Faraaz Movie Review: कमजोर है विचारधाराओं के टकराव की कहानी, आदित्य-जहान की असरदार अदाकारी
Faraaz Movie Review फराज से शशि कपूर के पोते जहान कपूर ने डेब्यू किया है। उनके साथ आदित्य रावल हैं जो दिग्गज अभिनेता परेश रावल के बेटे हैं। इन दो नौजवान कलाकारों के कंधों पर टिकी फिल्म असर छोड़ने में नाकाम रहती है। Photo- screenshot
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 03 Feb 2023 11:37 AM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक जुलाई, 2016 को होली आर्टिसन कैफे में आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में आतंकियों ने सभी विदेशी और गैर मुस्लिमों की निर्मम हत्या कर दी थी। इस हमले में एक भारतीय समेत 20 निर्दोष लोग मारे गए थे। इसी क्रूर घटना पर हंसल मेहता ने फिल्म फराज कहानी बुनी है।
बांग्लादेश में आतंकी हमले की कहानी
आरंभ में दर्शाया गया है कि पांच प्रशिक्षित युवा मिशन को अंजाम देने की तैयारी में हैं। वहीं, दूसरी ओर ढाका के संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले फराज अयाज हुसैन (जहान कपूर) की मां (जूही बब्बर) चाहती है कि फराज स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ाई करे।
फराज अपने देश में रहकर ही कुछ करना चाहता है, वह इनकार कर देता है। वह अपनी दो महिला मित्रों से मिलने के लिए कैफे जाता है। इनमें एक कोलकाता से आई हुई हिंदू लड़की है, जबकि दूसरी बांग्लादेशी मुस्लिम। कैफे में सब अपने-अपने में मशगूल होते हैं।
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उसी समय निब्रस (आदित्य रावल) के नेतृत्व में ये युवा लड़के कैफे में मौजूद विदेशी नागरिकों को निर्ममता से मौत के घाट उतारने लगते हैं। वह धर्म विशेष के लोगों को बंधक बना लेते हैं। निब्रस ने फराज के साथ फुटबाल खेला होता है, वह फराज को जाने का मौका देता है, लेकिन वह अपनी महिला दोस्तों की वजह से जाने से इनकार कर देता है। धर्म की विचारधाराओं को लेकर फराज और निब्रस में थोड़ी बहस भी होती है। फराज अपनी हिंदू दोस्त को बचा पाएगा या नहीं कहानी इस संबंध में है।