े कानून के हाथ, जबरदस्त सस्पेंस और थ्रिल की वापसी

Drishyam 2 Movie Review दृश्यम 2015 में रिलीज हुई थी। फिल्म का निर्देशन दिवंगत निशिकांत कामत ने किया था। दूसरे भाग का निर्देशन अभिषेक पाठक ने किया है। दृश्यम 2 भी मलायलम में आयी फिल्म का आधिकारिक रीमेक है।

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Fri, 18 Nov 2022 01:17 PM (IST)
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Drishyam 2 Review Staring Vijay Salgaonkar Returns. Photo- Instagram
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। वर्ष 2015 में मोहनलाल अभिनीत मलयालम फिल्‍म दृश्‍यम की हिंदी रीमेक रिलीज हुई थी। निशिकांत कामत निर्देशित दृश्‍यम की कहानी केबिल संचालक विजय सलगांवकर (अजय देवगन) और उसके परिवार के इर्दगिर्द घूमती है।

एक हादसे में विजय की बड़ी बेटी अंजू (इशिता दत्‍ता) के हाथों अनजाने में एक लड़के की हत्‍या हो जाती है। यह लड़का पुलिस कमिश्‍नर मीरा (तब्‍बू) का बेटा होता है। जांच में पुलिस चौथी पास और फिल्‍मों के शौकीन विजय और उसके परिवार को दोषी साबित नहीं कर पाती है।

पहले भाग में दिखाया गया था कि विजय ने उस लड़के के शव को निर्माणाधीन पुलिस स्‍टेशन में दफ़न कर दिया था। सात साल के अंतराल के बाद आई इसकी सीक्‍वल दृश्‍यम 2 की कहानी यहीं से आगे बढ़ती है। यह फिल्‍म भी मलयालम फिल्‍म दृश्‍यम 2 की रीमेक है।

सात साल बाद पुलिस ने बिछाया जाल

आरंभ में ही दिखा दिया है कि विजय को निर्माणाधीन पुलिस स्‍टेशन से निकलते हुए एक शख्‍स देख लेता है। पुलिस से भाग रहा यह शख्‍स उसके बाद जेल चला जाता है। कहानी सात साल आगे बढ़ती है। इन सात वर्षों में विजय, उसकी पत्‍नी नंदिनी (श्रिया सरन) बड़ी बेटी अंजू और छोटी बेटी अनु (मृणाल जाधव) अतीत से निकल कर नई जिंदगी शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।

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हालांकि, वह डर उन्‍हें सताता रहता है। विजय ने अपना थिएटर खोल लिया है। वह अपनी फिल्‍म बनाने की तैयारी में भी है। इसके लिए वह पटकथा लेखक मुराद अली (सौरभ शुक्‍ला) के संपर्क में है। आज भी उस हत्‍याकांड को लेकर उनका परिवार शक के घेरे में है। मीरा अपने पति (रजत कपूर) के साथ लंदन से वापस आई है।

शहर में नया आईजी तरूण (अक्षय खन्‍ना) आया है। धीरे-धीरे कई राज खुलते हैं कि वह मीरा का दोस्‍त है। वह मामले को दोबारा खोलता है। उसने विजय को फंसाने के लिए जाल बुना होता है। क्‍या पुलिस के बिछाए जाल में इस बार विजय और उसका परिवार फंस पाएगा? अगर नहीं तो क्‍यों ? यह राज यहां पर बताना उचित नहीं होगा।

दृश्‍यम 2 को देखने के लिए पहले भाग की जानकारी होना जरूरी है, क्योंकि दूसरे भाग में पहली दृश्यम का काफी जिक्र किया गया है। हालांकि, मलयालम फिल्‍म से रीमेक को अलग करने के लिए निर्देशक अभिषेक पाठक ने कुछ दृश्‍यों को गढ़ने की कोशिश की है, लेकिन ज्‍यादातर चीजें समान ही है।

सुस्त है फिल्म का फर्स्ट हाफ

फर्स्‍ट हाफ में कहानी बहुत सुस्‍ती के साथ आगे बढ़ती है। किरदारों को स्‍थापित करने में निर्देशक ने काफी समय लिया है। आप कई नए चरित्रों से परिचित होते हैं। जब जांच आगे बढ़ती है तो इन किरदारों की अहमियत समझ आती है। दूसरे हाफ में कई ट्विस्‍ट और टर्न्स हैं, जो कहानी में रोमांच लाते हैं।

कहानी के अधिकांश हिस्‍से में उत्सुकता बनाने की कोशिश हुई है। हालांकि, कुछ सेटअप काल्पनिक लगते हैं। कोर्ट रूम ड्रामा दमदार नहीं बन पाया है। पहली भाग के डायलाग दो अक्‍टूबर और तीन अक्‍टूबर को क्‍या हुआ था? उसका उपयोग फिल्‍म में दोबारा रोचक अंदाज में किया है।

अजय और अक्षय की शानदारी अदाकारी

कलाकारों की बात करें तो सब जानते हैं कि अजय देवगन की आंखों और चाल में खास बात है। यहां पर वह इनका भरपूर इस्‍तेमाल करते हैं। एक बार फिर संरक्षक पिता और चालाक व्‍यक्ति के रूप में वह खुद को अच्‍छी तरह ढालते हैं। श्रिया सरन अपने पुराने अंदाज में ही लौटी हैं।

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इशिता दत्‍ता और मृणाल जाधव के हिस्‍से में कुछ खास नहीं आया है। सात साल में उनकी जिंदगी में कोई खास बदलाव नहीं दिखा है। तब्‍बू ने बेबस मां और उसके गुस्‍से को बेहद संजीदगी से दर्शाया है। तेजतर्रार आइजी की भूमिका में अक्षय खन्‍ना जंचते हैं। फिल्‍म में नृशंस और क्रूर पुलिस अधिकारी गायतोंडे के किरदार में कमलेश सावंत ने फिर वापसी की है।

इस बार संक्षिप्‍त भूमिका में भी वह अपना पुराना रूप याद दिला देते हैं। कहानी के रहस्‍य को हल करने में मुराद की भूमिका में सौरभ शुक्‍ला बेहद सहज लगे हैं। सिनेमैटोग्राफर सुधीर चौधरी ने गोवा को नए अंदाज में दर्शाया है। देवी प्रसाद का बैकग्रांउड संगीत कहानी को कॉम्प्लीमेंट करता है। जुबिन नौटियाल का गाया ‘साथ हम रहें’ कर्णप्रिय है।

प्रमुख कलाकार: अजय देवगन, श्रिया सरन, इशिता दत्‍ता, मृणाल जाधव, सौरभ शुक्‍ला, कमलेश सावंत

निर्देशक: अभिषेक पाठक

अवधि: 142 मिनट

स्‍टार: तीन

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